sexually transmissible यौन संक्रामक बीमारियाँ जनन-मूत्र तंत्र
योनिशोथ और शिश्न मुण्ड शोथ

यौन संक्रमण के कारण लिंग के सिरे में शोथ या योनि में शोथ हो जाना बहुत ही आम है। कैंडिडा (एक फफूँद) और ट्राईकोमोनास (अमीबा जैसा) दो प्रमुख जीवाणु हैं जिनसे यह शोथ होते हैं। अन्य जीवाणुओं द्वारा होने वाले संक्रमण कम नजर आते हैं। इन दो जीवाणुओं के अलावा किसी और जीवाणुओं से होने वाला योनि शोथ या शिश्न मुण्ड शोथ मधुमेह का लक्षण हो सकता है। अगर ये शोथ बार-बार हो तो पेशाब में शक्कर की जाँच करें।

निदान और इलाज

कैंडिडा वाले शोथ में संक्रमणग्रस्त अंदरुनी त्वचा में से दही जैसी पपड़ियाँ निकलती हैं। इन सभी जगह लाली हो जाती है। आमतौर पर एक बार जैन्शन वायलेट लगाने से यह बीमारी पूरी तरह से ठीक हो जाती है। अगर ज़रूरत हो तो आप इसे दोबारा भी लगा सकते हैं। एक और फफूँद विरोधी दवाई (निस्टेटिन) भी उतनी ही असरकारी होती है।

ट्राईकोनोमास संक्रमण

ट्राईकोनामास संक्रमण में जनन अंगों की अन्दरूनी त्वचा में छोटे-छोटे लाल निशान हो जाते हैं। (इन जीवाणुओं द्वारा योनिशोथ के बारे में अधिक जानकारी के लिए महिला प्रजनन तंत्र वाला अध्याय पढ़ें।) योनिशोथ और शिश्न मुण्ड शोथ दोनों के इलाज के लिए सफाई बेहद ज़रूरी होती है। दोनों यौन साथियों का इलाज करें। मैट्रानिडाज़ोल या टिनिडाज़ोल की दो ग्राम की गोली एक खुराक में दें।

यौन रोग और लक्षणों के समूह – एक अनोखा रास्ता

आमतौर पर स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के लिए और जन सामान्य को एक यौन रोग से दूसरे में फर्क कर पाना आसान नहीं होता। कई बार डॉक्टरों के लिए भी यह फर्क कर पाना आसान नहीं होता। ऐसे में यौन रोगों के इलाज के लिए एक आसान रास्ता है। इस रास्ते के अनुसार कुल यौन रोगों को तीन मुख्य समूहों में बाँटा गया है:

छाले, मूत्रमार्ग में से स्त्राव, गिल्टियाँ और पेट में दर्द।

गिल्टियाँ तीन यौन रोगों में होती हैं _ एलजीवी, सिफलिस या नरम व्रण। छाले सिफलिस, नरम व्रण या जांघ में ग्रेनुलोमा बीमारी में होते हैं। और मूत्रमार्ग में स्त्राव सुजाक या किन्हीं और कीटाणुओं के कारण होते हैं। इन तीन लक्षणों के बारे में और अधिक इसी अध्याय में यौन रोगों से सम्बन्धित तालिका में पढ़ें। चौथा है पेडू में दर्द, जो सुजाक या गोनोरिया में होता है।

मूत्रमार्ग शोथ दर्द और जलन

सुजाक, ट्राईकोनोमास और मूत्रमार्ग शोथ के अलावा कुछ और भी जीवाणुओं से मूत्रमार्ग शोथ होता है। मूत्रमार्ग शोथ यौन सम्बन्धों से फैलता है। नई-नई शादी वाले दम्पत्ति में ट्राईकोनोमास के अलावा और भी कई वायरसों से मूत्रमार्ग शोथ हो जाता है। यह आमतौर पर अपने आप ३ से ४ दिनों में ठीक हो जाता है। या फिर आप इसका इलाज डॉक्सीसाइक्लीन से कर सकते हैं। इससे बीमारी और भी जल्दी ठीक हो जाती है।

यह बीमारी पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में ज्यादा होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि पुरुषो में में मूत्रमार्ग यौनिक सम्पर्क की जगह से काफी दूर होता है। महिलाओं में मूत्रमार्ग यौन क्रिया में सीधे सम्पर्क में रहता है। इसलिए जो जीवाणु पुरुषों में मूत्रमार्ग शोथ के लिए ज़िम्मेदार होते हैं उन्हीं से महिलाओं में मूत्रमार्ग शोथ की जगह योनि शोथ और गर्भाशयग्रीवा का शोथ हो जाता है।

इलाज

आमतौर पर इलाज के लिए डॉक्सीसाइक्लीन ठीक रहती है। सोडा मिंट की गोलियों से पेशाब की अम्लीयता कम हो जाती है। इससे पेशाब करते हुए जलन भी कम होती है। फिनाज़ोपायरडीन की गोलियों से आमतौर पर फायदा होता है। खूब सारा पानी पीने से भी फायदा होता है क्योंकि इससे पेशाब तनु (पतला) हो जाता है। मूत्रतंत्र वाले अध्याय में पेशाब की शिकायतों के लिए इस्तेमाल होने वाली औषधियों के बारे में पढ़ें। आयुर्वेदिक चंद्रप्रभावटी का प्रयोग भी एक अच्छा विकल्प है।

यौन रोग – एक आसान निदान और उपचार

 

डॉ. शाम अष्टेकर २१, चेरी हिल सोसायटी, पाईपलाईन रोड, आनंदवल्ली, गंगापूर रोड, नाशिक ४२२ ०१३. महाराष्ट्र, भारत

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