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घरेलू हिंसा काफी आम बात है| महिला और बच्चोंको इसका बहुत बुरा असर होता है| |
यशोदा अक्सर हमारे दवाखाने में शरीर या पीठ में दर्द की शिकायत लेकर आती थी। कहती कि खेत पर रोज़ कड़ी मेहनत करने के कारण उसे यह दर्द होता है। कई सालों बाद, जब मुझे उसकी कोहनी पर खून लगा हुआ दिखाई दिया तो उसने मुझे बताया कि उसके पति ने शराब पीकर उसे पीटा था। वो पिछले पॉंच सालों से इस हिंसा के साथ जी रही थी और उसे लगता था कि इससे छुटकारा संभव नहीं था। वो कहती कि ऐसा इसलिए हो रहा है कि उसका पति हताश है क्योंकि उनकी पॉंच बेटियॉं हुई और एक भी बेटा नहीं हुआ। इसलिए वो इस पिटाई को अपना भाग्य समझ कर स्वीकार कर रही थी। क्या हम उसकी मदद कर सकते हैं?
हिंसा के कारण
यह केवल शराब पीने या गरीबी के कारण ही नहीं होता। उन घरों में भी हिंसा देखी जा सकती है जहॉं ये समस्याएं नहीं होती हैं। जो तात्कालिक कारण महिलाएं बताती हैं वो लगभग मिलते जुलते होते हैं। जैसे कि ‘खाना अच्छा नहीं बना’, ‘शराब के लिए पैसा नहीं है’ या कुछ और ऐसे ही कारण। असल में इसके पीछे और बहुत से कारण छिपे होते हैं जैसे बिगडे यौन संबंध, दहेज, बेमेल शादियॉं आदि। परन्तु इसका मुख्य कारण समाज में औरतों की निचला दर्जा होता है। घरों में होने वाली हिंसा कई एक पश्चिमी देशों जैसे अमरीका में भी काफी आम है। परंपरागत पारिवारिक रीत में जहॉं बेटी की शादी किसी व्यक्ति से कर दी जाती है और उसे उसके भाग्य के भरोसे छोड़ दिया जाता है, हमारे पास आज भी इस समस्या का कोई समाधान नहीं है। शादी के समय उम्र बहुत कम होने, शिक्षा के अभाव, स्वतंत्र आर्थिक गतिविधि की सीमित संभावनाएं, संयुक्त परिवार, कानूनी और सामाजिक सहारे के अभाव ने इस समस्या को और अधिक बढ़ाया है। फिर भी हमें इसके लिए कुछ तो करना ही है और हम हमेशा कुछ न कुछ तो कर ही सकते हैं।
इस हिंसा को कैसे पहचानें
किसी भी और व्यक्ति को सबसे पहली चीज़ यह ध्यान में रखनी चाहिए कि चाहे कोई महिला कितना भी छिपा रही हो उसे यह पता लगाना है कि ऐसा कुछ हो रहा है। कुछ संभव परिस्थितियॉं नीचे दी जा रही हैं।
- कोई महिला बार बार शरीर, पीठ या सिर में दर्द की शिकायत लेकर आ रही हो। वो इसका कारण बहुत काम, खराब मौसम, फ्लू या गिरना कुछ भी बता सकती है।
- घटना के तुरंत बाद बताने के बजाय चोट के बारे में कुछ समय बाद बताया जाना। कारण यह दिया जा सकता है कि समय नहीं मिला, पति घर में नहीं था, बच्चों या मवेशियों की देखभाल करनी थी, इलाज के लिए पैसा नहीं था, माहवारी हो रही थी या कोई त्यौहार था।
- ऐसी जगहों पर खुली हुई चोट जो कि गिरने या चोट के लिए दिए गए कारणों से नहीं लग सकती। जैसे कि पेट, पीठ, जांघों के पीछे, चूतड़ों पर, गालों पर, सिर के ऊपर के भाग पर या हथेलियों पर गिरने से चोट लगने की संभावना न के बराबर होती है। गिरने से सामान्यतय: घुटनों, बाहों के बाजू में, कोहनी पर, सिर के पीछे की ओर या माथे पर चोट लगती है।
- अकसर महिला के शब्दों, आँखों या हाव भाव से पता चल जाता है कि वो पिटाई की बात छिपा रही है। इस सबके प्रति हम संवेदनशील रहें।
