खाद्य सामग्री में मिलावट
मिलावट जॉंच के घरेलू तरीके
- दूध में पानी – पानी की मिलावट एक अहम् समस्या है। इसके लिये ऐसे दूध का एक बूंद किसी चिकने और खडे टाईल पर या कॉंच पर लगाएँ। दूध अगर शुद्ध हो तो बूँद या तो वही का वही रहता है या नीचे चलकर सफेद रेखा दिखाई देती है। लेकिन पानी मिलया हुआ दूध झट से नीचे की ओर चला जाता है और यह दूध जैसे सफेद नहीं दिखाई देता।
- वैसेही दूध में युरिया खाद मिलावट की गुंजारिश होती है। इसको जॉंचने के लिये कॉच की परख नली में पॉंच मिली दूध लेकर इसमें ब्रोमोथायमॉल के नीले रंग के दो बूँद डालिये। दर मिनीट के बाद दूध अगर नीला होता है तो उसमें युरिया मिलावट है ऐसा समझे।
- कभी कभी दूध में स्टार्च याने कंजी मिलाई हो तो उसमें २-३ बूंद टिंक्चर आयोडिन डाले। दूध का रंग नीला हो गया हो तो स्टार्च की मिलावट मानकर चले।
- दूध से वसा याने फॅट निकली हो तब लॅक्टोमीटर से २६ के उपर रिडींग आता है लेकिन फिर भी दूध घना ही दिखता है।
- ख में कभी कभी स्टार्च मिलाया जाता है जैसे की आलू या आटा। यह जॉंचने के लिए खव्वे का थोडा नमुना पानी में उबाले, ठंडा करे और उसमें टिंक्चर आयोडिन के २-३ बूंद डाले। नीला रंग आने से खव्वा में स्टार्च है ऐसा समझे।
- पनीर में भी कभी कभी स्टार्च मिलाया होता है जिसके लिये यही जॉंच कर सकते है।
- घी में भी आलू या —- मिलाया जाता है। इसकी भी जॉंच आयोडिन से कर सकते है।
- आईसस्क्रीम में कपडे धोने की पावडर मिलायी जाती है। इस आईसस्क्रीम में कुछ बूंद निंबू रस मिलाने से हवा के बुलबुले आते है।
- आईसस्क्रीम में शक्कर के बजाय सॅकरिन मिलाया हो तब स्वाद से लगभग पता चल जाता है। सॅकरिन का स्वाद मुँह में जादा देर ठहरता है और बाद में एक कडवा स्वाद पीछे रहता है।
- अनाज में मिट्टी, कंकर. पत्थर की पावडर, घास के टुकडे, अन्य बीज, सडा अनाज आदि मिलाए जाते है। इसमें कभी कभी कीडे, चुहे के बाल और—– पाये जाते है। यह आँख से देखकर पता चलता है। यह सब स्वास्थ्य के लिए हानीकारक है।
- आटा, मैदा, और दलिया में रेती या मिट्टी मिलाई जाती है। यह भी आँख से परख सकते है। दलिया में वजन बढाने के लिए लोहे का चुरा मिलाया जाता है। यह चुंबक पत्थर लगाके निकाला जा सकता है। यह भी स्वास्थ्य के लिए हानीकारक है।
- शक्कर में खडीयॉं मिलाया जाता है। यह परखने के लिये कांच के ग्लास में पानी लेकर उसमें शक्कर का नमुना मिलाए कुछ मिनिटों के बाद खडियॉं का चुरा तल में बैठ जाता है और शक्कर पानी में घुल जाती है। शक्कर में कपडे धोने का सोडा कभी कभी मिलाया जाता है। इसपर सौम्य हायड्रोक्लोरीक ऍसिड डालने से बुलबुले निकल आते है।
- मिठाई में चांदी का फॉईल याने पर्णिका लगाई जाती है। यह जायज है लेकिन कुछ कारखाने चांदी के बजाय ऍल्युमिनियम की हानीकारक पर्णिका इस्तेमाल करते है। यह परखने के लिए इस पर्णिका को अलग निकालकर ज्योती में धरे। अगर चांदी हो तो पिघलकर छोटा गोलक बन जाता है। इसके विपरित ऍल्युमिनियम जलकर काली राख बन जाती है।
- शहद में पानी या शक्कर पानी पिलाया जाता है। इसके लिये कपास का एक बाती शहद में भिगोकर माचिस से जलाएँ। शहद ठीक से जलता है। लेकिन उसमें अगर पानी हो तो बाती जलती नहीं या चरचर आवाज आती है।
- कॉफी में कभी कभी चिकोरी मिलाई जाती है। इसके लिये ग्लास में पानी लेकर कॉफी पावडर का नमुना उसपर बिखरे। अगर कॉफी हो तो पानी पर तैरती है लेकिन चिकोरी कुछ ही क्षण में नीचे जाती है। चिकोरी डुबते समय लाल काले रंग की रेखाएँ दिखाई देते है।
