स्तनपान लघु लेख

breast-feeding
स्तनपान का सही तकनीक समझनेके लिये प्रस्तुत जानकारी उपयोगी साबित होगी| छे महिनेतक सिर्फ स्तनपान देनेसे शिशु की सेहत अच्छी रहती है और बिमारियॉं टलती है| स्तनपान एक बिलकुल प्राकृतिक, सुरक्षित, आसान और मुफ्त देन है| कुछ परिवार यह प्राकृतिक देन छोडकर शिशुको पहलेसे गलत आहार देते है| प्रसव के बाद आधे घंटेमें स्तनपान शुरू करना चाहिये| छे महिनेतक शिशुको और कोई उपरी आहार जरुरी नहीं|

स्तनपानके लाभ
  • मॉं के दूध में रोग प्रतिकार क्षमता होती है इसके कारण शिशुको संक्रमणसे सुरक्षा मिलती है|
  • इस दूध में प्रथिन, वसा, शक्कर, क्षार, जीवनसत्व और पानी सही तागदमें होते है| अन्य कोई आहार इसके बराबर नहीं| मॉ का दूध शरीरके तापमानसे मेल रखता है| मॉं का दूध ताजा और शुद्ध होता है और कभीभी उपलब्ध होता है|
  • स्तनपानसे मॉं और शिशुमें प्रेमसंबंध बनते है| शिशु इसके कारण सुरक्षा और आनंद अनुभव करता है| विपरित स्तनपानसे वंचित बच्चा असुरक्षा और मायूसी अनुभव कर सकता है| स्तनपानसे मॉ को अनेक लाभ होते है|
  • शरीर की वसा और वजन सही स्तर पर रहता है| स्तनपानसे सेहत सुधारनेके लिये अवकाश मिलता है| और तो और शिशु स्वस्थ रहनेसे मॉं को तकलिफसे छुटी मिलती है|

स्तनपानका तकनिक
  • जच्चा बच्चा आधे घंटेमें छातीसे लगाना चाहिये| इससे मॉं के शरीरमें दूधजनक प्रक्रिया उत्तेजित होती है|
  • कुछ परिवारोंमें २-३ दिनोंतक स्तनपान रोका जाता है| यह बिलकुल शास्त्र विपरित है| इससे दुग्ध प्रक्रिया सदा के लिये रुक सकती है| मॉ घर हो तब शिशु जब मॉंगे तब स्तनपान देना उचित है| लेकिन मॉं को कोई कामकाज हो तो समय का उचित नियोजन जरुरी है|
  • स्तनपान करते समय शिशु को गोदमें रखकर गर्दन और सिर को आधार देना जरुरी है|
  • वैसे एक बगलमें सोते हुए भी शिशुको स्तनपान कर सकते है|
  • शिशु को स्तन का चिचुक मुँहमें पूर्णतया पकडने दे|
  • आराम और शांती के साथ स्तनपान करना चाहिये|
  • हर दस मिनिटको शिशु को वक्ष बदलकर पिलाना ठीक होता है|
  • कुछ घंटे स्तनपान न किया हो तो स्तन दूधसे भर आते है| ऐसे समय हाथ से स्तन दबाकर दूध निकाल देना चाहिये| यह दूध ढककर १-२ घंटोंमें इस्तेमाल कर सकते है| किसी भी हालत में २४ घंटोंसे जादा स्तन भरने ना दे, इससे संक्रमण और पीप हो सकता है|

कुछ मुश्किल निर्णय

breast-feedingअगर आपको ८-१० घंटे नौकरी या अन्य कामकाज हो तो २-३ बार स्तनपान चूकता है| ऐसे समय उपरी दूध को सही मात्रामें तैयार रखना जरुरी है| एकेक समय का दूध अलग अलग बोतलमें रखे| वैसे बोतल के बजाय चम्मच का प्रयोग सही होता है| बोतलसे शिशुके पेटमें गैरजरुरी हवा और जिवाणू प्रविष्ट होते है| इसीलिये बोतल के कारण बच्चे अक्सर बिमार हो जाते है|

 

डॉ. शाम अष्टेकर २१, चेरी हिल सोसायटी, पाईपलाईन रोड, आनंदवल्ली, गंगापूर रोड, नाशिक ४२२ ०१३. महाराष्ट्र, भारत

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