पहले तिमाही में गर्भपात
निर्वात पंप से गर्भपात करना
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गर्भपात के लिये पहिला त्रैमासिक सबसे सुरक्षित होता है |
यह गर्भ के पहले तिमाही यानी १२ सप्ताह तक प्रयोग किया जा सकता है| यह एक सुरक्षित और अच्छा तरीका है| इसके अधिकांश स्थितियों में बच्चेदानी के मुँह को फैलाना नहीं पडता है| बच्चादानी या उसके मुँह में चोट लगने की संभावना कम रहती है| संक्रमण कम होता है और रक्तस्त्राव भी कम होता है| डी.एण्ड सी (क्युरेटिंग) तरीके में विपरीत घटनाओं का संभावना अधिक रहती है|
- गर्भपात कराने में कोई भी सक्षम डॉक्टर जो प्रशिक्षित हो, इसे कर सकता है|
- इसका उपयोग १२ सप्ताह तक के गर्भ की गर्भपात, १२ सप्ताह तक का अपूर्ण गर्भपात और अलक्षित गर्भपात में किया जा सकता है|
- इन महिलाओं में इसका इस्तेमाल न करे जिन्हे योनी या योनी संक्रमण के लक्षण हो, जिसमें पहले किए गए इलाज के कारण बच्चेदानी में छेद होने का संदेह है| जहॉं अस्थान गर्भ होने का संदेह है|
- इन महिलाओं में इसका इस्तेमाल करते हुए विशेष ध्यान दे – २० वर्ष से कम उम्र वाली औरते, अगर बच्चादानी में गोला है (फाईब्राइड) अगर बच्चादानी का मुँह सिकुडा हुआ है, अगर उसे पहले बच्चादानी का ऑपरेशन हुआ हो, और अगर अन्य बिमारियॉं हो जैसे बहुत ज्यादा खून की कमी, रक्तचाप बढा हुआ हो, शक्कर की बिमारी, दिल की बिमारी, गुर्दे की बिमारी हो, या खून जमने में गडबडी हो, हो,इसके इस्तेमाल में महिला को बेहोश नहीं करना पडता है, दर्द के लिए गोलियॉं और स्थानीय इंजेक्शन (सुन्नपन के लिए) पर्याप्त है|
- महिला को खतरे के संकेत के बारे में बताएँ| अगर अधिक रक्तस्त्राव या पेट में दर्द हो तो तुरंत अस्पताल वापस जाएँ|
- गर्भनिरोधक विधी अपनाना चाहे तो उपलब्ध कराएँ|
गोलियॉं द्वारा गर्भपात कराना
इसमें दो दवाओं का इस्तेमाल होता है – मेफिप्रेस्टोन और मीसोप्रोस्टॉल| यह विधी गर्भ के पहले सात सप्ताह (४९ दिन तक) सबसे प्रभावशाली होता है, मगर उसके बाद भी ९ सप्ताह (६३ दिन) तक उपयोग किया जा सकता है।
- ५% तक महिलाओं में इसके बाद अपूर्ण गर्भपात होने के कारण डी एण्ड सी करवाना पडता है, मगर बाकी में अपने आप गर्भपात पूर्ण हो जाता है|
- जिन महिलाओं को गंभीर अनिमिया है (८ ग्राम से कम) उच्च रक्तचाप है योनी प्रदाहक रोग है, मिर्गी की बिमारी है इनमें गोलियॉं न दे|
- पहले दिन मेफिप्रेस्टोन की एक गोली (२०० मि.ग्रा.) खाने को दे| तीसरा दिन मीसोप्रोस्टॉल की ४०० मैक्रोग्राम (२०० मै.ग्रा. के दो गोली) मुँह से ले या योनी में लगाएँ|
- रक्तस्त्राव ८-१३ दिन तक हो सकता है और भारी माहवारी जैसे होता है| अगली माहवारी १-२ सप्ताह देर से हो सकती है|
- महिला को काफी पेट दर्द और मितली हो सकती है| इसे कम करने की दवाइयॉं दे|
