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हल्की, मध्यम और गम्भीर डायबिटीज़

डायबिटीज़ को खाना खाने के बाद शिरा से लिए गए खून में शक्कर की मात्रा के अनुसार वर्गीकृत किया जाता है। अगर यह मात्रा 160 से 250 मिलीग्राम हो तो यह हल्की है। 250 से 350 मिलीग्राम मात्रा होने पर डायबिटीज़ मध्यम दर्जे की मानी जाती है। और 350 मिलीग्राम से ज्यादा मात्रा होने पर इसे गम्भीर माना जाता है।

देखभाल

डायबिटीज़ होने पर खास देखभाल की ज़रूरत होती है। डायबिटीज़ में देखभाल के लिए पाँच चीज़ों पर ध्यान दिया जाना ज़रूरी होता है। आहार, शक्कर की मात्रा की जाँच, दवाइयाँ, कसरत और ज़ख्मों से बचाव।

आहार

डायबिटीज़ से पीड़ित व्यक्ति को उतनी ही कैलोरी और प्रोटीन की ज़रूरत होती है, जितनी कि किसी स्वस्थ व्यक्ति को। पर सबसे महत्वपूर्ण यह तय करना होता है कि क्या खाया जाए और खाना किस-किस समय व कितना खाया जाए। इसे एक उदाहरण के द्वारा समझाया गया है। मान लीजिए किसी व्यक्ति को 2000 कैलोरी की ज़रूरत है। सैध्दान्तिक रूप से ये उसे 500 ग्राम कार्बोहाईड्रेट (4 कैलोरी प्रति ग्राम), या 250 ग्राम वसा (8 कैलोरी प्रति ग्राम) से मिल सकती है। एक स्वस्थ व्यक्ति इन दोनों का कोई भी जोड़ ले सकता है। परन्तु एक डायबिटीज़ से ग्रसित व्यक्ति को ध्यान से यह तय करना होता है कि क्या कितना ले। अब यह तय किया जा चुका है कि डायबिटीज़ से ग्रसित व्यक्ति के लिए कैलोरी की आपूर्ति इस तरह से होनी चाहिए।

  • कार्बोहाइड्रेट से मिलने वाली कैलोरी पूरे खाने की 60 प्रतिशत होनी चाहिए।
  • सारी कैलोरी का 22 प्रतिशत प्रोटीन से मिलना चाहिए।
  • बाकी कैलोरी (18 प्रतिशत) वसा से मिलनी चाहिए।

आहार की योजना इन सिध्दान्तों के अनुसार बनाई जाती है: यह मानना ठीक नहीं है कि डायबिटीज़ के मरीज़ के आहार में चावल नहीं होना चाहिए। आमतौर पर ऐसी चीज़ें नहीं लेनी चाहिए जिनसे शक्कर के स्तर में अचानक बढ़ोत्तरी होती है। इसलिए शक्कर और मिठाई पर रोक रहती है।

डायबिटीज़ का मरीज़ गेहूँ या चावल या दोनों ले सकता है। आहार तय करने के लिए चार्ट मिलते हैं। व्यक्ति बिना कैलोरी वाली चीज़ें खूब खा सकता है। जैसे सब्ज़ियाँ। परन्तु एक व्यक्ति जिसका भार ज़रूरत से ज्यादा हो, उसे अपने आहार पर इस तरह नियंत्रण करने की ज़रूरत होती है कि उसका भार धीरे-धीरे कम हो जाए। डायबटीज़ के मरीज़ को नियमित अन्तराल पर खाना खाते रहना चाहिए। भूखे रहने से बचना चाहिए। इससे खून में शक्कर की मात्रा में अचानक कमी आ जाती है। खासकर तब जब व्यक्ति डायबिटीज़ की दवा भी ले रहा हो।

शक्कर के स्तर की जाँच करना

ज्यादातर लोग पेशाब में शक्कर की मात्रा की जाँच कर सकते हैं। ये नीचे दिए गए तरीकों से किया जा सकता है। आजकल डुबाकर टेस्ट करने वाली पटि्टयाँ बन्द बोतलों में मिलती हैं। ये पटि्टयाँ बहुत ही संवेदनशील होती हैं। ऐसी एक पट्टी को पेशाब के ताज़े नमूने में भिगोएँ और पन्द्रह मिनट बाद इसका मिलान बोतल पर दिए गए रंग के चार्ट से करें। हम इन पटि्टयों को लम्बाई में दो या तीन पटि्टयों में काट सकते हैं। इससे यह टेस्ट कहीं ज्यादा सस्ता हो जाता है। हर बार इस्तेमाल के बाद बोतल को कसकर बन्द कर दें। क्योंकि हवा और प्रकाश से ये पटि्टयाँ अपनी संवेदनशीलता खो देती हैं।

दवाइयाँ
insulin-syringe
इन्शुलीन सिरींज

जुवेनाइल डायबिटीज़ के लिए इन्सुलिन ज़रूरी है। इन्सुलिन कब व कितना दिया जाना है यह डॉक्टर ही तय करता है। गाँव में इन्सुलिन का इलाज करवाना मुश्किल होता है। इन्सुलिन को फ्रिज में रखा जाना ज़रूरी होता है। अगर आपके गाँव के किसी रोगी को इन्सुलिन की ज़रूरत हो तो आपको इन्सुलिन के इंजैक्शन देने का तरीका सीख लेना चाहिए।

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डॉ. शाम अष्टेकर २१, चेरी हिल सोसायटी, पाईपलाईन रोड, आनंदवल्ली, गंगापूर रोड, नाशिक ४२२ ०१३. महाराष्ट्र, भारत

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