- चाय में पुरानी चायपत्ती मिलवट के संभावना होती है। इसके लिये फिल्टर पेपर पर ३-४ बूंद पानी डालकर उसपर यह चायपत्ती डाले। चायपत्ती अच्छी हो तो एक फिल्टर पेपर पर लाल काले धब्बे आते है। अगर चायपत्ती पुरानी याने इस्तेमाल की गई हो तो कोई रंग नही आता।
- खाद्य तेलो में कभी कभी अर्जीमोन तेल मिलाया जाता है। यह बहुत हानीकारक है। इसको जॉंचने के लिये कथित तेल का नमुना परख नली में लेकर उतना ही नायट्रिक ऍसिड डालकर मिलाए। लाल सा रंग होने पर मिलावट जरुर है।
- खाद्य तेल में कभी कभी मिनरल ऑईल की मिलावट होती है। ऐसे तेल की २ मिली मात्रा परख नली में लेकर उसमें N १२ अल्कोहोलिक पोटॅशियल मिलाए इसके बाद ये परख नली १५ मिनिट तक गरम पानी में रखकर उसमें १० मिली. पानी डाले। मिनरल तेल की मिलावट हो तो ये सारा घोल धुंधला दिखाई देता है।
- लाल मिर्ची के पावडर में अक्सर रोडामीन रंग मिलाया जाता है। यह जॉंचने के लिये परख नली में मिर्ची पावडर के दो ग्राम याने आधा चमच नमुना लेकर उसपर ५ मिली ऍसिटोन डाले। (नेल पॉलिश निकालने के लिए ऍसिटोन का इस्तेमाल होता है।) ऍसिटोन से तुरंत लाल रंग उठता है तब रोडामीन की मिलावट है ऐसा समझे।
- लाल मिर्ची पावडर में कभी कभी ईट का चुरा मिलाया जाता है। यह जॉंचने के लिए मिर्च पावडर का नमुना एक ग्लास पानी में डाले। मिर्ची का चुरा पानी पर तैरता है और ईट का चुरा तुरंत नीचे बैठ जाता है।
- हल्दी में मैटानिल यलो यह एक हानीकारक द्रव मिलाया जाता है। इसपर हायड्रोक्लोरीक ऍसिड के ४-५ बूंद डाल दे। मैटानिल यलो के कारण इसका रंग बैंगनी याने व्हॉयलेट होता है। इसमें और थोडा पानी मिलाया तो भी यह रंग रह जाता है।
- हल्दी पावडर में रंगीन भुसा या खडियॉं की पावडर मिलाई जाती है। इस नमुने को पानी के गिलास में डालने पर खडियॉं नीचे बैठ जाती है और भुसा पानी पर तैरता है। लेकिन हल्दी पानी में समा जाती है।
- मैटानिल यलो यह हानीकारक रंग तुवरदाल, मुंगदाल या चनादाल पर मिलाया जाता है। यह जॉंचने के लिये गुनगुने पानी में थोडी दाल डाल दे। अब इसका पानी अलग निकाल कर उपर निर्दिष्ट ऍसीड के २-३ बूंद उसमें डाले मैटानिल पावडर से गुलाबी रंग आता है।
- हरी सब्जीयों पर मॅलाचाईट ग्रीन यह घातक रंग डाला जाता है। यह जॉंचने के लिए एक सफेद सोखता कागज गीला कर के सब्जी का नमुना उसपर रख दे। हरा रंग कागज पर दिखाई दे तो मिलावट समझो।
- शुद्ध घी या मख्खन में वनस्पती घी की मिलावट होती है। इसके लिये घी या मख्खन का एक चम्मच नमुना लेकर इसको गरम करे। एक छोटी कटोरी में इसको लेकर उतना ही हायड्रोक्लोरीक ऍसीड डाल दे और एक चुटकी भर शक्कर डाले। अब ये सारा चम्मच से हिलाकर पॉंच मिनिट तक स्थिर रखे। इस घोल के नीचे नारिंगी रंग हो तो मिलावट का चिन्ह समझे। यह रंग वनस्पती घी के कारण आता है।
- काली मिर्च में पपीता के सुखे बीज मिलाए जाते है। यह जॉंचने के लिए इस नमुने को अल्कोहोल याने स्पिरीट में डाले। काली मिर्च के बीज तल में बैठ जाते है लेकिन पपीता के बीज उपर तैरते है।
- हिंग में केले पत्थर का चूर्ण मिलाया जाता है। यह जॉंचने के लिये एक ग्लास पानी में यह नमुना डाल दे। हिंग उपर तैरता है और पत्थर का चुरण तल में बैठ जाता है। शुद्ध हिंग वैसे भी पानी में घुलकर सफेद रंग छा जाता है। बनावट हिंग पानी में घुलकर सफेद रंग नही आता।
- केशर में मकई के बाल मिलाए जाते है। शुद्ध केशर के धागे जल्दी टुटते नहीं लेकिन मकई के धागे टुटते है। वैसे भी केशर पानी में तुरंत घुल जाता है जिससे लाल रंग आता है। मकई के धागे पानी में घुलते नहीं।