गम्भीर आहार विषाक्तीकरण ज़्यादातर बैक्टीरिया के प्रदूषण से होता है। खाने पीने युक्त भोजन में सफाई न होना इसका मुख्य कारण है। खाने में विषाक्तता बैक्टीरिया या फफूँद से आ जाता है। कई तरह के बैक्टीरिया से यह समस्या बनती है।
ये बैक्टीरिया अनाज में पैदा होते हैं और अनाज के पकने से भी नहीं मरते। बने हुए चावल को बहुत देर रखकर खाने से उसमें ये बैक्टीरिया काफी संख्या में पैदा हो जाते हैं। ये बैक्टीरिया रोग विष पैदा करते हैं इससे 6 से 16 घण्टों के अन्दर ही उल्टियॉं और पतली दस्त शुरू हो जाती है और करीब 24 घण्टों में रूकती है।
ये कीटाणु खाने में उँगलियॉं, मक्खियों, पानी, गन्दे बर्तनों आदि से आ जाते हैं। 6 से 72 घण्टों के अन्दर दस्त, उल्टियॉं और बुखार शुरू हो जाता है। यह कई दिनों तक चलता है कभी-कभी तो 2 से 3 हफ्तों तक भी। कुछ लोग छूत के वाहक भी बन जाते हैं।
मवाद पैदा करने वाले बैक्टीरिया अक्सर खाना बनाने वालों से ही आ जाते हैं। जख्म और फोड़े इसके आम स्रोत हैं। अगर किसी मवेशी के स्तनों में छूत हो तो उनका दूध भी इन बैक्टीरिया का एक स्रोत है। ये बैक्टीरिया का रोगविष बनाते हैं। जो उबलने से भी बेअसर नहीं होता। इसके लक्षण हैं उल्टियॉं, पेट के निचले हिस्से में दर्द, कमजोरी, शरीर का तापमान कम हो जाना या लगातार हल्का बुखार रहना। बीमारी 1-6 घण्टों में शुरू हो जाती है और एक से दो दिनों तक रहती है।
यह आमतौर पर मॉंसाहारी खाने में मिलता है। खासकर डिब्बाबन्द खाने में अगर उसमें पर्याप्त मात्रा में हवा न हो। ऐसे में खाना खराब दिखेगा। उसेमें कुछ काला काला व झाग दिखाई देंगे। कीटाणु खाने के डिब्बे में सालो तक रह सकते हैं। ऐसा खाना खा लेने से 8 से 96 घण्टों के अन्दर व्यक्ति बहुत अधिक बीमार हो जाता है। इस छूत में भी दस्त व उल्टियॉं होती हैं। एक और तरह के क्लोस्ट्रीडियम (बोटुलिज़म) से सिर में दर्द, दो दो दिखाई देने, सिर चकराने और गले की पेशियों में लकवे की शिकायत हो सकती है। अगर इस बीमारी का आपात्कालीन इलाज न किया जाए तो इससे मृत्यु भी हो सकती है।
प्रदूषण मल से होता है, जो खाने में प्रवेश करता है । 12 से 72 घण्टों के अन्दर उल्टियॉं, पतली टटि्टयॉं, और पेट में दर्द शुरू हो जाता है। बीमारी करीब 3 से 5 दिनो तक रहती है। बहुत ज़्यादा घूमने वाले लोगों को जो दस्त होते हैं वो इसी छूत से होते हैं।
ये कीटाणु खाने में उँगलियॉं, मक्खियों, पानी, गन्दे बर्तनों आदि से आ जाते हैं। 6 से 72 घण्टों के अन्दर दस्त, उल्टियॉं और बुखार शुरू हो जाता है। यह कई दिनों तक चलता है कभी-कभी तो 2 से 3 हफ्तों तक भी। कुछ लोग छूत के वाहक भी बन जाते हैं।
बाजरे में आरगोट से फफूँद का जीवविष बन जाने से आक्षेप होने लगते हैं। लक्षण तुरन्त ही दिखाई देने लगते हैं और इससे मौत भी हो सकती है। लगभग सभी तरह की आहार विषाक्तीकरण में उल्टियॉं और दस्त होते हैं कभी-कभी झटके बेहोशी और मौत तक हो जाती है।
अगर कई लोगों ने एक साथ दूषित खाना खाया हो तो उन सब को एक साथ विषाक्तीकरण हो जाती है। खाना खाने के कुछ ही घण्टों में असर दिखाई देने लगता है।
आहार विषाक्तीकरण काफी खतरनाक होती है और इसके लिए अस्पताल ले जाना ज़रूरी है। उल्टी से आमतौर पर पेट में गया जहर निकल जाता है और इससे फायदा होता है। कभी-कभी खाना बाहर निकल जाने के बावजूद भी उल्टियॉं आती रहती हैं। ऐसे में उल्टी रोकने की दवा प्रोमेथाज़ीन देने से फायदा होता है। रोगी को अस्पताल ले जाना ज़रूरी है क्योंकि बड़े स्तर पर आहार विषाक्तीकरण एक चिकित्सीय कानून मामला होता है। आहार विषाक्तीकरण हो जाने पर ये-ये करें