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कामकाजी अस्वास्थ्य से बचाव

ज़्यादातर बिमारियाँ, विकलांगता और मौतें असल में व्यवसायों से जुड़ी होती हैं। इनमें से ज़्यादातर की तो कोई गिनती ही नहीं है और बाकि पर ध्यान नहीं दिया जाता। ज़्यादातर पेशे राष्ट्रीय और विश्वीय अर्थव्यवस्था से जुड़े होते हैं। इसलिए ऐसा मान लिया जाता है कि व्यवसाय से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याएं तो जीवन का हिस्सा हैं यानी उनसे बचा नहीं जा सकता। उदाहरण के लिए ऐसा माना जाता है कि देह व्यापार को रोका नहीं जा सकता क्योंकि इसका मुख्य कारण गरीबी होता है। और देह व्यापार जिन व्यवसाय के कारण सबसे ज़्यादा पनपता है – यानी कि यातायात उद्योग और प्रवासी मजदूरों के कारण – वो तो मौजूदा अर्थव्यवस्था का हिस्सा हैं।
शायद आज की स्थिति में ये खतरनाक उद्योग और तौर तरीके बदले नहीं जा सकते, पर ऐसा मानकर नहीं चलना चाहिए कि स्वास्थ्य समस्याओं से बिल्कुल ही बचा नहीं जा सकता। ऐसी कोशिश होनी चाहिए कि व्यावसायिक खतरों को कम किया जा सके, स्वास्थ्य और ठीक तरह की जिंदगियों को बढ़ावा दिया जा सके। व्यावसायिक खतरे कम करने के लिए एक योजना नीचे दी जा रही है।

दुर्घटनाओं से बचाव

व्यवयायिक स्वास्थ्य की सभी कोशिशों में यह प्रमुख है। थोड़ी सी सावधानी से कई दुर्घटनाएं रोकी जा सकती हैं। इसके लिए हमें मशीनों, उपकरणों, काम करने के तरीकों और काम की व्यवस्था को ठीक करना चाहिए। हमें बचाव के लिए सिर की टोपियों (हैलमेट), जूतों, सुरक्षित मशीनों, मजदूरों में अधिक जानकारी और उचित देखभाल को बढ़ावा देना चाहिए। सभी व्यवसायों में लोगों को दुर्घटनाओं से बचाव के लिए सही तरीकों के बारे में सोचना चाहिए।

आम स्वास्थ्य खतरो को पहचानने की कोशिश करें

दुर्घटनाओं के अलावा काम की जगहों के कुछ आम स्वास्थ्य के खतरे होते हैं। उदाहरण के लिए कीटनाशक छिड़कने वाला व्यक्ति लगातार ज़हरीली गैसों को सांस में लेता है। आटे की चक्की चलाने वाले व्यक्ति के शरीर में सांस के साथ आटा अंदर जाता है। मवेशियों की रहने की जगहों की सफाई करने वाले व्यक्ति का संपर्क जानवरों के मलमूत्र और कीटाणुओं से होता रहता है। यौन कामगारों को लगातार एड्स और अन्य यौनजनित रोगों का सामना करना पड़ता है। स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के रूप में हमें पेशा से जुड़े स्वास्थ्य के इन विभिन्न खतरों को ध्यान में रखना चाहिए और इन व्यवसायों में लगे लोगों की मदद करने के तरीके खोजने चाहिए।

प्राथमिक चिकित्सा का प्रबंध

प्राथमिक चिकित्सा, स्वास्थ्य जांच, उपचार और बाद में ध्यान देने की व्यवस्था करें। प्राथमिक चिकित्सा की अच्छी सी किट सभी जगह उपलब्ध होनी चाहिए। अगर कीटनाशक से ज़हर शरीर में पहुँचने का खतरा है तो किट में ऐट्रोपिन के इन्जैक्शन ज़रूर होने चाहिए। प्राथमिक चिकित्सा किट के उपलब्ध होने के अलावा यह भी ज़रूरी है कि काम की जगह पर कोई व्यक्ति मौजूद हो जो इस किट का इस्तेमाल कर सके।