- अगर मीसोप्रोस्टॉल की गोलियॉं खाने बाद महिला तुरन्त उल्टी कर डालती है या गोली खाने से २४ घंटे बाद भी रक्तस्त्राव शुरु नही होती तो मीसोप्रोस्टॉल की ४०० मैक्रोग्राम की एक और खुराक दे|
- दुकान में सिपला कंपनी की यह किट ४९९ रुपये में बिकता है|
विशेष सूचना
- गर्भपात गर्भनिरोधन पद्धती नही है। अन्य विकल्प ना होनेपर ही गर्भपात करवाएँ। उचित समयपर गर्भनिरोधक साधनोंका प्रयोग करे और गर्भपात टालना उत्तम नीति है।
- गर्भपातमें किसी ना किसी तकलीफ या खतरे की संभावना रहती है।
- गर्भपात के बाद कभी-कभी बांझपनभी आ सकता है।
- गर्भपात हेतू कभी भी झोला छाप डॉक्टर या बाबा के पास ना जाएँ। उससे खर्च, समय और जानलेवा खतरा कईंगुना बढ जाता है। गर्भपात केंद्र भी अधिकृत होने का भरोसा कर ले।
- १२-२० हफ्तोंका गर्भपात सुव्यवस्थित अस्पतालमें ही करवाएँ।
- गर्भपात हेतू डॉक्टर भी मान्यताप्राप्त होना चाहिये। गर्भपात केंद्र में इसका दाखिला होता है।
- गर्भपात केंद्रमें सफाई ना होने पर आप वहॉं गर्भपात जरुर से इन्कार कर सकते है।
- गर्भपात करवाना गुनाह नहीं है। खुदको इसके लिये अपराधी न समझे। सही कारण हेतु गर्भपात करवाना आपका हक है।
- हर गर्भपातका ठीक पंजीयन अस्पतालमें किया जाता है।
- इस गर्भपात के बाद बच्चे की चाहत ना होने पर नसबंदी करवाना उत्तम है।
- गर्भधारण के २० हफ्तों बाद गर्भपात करवाना गैरकानूनी है और यह स्वास्थ्य के हिसाब से खतरनाक भी है। १२ हफ्तों से पहले गर्भपात करने का तरीका १२ से २० हफ्तों के बीच गर्भपात करने के तरीके से अलग होता है।
गर्भपात कौन कर सकता है?
सिर्फ प्रशिक्षित चिकित्सीय विशेषज्ञ ही गर्भपात कर सकते हैं। डॉक्टर जो विशेषज्ञ है वही गर्भपात कर सकते हैं। अन्य एम.बी.बी.एस. डॉक्टर या विशेषज्ञ भी किसी मान्यता प्राप्त सरकारी केन्द्र में गर्भपात का प्रशिक्षण हासिल कर सकते हैं। इसके बाद ही वो गर्भपात करवा सकते हैं।
मान्यता प्राप्त एम.टी.पी. केन्द्र
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मान्यता प्राप्त एम.टी.पी. केन्द्र |
एम.टी.पी. करने वाले केन्द्र में सभी सुविधाएँ उपलब्ध होनी चाहिए। और उसे मान्यता के लिए सर्टिफिकेट मिला हुआ होना चाहिए। स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा मान्यता मिले बगैर किसी भी अस्पताल या क्लीनिक में गर्भपात नहीं किया जा सकता। अगर उस केन्द्र में पेट के ऑपरेशन, खून चढ़ाने और ऐनेस्थीशिया की सुविधा हो तो २० हफ्तों के भीतर होने वाले गर्भपात की इजाज़त मिल सकता है। छोटे केन्द्रों में गर्भधारण के १२ हफ्तों के भीतर के गर्भपात हो सकते हैं। १२ हफ्तों के बाद के गर्भपात के लिए दो डॉक्टरों का सहयोग और गर्भपात का निर्णय लेना ज़रूरी है। १२ हफ्तों से कम वाले गर्भपात में एक डॉक्टर की राय भी काफी होती है।