अंजायना या हृत्शूल लघु लेख

दोस्तों अब हम हृत्शूल या हृदयवेदना याने अंजायना के बारेमें जानेंगे| लेकिन ध्यान में रखे की छातीके हर एक दर्द कोई हृदय वेदना नही होती| छाती में दर्द के अनेक कारण है जैसे की फँसली या मांसपेशी को बाधा, जठर में अम्लता, न्यूमोनिया और अन्य हृदयविकार|

हृदयवेदना या अंजायना हल्के दर्दसे लेकर तीव्र शूलतक किसीभी रूपमें आ सकती है| कहा जाये तो हृदयवेदना हृदयकी बिमारी की पहली सीढी है| हृदयवेदना की पहली सीढी है श्रम के साथ आनेवाला दर्द| आराम करने से ये पीडा रूक जाती है| हृदयवेदना की अगली सीढी विनाश्रमकेही होनेवाली वेदना है|

जानकारी

मूलरूप से हृदयकी धमनियोंमें वसा की परत जमना और फलस्वरुप धमनियोंका सख्त होना यही इसका कारण है| वसा के परत के भीतर होते हुए धमनियोंसे खून कम बहता है| आदमी विनाश्रम बैठा हो तो ये कम खून भी पर्याप्त होता है| लेकिन श्रम के कारण खून की जरुरत बढती है और कमी महसूस होती है जिससे दर्द होता है|

हृदयवेदना का निदान

हृदवेदना विशिष्ट श्रम के अनंतर या मानसिक तनाव, अतिशीत, जादा भोजन या धूम्रपानसे जान पडती है|

यह दर्द आधे मिनिटसे पॉंच मिनिटतक रह सकता है| इसकी जगह छाती में बाये तरफ होती है| यह दर्द बाया कंधा, हाथ, गर्दन और जबडा या पीठ के तरफ या नाभी के दिशा में चलता महसूस होता है| लेकिन यह वेदना उपर जबडा और नीचे नाभी इसे पार नही जाती| यह दर्द आराम करनेसे और नायट्रोग्लिसरिन दवा से रुक जाता है| ये तथ्य समझना जरुरी है|

इलाज

हृदय वेदना उभरनेपर तुरंत विश्राम करे, शांतीसे सहन करे और नायट्रोग्लिसरिन दवा का प्रयोग करे| इससे दर्द रूक जाता है| हृदयवेदना हो तब भागदौड न करते हुए एक जगहही स्वस्थ रहना उचित होता है| भागदौड, भय या भावनिक प्रभाव से दिल की खून की जरुरत और भी बढती है|

नायट्रोग्लिसरिन दवा गोली या स्प्रे के रूप आता है| इससे दर्द २-५ मिनिटोंमें रुक जाता है| इस दवा से धमनियॉं खुलकर जादा खून बहता है| हृदयवेदना के रोगी यह दवा हमेशा साथ रखे| इस दवा की चिपकानेवाली पट्टी भी मिलती है| इसी के साथ ऍस्पिरिन गोली एक कप पानी में घुलाकर ये पानी तुरंत पी ले| इससे खून पतला और प्रवाही रहता है| हृदयवेदना असलमें दिल की बिमारी की पहली सीढीही है| इसलिये सावधानी बरते और डॉक्टर से संपर्क करे|

डॉक्टरी इलाज के बारेमे

जरुरत होने पर अस्पतालमें भर्ती होना ठीक होगा|
डॉक्टरी सलाह के नुसार कार्डिओग्राम, स्ट्रेस टेस्ट, इको टेस्ट या कभी एन्जिओग्राङ्गीभी आवश्यक होती है|
धमनियोंका अटकाव जादा हो तब एन्जिओप्लास्टी या बायपास का ऑपरेशन भी जरुरी हो सकता है|

प्रतिबंध

स्वास्थ्यपूर्ण रहन-सहन, कसरत और व्यायाम, खासकर एरोबिक्स के नियमित आचरणसे हम इस रोग को कुछ हदतक टाल सकते है|

इसी के साथ धूम्रपान और तनाव से बचना, रक्तचाप और रक्तशर्करा सही मर्यादा में रहना, वजन कम रखना ये सब सावधानी अवश्य निभानी है| लेकिन एक बार हृदयवेदना अनुभव होने पर काफी सावधानी और प्रयास आवश्यक है| नायट्रोग्लिसरिन और ऍस्पिरिन सिर्फ एक नैमित्तिक दवा है| इसके असली धोखे समझकर सही इलाज होना जरुरी है| अपनी दवाओंको हमेशा साथ रखे|

 

डॉ. शाम अष्टेकर २१, चेरी हिल सोसायटी, पाईपलाईन रोड, आनंदवल्ली, गंगापूर रोड, नाशिक ४२२ ०१३. महाराष्ट्र, भारत

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