नियमित स्वास्थ्य जांच और देखभाल

काम के कारण शरीर को हो रहे नुकसान का पता करने के लिए स्वास्थ्य की नियमित जांच ज़रूरी है। उदाहरण के लिए यौन कामगारों में एड्स की नियमित जांच उनके अपने स्वास्थ्य के लिए भी ज़रूरी है और इस बीमारी को फैलने से रोकने के लिए भी। हर व्यवसाय के कुछ अपने खतरे होते हैं। इनकी जानकारी आपको खास तरह की पुस्तिकाओं में मिल सकती है। इन से आपको शरीर को होने वाले नुकसान का पता चल सकेगा और इसे रोकने के तरीके भी पता चल सकेगें।
पेशा संबंधित स्वास्थ्य खतरों से जुड़ी स्वास्थ्य सेवा अकसर काफी विशेष प्रकार की होती है। सभी जगहों पर यह उपलब्ध नहीं होती। काम की जगह के मालिक का यह फर्ज़ है कि वो इसके लिए व्यवस्था करे। उदाहरण के लिए अगर किसी उद्योग में चोट लगने की संभावना है तो यह ज़रूरी है कि पास ही में उपचार का कोई केन्द्र हो। हर पेशा में उससे जुड़े हुए स्वास्थ्य के खतरों की सूची बनाकर रखनी ज़रूरी है।

दुर्घटनाओं और खतरों को कम करें

उद्योगों, मैनेजमैंट (प्रबंधकों), मजदूरों और सरकार को ऐसे तरीके खोजने चाहिए जिनसे व्यवसाय से जुड़े स्वास्थ्य के खतरों को कम किया जा सके या खतम किया जा सके। उदाहरण के लिए सांप के काटने से बचाव का एक उचित तरीका जूते पहनना है। यौन व्यापार में कंडोम के उपयोग द्वारा एड्स से कुछ हद तक बचाव तो होता ही है। इमारतें आदि बनाने के काम की जगह पर सिर पर टोपी (हैलमेट) पहनना अनिवार्य होना चाहिए। इसी तरह वैल्डिंग का काम कर रहे मजदूरों के लिए चश्मा पहनना अनिवार्य होना चाहिए। कीटनाशकों का छिड़काव कर रहे व्यक्ति को मुँह पर कपड़ा आदि बांधना चाहिए और उसे हमेशा हवा की दिशा में छिड़काव करना चाहिए उल्टी दिशा में नहीं। आटे की चक्कियों में जिस जगह से आटा निकलता है वहॉं प्लास्टिक की एक थैली लगा देने से आटे की धूल का उड़ना रोका जा सकता है। इससे आटे की धूल का खतरा काफी कम हो जाता है। मशीनों और काम करने के तरीकों में भी सुधार की ज़रूरत है। कभी कभी सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए हमें काम का तरीका ही बदलना पड़ता है।

लेखा जोखा रखें और रिपोर्ट बनाएं

किसी किसी तरह की चोटों के लिए यह ज़रूरी होता है कि उनका लेखा जोखा रखा जाए और उनकी रिपोर्ट दी जाए। उद्योगों में होने वाली सभी दुर्घटनाओं की जानकारी फैक्टरी इंस्पैक्टर को दी जानी चाहिए। विकासशील देशों में रजिस्टर्ड जगहों के अलावा भी काफी आर्थिक क्रियाकलाप होते रहते हैं। इनमें से बहुतों का कोई लेखा जोखा नहीं रखा जाता और न ही कोई उनके ऊपर कोई ध्यान देता है। परन्तु अगर स्वास्थ्य कार्यकर्ता ऐसे किसी क्षेत्र में ऐसी सेवा शुरु करना चाहते हैं तो उन्हें चोटों, सांप के काटने, कुत्ते के काटने, साथ जुड़े संक्रमणों, कीटनाशकों से ज़हर शरीर में जाने आदि की घटनाओं का लेखा जोखा रखना चाहिए। कुछ समय में इस तरह के रिकॉर्ड से व्यवसायों से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं में प्राथमिकताएं तय करने में मदद मिलेगी।

 

डॉ. शाम अष्टेकर २१, चेरी हिल सोसायटी, पाईपलाईन रोड, आनंदवल्ली, गंगापूर रोड, नाशिक ४२२ ०१३. महाराष्ट्र, भारत

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