दाँतों में कीड़े लगना दाँत की सबसे आम बीमारी है। यह किसी भी उम्र में हो जाती है। असल में यहॉं कोई कीडा नही होता, एक जीवाणू संक्रमण ही होता है। दूध के दाँतों में क्योंकि इनेमल कमज़ोर होता है इसलिए इन में छेद बहुत आसानी से हो जाते हैं। इसके अलावा दाँतों को ठीक से साफ न रखने व मीठी चीज़ों से भी छेद होने की संभावना बढ़ जाती है। पीने के पानी में फ्लोराइड की कमी से भी दाँत में छेद हो जाते हैं। दूसरी ओर दाँत मंजन में अधिक मात्रा में फ्लोराइड होना भी दाँतों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
दाँतों में छेद होने में घटनाओं की श्रृंखला इस प्रकार होती है – ठीक से दाँत साफ न करना – मुँह में मौजूद बैक्टीरिया से खाने के कणों का सड़ने लगना – इस प्रक्रिया से अम्ल निकलना – और इस अम्ल से दाँतों का खराब होना।
हम इस श्रृंखला को पहली कडी में ही तोड़ सकते हैं। हर बार खाना खाने के बाद ठीक से ब्रश करना दाँतों की सड़न रोकने का सबसे आसान व असरकारी तरीका है। साथ में दिए गए चित्र में दाँतों के सड़ने की विभिन्न अवस्थाएं दिखाई गई हैं। हर अवस्था में अलग अलग तरह का दर्द होता है।
इनेमल का क्षरण की पहली अवस्था में हर बार खट्टा, ठंडा और मीठा खाने से दर्द होता है। दर्द सिर्फ कुछ ही देर के लिए होता है और इसके लिए कोई भी दवाई देने की ज़रूरत नहीं होती। हालांकि दाँत को बचाने के लिए क्षरण भरना फायदेमंद होता है।
इनेमल और डेन्टाइन के क्षरण की दूसरी अवस्था के साथ भी इसी तरह का दर्द होता है। इसके लिए भी भरे जाने की ज़रूरत होती है।
इस अवस्था में दाँत की अंदरुनी गुफा खुल जाती है। इससे बार बार संक्रमण हो कर दाँत में पीप जमा हो जाती है। इससे बहुत ज़ोर का दर्द होता है। अक्सर साथ में बुखार भी हो जाता है। बैक्टीरिया रोधी दवाई और दर्दनिवारक दवाइयों से संक्रमण और दर्द ठीक हो जाते हैं। परन्तु केवल कुछ दिनो बाद बीमारी फिर लौट जाती है। रूट केनाल (दाँत के अंदर की भाग तक जड से रहना) को भरा जाना या फिर दाँत निकाल देना ही स्थाई इलाज हैं।
दाँत की गुफा में संक्रमण की अगली अवस्था है जबडे की हड्डी का संक्रमण। अगर इसका इलाज न हो तो यह एक चिरकारी बीमारी बन सकती है। इससे जबड़े का प्रभावित वाला भाग सूज जाता है। कभी कभी संक्रमण वाली हड्डी में से पीप निकल कर गालों तक पहुँच जाती है। इससे गाल में सूजन और दर्द होने लगता है। बैक्टीरिया रोधी दवाई और दर्दनिवारक दवाइयों से कुछ समय के लिए फायदा होता है। परन्तु दाँतों के डाक्टर से इलाज ही ज़रूरी है।
बचपन में दाँतों में क्षरण होना स्वाभाविक है। यह मानना कि इनके लिए इलाज की ज़रूरत नहीं होती, बिल्कुल गलत है। क्षरण वाले दूध के दाँतों पर ध्यान न देने से दाँत जल्दी गिर सकते हैं। इससे स्थाई दाँत भी ठीक सीध में नहीं आते। संक्रमण भी बहुत आम हैं और इनसे शरीर के अनेक अंगों की बीमारियॉं भी हो जाती हैं।
बचपन में दाँतों में हुए क्षरण के लिए सीमेंट से भरा जाना सबसे अच्छा तरीका है। दॉंत के डॉक्टर न हो तो स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को यह उपयोगी तकनीक ज़रूर सीखनी चाहिए। ५ से ७ दिनों के लिए बैक्टीरिया रोधी दवाई ज़रूर देनी चाहिए। इससे कम समय का इलाज रोगी के लिए नुकसान देह हो सकता है। इसके कारण समुदाय में बैक्टीरिया रोधी दवाई क्षमता भी कम होती है। दर्दनिवारक दवाएं (पैरासिटेमाल के अलावा) भी शोथ कम करने में सहायक होती हैं।
कुछ मामलो में दाँत निकाल देना ही समस्या को हमेशा के लिए खतम कर देने का एकमात्र तरीका होता है। परन्तु कई बार रूट केनाल को भर देने से दाँत को बचाना संभव होता है। दाँत खो देने का सबसे आम कारण क्षरण हैं।
दाँत किसी चोट, संक्रमण या सिर्फ बुढ़ापे के कारण हिलते हैं। कोई भी ऐसी दवाई उपलब्ध नहीं है जिससे हिलने वाले दाँतों को पक्का किया जा सके। अगर दाँत किसी चोट के कारण केवल थोड़ा सा ही हिला होता है तो पास की जड़ की हड्डी इसे ठीक करके जमा सकती है। परन्तु बुढ़ापे के कारण दाँत का हिलना फिर से ठीक नहीं होता।
अगर जडें ही टूट जाएं तो रोगी को दाँत के डाक्टर के पास भेज दें। क्योंकि ऐसे में ऐनेस्थीशिया (संवेदनाहारक) देकर दाँत को निकालने की ज़रूरत हो सकती है। परन्तु यह पता लगाने के लिए कि क्या जड़ टूटी है, अनुभव की ज़रूरत होती है।
दूध का हिलता हुआ दाँत और बुढ़ापे में हिलता हुआ दाँत आसानी से निकाला जा सकता है। आप भी ये कर सकते हैं क्योंकि ऐसे में इसकी जड़ पहले से ही कमज़ोर हो गई होती है। एक आसान तरीका है हिलते हुए दाँत को एक धागे की गांठ से बांध दें और फिर धीरे से खींच लें। यह तकनीक सीखना काफी आसान है। यूनीवर्सल दाँत की चिमटी इस्तेमाल करके स्थानीय ऐनेस्थीशिया (संवेदनाहारक) देकर दाँत निकाला जा सकता है। इसे प्रयोग करने से पहले किसी दाँत के डाक्टर से ठीक से सीख लें।
अक्सर दाँत निकालने के बाद खून का एक धब्बा दिखाई देता है। अगर ज़्यादा खून निकल आए तो खोल (सॉकेट) में रूई का एक फाहा रख कर उसे ज़ोर से दबाएँ। फिर उस व्यक्ति से इसे जबड़े में कस कर दबा कर रखने के लिए कहें। खून निकलना आमतौर पर आधे घंटे में बंद हो जाएगा। अगर रूई का फाहा खून से भीग जाए तो उसे निकाल कर दूसरा फाहा लगा दें।
गॉंव के कुछ औषधियों से इलाज करने वाले लोग ऐसी औषधियों के बारे में बताते हैं जिनसे हिलता हुआ दाँत जमाया जा सकता है। ऐसे दावों को मान लेने या रद्द कर देने से पहले इनकी सत्यता की विशेषज्ञोंसे जांच कर लें।