मूत्र तंत्र का संक्रमण
पेशाब में पीप

पेशाब में पीप होना, खासकर वयस्कों में एक काफी आम शिकायत होती है। कई पुरूषों को यह डर लग जाता है कि उनका वीर्य पेशाब के रास्ते बाहर आ रहा है। और इसलिए वो डॉक्टर की मदद चाहते हैं। बहुत से बेकार के यौन रोगों के क्लीनिक इसी गलत डर पर धन्धा चलाते है। परन्तु रात को स्वप्नदोष होना और पेशाब में पीप आने में बहुत फर्क है। पेशाब में पीप की पक्की जॉंच सूक्ष्मदर्शी से ही हो सकती है। पेशाब में गन्दलेपन की जॉंच से मदद मिलती है, पर यह पर्याप्त नहीं है।

पीप के कारण

पेशाब में पीप आमतौर पर मूत्रमार्ग और मूत्राशय में बैक्टीरिया की संक्रमण के कारण आती है। गोनोकोकस बैक्टीरिया जिससे परमा होता है इसका एक आम कारण है। ट्राईकोनोमास संक्रमण एक और कारण है जो की असल में एक साधारण यौन रोग है। क्लैमाइडिआ एक और प्रकार का संक्रमण है।

पुरूषों में पेशाब करने के बाद पीप का एक बूँद आना शुक्रवाहिका में चिरकारी शोथ का लक्षण है। पुरस्थ में शोथ या शुक्र वाहिका में संक्रमण से शौच करने के बाद लिंग से पीप की एक बूँद निकलती है (पुरूष जनन अंगो वाला अध्याय देखें)। औरतों में ट्राइकोनामास योनिशोथ, क्लैमाइडिया और सुजाक पेशाब में पीप आने के आम कारण हैं।

पेशाब में खून

गुर्दों से लेकर मूत्रमार्ग में कहीं भी खून निकलने पर पेशाब में खून आएगा। अगर थोड़ा सा ही खून निकले तो पेशाब लाल नहीं दिखता। सिर्फ सूक्ष्मदर्शी से ही इसका पता चलता है। पेशाब लाल दिखने के लिए ज़्यादा खून चाहिए। पेशाब में खून आने के ये कारण हो सकते हैं –

  • सॉंप का काटना (वाइपर), जिससे खून पतला और जादा प्रवाही होता है।
  • रक्त स्त्राव की प्रवृत्ति (खून के कैंसर में)।
  • मूत्रतंत्र में पथरी जो पेशाब के रास्ते को कुरेदती है।
  • पेशाब के रास्ते का कैंसर जहॉं से खून निकलता है।
  • पेशाब के रास्ते में चोट।
  • फालसीपेरम मलेरिया में पेशाब का रंग लाल काला हो जाता है। (लाल चाय जैसे) ऐसा खून के बाहर आ जाने से होता है (कालामेह ज्वर)।

खाने की कुछ चीज़ें और दवाइयॉं भी पेशाब का रंग लाल कर देती हैं। (जैसे चकुन्दर और फीनाज़ोपायारिडीन दवा) रोगी आमतौर पर पेशाब में खून आने से काफी घबरा जाते हैं। ऐसे मामलों में तुरन्त अस्पताल भेजना ही सबसे ज़्यादा ठीक होगा।

पेट में दर्द और मूत्रतंत्र

पेट में दर्द मूत्रतंत्र की बीमारियों का एक आम लक्षण है। परन्तु बीमारी के अनुसार दर्द का प्रकार और जगह बदल जाती है। दर्द हल्के या जोर का हो सकता है। यह लगातार भी हो सकता है और कभी-कभी कम ज्यादा भी हो सकता है। पेट में दर्द अक्सर सामने की ओर जाता है।

गुर्दे से जुड़ा दर्द नाभि से २ या ३ इंच बाजु में होता है। यह पीछे की ओर ज़्यादा महसूस होता है। दर्द सबसे नीचे वाली पसली के पास पीछे की ओर होता है। मूत्रतंत्र की बीमारियों से सम्बन्धित पेट के दर्द के कारण और प्रकार के बारे में विस्तार से जानकारी पाचन तंत्र के अध्याय में पेट दर्द के निदान वाले हिस्से में दी गई है।

मूत्र वाहिनी में दर्द

पेट के साईड में मूत्रवाहिनी का दर्द आमतौर पर पथरी के कारण होता है। यह दर्द अलग ही तरह का होता है। दर्द सहना मुश्किल होता है। यह जाँघ की तरफ जाता है। यह दर्द क्योंकि पेशीय होता है इसलिए यह लहरों में उठता है। पीठ में शुरू होकर सामने की ओर आता है।

पेट में बाई ओर आमतौर पर किसी भी और बीमारी में ऐसा दर्द नहीं हो सकता। दाहिनी तरफ ऐसा दर्द अपेडिसाईटिस से भी हो सकता है। औरतों में डिम्ब ग्रंथियों की बीमारियों और अस्थानिक गर्भ होने से भी ऐसा दर्द हो सकता है।

पेशाब के रास्ते में संक्रमण का दर्द

पेशाब के रास्ते में संक्रमण के कारण दर्द के साथ साथ उल्टियॉं, दर्द, पेशाब में गन्दलापन या लाल रंग दिख सकता है।

मूत्राशय का दर्द

मूत्राशय से सम्बन्धित दर्द अगर शोथ के कारण हो तो हल्का ही होता है। पर अगर यह दर्द पेशाब इकट्ठा हो जाने के कारण हो तो यह बहुत जोर का होता है। मूत्राशय के शोथ में जलन एक आम लक्षण है। मूत्रमार्ग का दर्द जलन, कटने जैसा और तीर के जैसा होता है। यह लिंग या भग की तरफ जाता है। इसकी दिशासे से इसे आसानी से पहचान सकते है।

शीघ्र गुर्दा-शोथ
facial swelling
गुर्दे के तीव्र शोथ में चेहरे पर सूजन

गम्भीर वृक्कशोथ या गुर्दों का शोथ सामान्यतया बैक्टीरिया से होता है। यह आमतौर पर बार बार गले के संक्रमण होने के बाद स्ट्रेप्टोकोकल बैक्टीरिया के कारण होता है। यह बीमारी सामान्यतया बालकों में दिखाई देती है।

लक्षण

चेहरे में सूजन (खासकर सुबह के समय), पेशाब की मात्रा में कमी, पेशाब में लाली और बुखार गम्भीर वृक्कशोथ के लक्षण हैं। इसमें रक्तचाप भी बढ़ जाता है। पेशाब की जॉंच में प्रोटीन और लालरक्त कोशिकाएँ निकलती है। २४ घण्टों में पेशाब का कुल आयतन ५०० मिलीलीटर तक रह जाता है। साथ में पेट में दर्द, उल्टियॉं और सिरदर्द भी हो सकते हैं।

इलाज

ऐसे लक्षणों में तुरन्त किसी विशेषज्ञ को दिखाया जाना ज़रूरी होता है। समय पर और उचित इलाज होने पर गम्भीर गुर्दा शोथ पूरी तरह से ठीक हो सकता है परन्तु निदान में देरी जानलेवा भी हो सकती है।

 

डॉ. शाम अष्टेकर २१, चेरी हिल सोसायटी, पाईपलाईन रोड, आनंदवल्ली, गंगापूर रोड, नाशिक ४२२ ०१३. महाराष्ट्र, भारत

message-icon shyamashtekar@yahoo.com     ashtekar.shyam@gmail.com     bharatswasthya@gmail.com

© 2009 Bharat Swasthya | All Rights Reserved.