सिर दर्द |
सिर दर्द एक बहुत आम शिकायत है। कभी-कभी यह किसी और रोग के कारण होता है (जैसे कि मलेरिया)। लेकिन आमतौर पर सिर दर्द के लिए खास निदान की ज़रूरत नहीं होती है। और अगर ये किसी बीमारी से जुड़ा न हो तो सीधे-सीधे इसका इलाज हो सकता है।
पर अगर सिर दर्द किसी और बीमारी के साथ हो रहा हो या फिर बार-बार हो रहा तो इसके लिए निदान की ज़रूरत होती है। निदान के लिए बीमारी के अन्य लक्षणों के अलावा, सिर दर्द की जगह और स्वरूप पर ध्यान दे। साथ दी गई तालिका से आपको सिर दर्द के कारण पहचानने में मदद मिलेगी। एक प्रकार का सिर दर्द का सिलसिला चलता है और इन सिलसिलों के बीच में ऐसा समय होता है जब दर्द नहीं होता (कुछ दिन या हफ्ते)। सिर में दर्द शुरू होता है तब ये कुछ दिनों तक रहता है और उसके बाद गायब हो जाता है। इसे ‘‘क्लस्टर’’ में आने वाला सिरदर्द कहते है।
थकान, भूख और तनाव से होने वाले साधारण सिरदर्द के लिए आराम और खाना ही काफी होता है। ठीक से सोना धारगर इलाज है। अगर इलाज की ज़रूरत पड़ ही जाए तो ऐस्परीन, आईबूप्रोफेन या पैरासिटामोल ही काफी होती हैं। कभी-कभी पैन्टाज़ोसीन की ज़रूरत पड़ती है। सिर दर्द के उपचार के लिए कई तरह के बाम उपलब्ध हैं। इनमें ज़ोरदार शोभकारी पदार्थ होते हैं। और जब ये त्वचा पर लगाए जाते हैं तो इनसे त्वचा में शोभ देने लगता है। और इससे शायद खून की आपूर्ति बढ़ती है और स्थानीय ऊतकों में होने वाले संवेदना कम हो जाती है। इसलिए ये कभी-कभी तो काम कर जाते हैं मगर हर समय नहीं। कभी-कभी बाम लगाने से फिर गोली की ज़रूरत नहीं पड़ती।
सिर दबाने से भी उस क्षेत्र में खून का संचरण बढ़ जाता है और दर्द कम हो जाता है। कई लोगों को पहले से ही पता है कि कपाल के निचले हिस्से, कनपटी, शिरोविंदू आदि वो पॉंईट (केन्द्र) हैं जहॉं दबाने से सिरदर्द ठीक हो जाता है। सिर के दर्द के लिए होम्योपैथी या टिशु रेमेडी भी इस्तेमाल कर सकते हैं। बैलाडोना (सीधी तरफ अधसीसी के दर्द के लिए) ब्राओनिआया, चामोमिला, लेचेएसिस, लाईकोपोडियम, नेट्रम मूर, नक्स वोमिका, पलसेटिला, सिलिका, सल्फर, थुजा, स्पाईगेलिआ (बाई ओर के सिर के दर्द के लिए) में से कोई होम्योपेथिक दवा चुन सकते हैं।
अधसीसी एक खास तरह का सिरदर्द है जो आमतौर पर सिर के आधे भाग में होता है। इसका कारण शायद खून की वाहिनियों से जुड़ा है। (उस भाग की खून की वाहिकाएँ सिकुड़ जाती हैं)। परन्तु ठीक-ठीक ये पता नहीं है कि ये क्यों होता है। इसके साथ अक्सर उलटी होती है।
इसके कुछ मामलों में ऐस्परीन से आराम होता है। एरगोटैमाइन खून की वाहिनियों को शिथिल करने वाली दवा है। ये कुछ रोगियों में फायदा पहुँचाती है। पर इसको दर्द शुरू होने से पहले लेना ज़रूरी होता है। अधसीसी क्योंकि बार-बार होने वाली तकलीफ है, इसलिए इसका पहले से अन्देशा आता है। ऐसी पूर्नावस्था में दवा लेने से ज़्यादा उपयोग होता है। एरगोटैमाइन से खून की वाहिकाओं को नुकसान पहुँच सकता है और इससे कोथ होने का खतरा भी होता है। इसलिए इसको लेने पर खुराक के निर्देशों का सख्ती से पालन करना चाहिए स्वास्थ्य कार्यकर्ता को भी ये दवा विशेषज्ञ की मौजूदगी में ही देनी चाहिए।