- चोटों के पुराने निशानों से भी इस तरह की हिंसा का पता चल सकता है।
अपना रवैया बदले
- खूद के बचाव हेतू छोड़ कर समाज में हिंसा बिलकूल अस्वीकार्य है।
- बच्चों और महिलाओं के साथ हिंसा और भी संगीन जुर्म हैं क्योंकि उन्हें अकसर हिंसा करने वालों से ही सुरक्षा की ज़रूरत होती है। इसको कानूनन शिकायत दर्ज कर सकते है।
- पत्नी की पिटाई को अक्सर ‘यह तो होना ही चाहिए’ या ‘इसका कुछ नहीं किया जा सकता’ कह कर टाल दिया जाता है। पर हम सब – रिश्तेदार, पड़ौसी
अपने बच्चों को समझने दें कि इस तरह की हिंसा एकदम गलत है। हम इसे रोक सकते हैं और हमें इसे रोकना चाहिए। आधुनिक सभ्यता में हिंसा की कोई जगह नहीं।
पता करें और सहायता करें
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पिडीत महिलाओं को स्वयंसेवी संस्था या कार्यकर्ताओं की सहायता लेनी चाहिये |
- पहले तो पता करें कि हिंसा हो रही है।
- चोटों का रिकॉर्ड रखें – जगह (चित्र बनाकर) और शब्दों में लिख कर रखें कि पिटाई क्यों की गई। नाम की जगह कुछ और संकेत बना कर ये रिकॉर्ड संभाल कर रखें। किसी और व्यक्ति को इसे न देखने दें।
- उपचार करें: दर्द निवारक और ज़ख्म के लिए सही दवा वगैरह दें।
- भरोसा पैदा करें और बातचीत करें, आत्मसम्मान का हवाला दें। महिला को तैयार करें कि वो इसे न स्वीकारने का फैसला करे।
- उसे भरोसा दिलाएं और समझाएं कि हम कैसे इसे रोक सकते हैं।
- सामाजिक या कानूनी मदद लेने से पहले उसकी रजामंदी लें। जबतक कि स्थिति जीवन मरण की न हो महिला की रजामंदी ज़रूरी है।
ऐसा भी हो सकता है कि पति को अगर यह पता चले कि उसकी पत्नी आपके पास आकर बात कर रही है तो उसकी हिंसा और बढ़ जाए। आपको सावधान रहना पड़ेगा और अपनी सुरक्षा का भी ध्यान रखना पड़ेगा।
अगर महिला तैयार हो तो उससे उन रिश्तेदारों के नाम पता करें जो सहानुभूति रखते हों।उनसे बात करें। स्थानीय सामाजिक समूह से संपर्क करें: हर जिले में कोई न कोई ऐसे समूह होते हैं जो महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा के मुद्दों को उठाते हैं। याद रखें, हिंसा रोकना ज़रूरी है और ऐसा करने की कोशिश में महिला की सुरक्षा भी।
अगर महिला अपनी रजामंदी न दे
उसे अपने को बचाने के लिए तरीके और सुरक्षा उपाय बताएं। आप ये सुझाव दे सकते हैं।
- महिला कोशिश करे कि वो पहले से समझ सके कि हमला होने वाला है।
- किसी रिश्तेदार या आसपास की एक दो महिलाओं को भरोसे में लें।
- कोई ऐसा कमरा या पड़ौस का घर ढूंढ पाए जहॉं वो हमला होने पर भाग कर बच सकती है।
- अगर बच कर निकलना संभव नहीं है तो कोई कोना ढूंढ ले जहॉं वो सिकुड़ कर बैठ सकती है और अपना चेहरा, छाती और पेट ढक सकती है।
- अगर कभी ऐसी संभावना हो कि उसे भागना ही पड़ सकता हो, तो महिला से कहें कि वह कुछ कपड़े, पैसा,एक छोटा सा कागज़ का पुर्जा आदि तैयार रखे। इस कागज़ में नाम, पता और जिन लोगों से मदद मिल सकती है उनके नाम पते लिखें। (जैसे मायके का पता, पास के पुलिस स्टेशन का पता या स्थानीय सामाजिक संगठन का पता)
- याद रखें कि महिला जितनी जल्दी हिंसा को रोकने की कोशिश शुरू करेगी सफलता की संभावना उतनी ही अधिक है।