harmonहारमोन
मधुमेह (डायबिटीज)
sugar
चीनी अल्पमात्रा में ही ठीक है,
बार बार चीनी का सेवन नुकसानदेह है|

देश में मधुमेह के रोगीयों की लगातार वृध्दि हो रही है। ऐसा रहन-सहन के तरीकों में बदलाव, ज्यादा खाने और व्यायाम में कमी के कारण हो रहा है। सभी व्यक्तियों में खाने और काम करने के तरीके की स्वस्थ आदतें डालना ज़रूरी है। हर एक व्यक्ति और समुदाय को इसमें अपना सहयोग दे ना चाहिए।

मधुमेह का मतलब है पेशाब में शक्कर का पाया जाना। सामान्यता उपवास के बाद यानी रात के खाने के पश्चात सुबह बिना कुछ खाये खून में शक्कर की मात्रा 80 से 120 मिली ग्राम प्रति 100 मिली लीटर के बीच होती है । तो मूत्र में शक्कर नहीं पायी जाती है। गर्भवति महिलाओं के मूत्र में शुगर पायी जा सकती है। जब खून में शक्कर की मात्रा 140 मिली ग्राम प्रति 100 मिली लीटर या इससे अधिक हो जाती है कि वो आसानी से मूत्र में पकड़ में आ जाती है।

मधुमेह एक आम लम्बी अवधी की बीमारी है। 45 साल से अधिक उम्रके हर 100 व्यक्तियों में से एक को मधुमेह की समस्या होती है। मधुमेह रोग बच्चों और व्यस्को दोनों में होता है। परन्तु यह मधुमेही रोगीयो में खून में शक्कर की मात्रा ज्यादा होती है उनमें से लगभग 50 प्रतिशत लोगों में बीमारी के कोई भी लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। इसलिए बीमारी का पता पेशाब या खून में शक्कर की जाँच या अचानक अन्य रोगी या घाव के ठीक न होने से पता चलता है।

प्रकार
diabetes-types
टाईप १ और टाईप २ डायबिटीस में फर्क

मधुमेह दो प्रकार का होता है। व्यस्को (बड़ों) को होने वाला आम मधुमेह मेच्योरिटी आनसेट डायबिटीज़ कहलाता है इसे टाईप 2 डायबिटीज़ कहते हैं। । दूसरे प्रकार का जन्म से होने वाले डायबिटीज़ जुवेनाइल डायबिटीज़ कहलाता है। जुवेनाइल डायबिटीज़ ज्यादा गम्भीर होता है। इसके लिए इन्सुलिन का इलाज चाहिए होता है। इसलिए इसे इन्सुलिन निर्भर डायबिटीज़ मेलीटस (आईडीडीएम) या टाईप 1 डायबिटीज़ कहते हैं। इस बीमारी का मुख्य कारण यह है कि स्वरोगक्षम हमले के कारण अग्न्नाश्य (पैनक्रियास) की कोशिकाएँ इन्सुलिन हारमोन नहीं बना पातीं। अग्न्नाश्य (पैनक्रियास) की कोशिकाओं के खराब होने की प्रक्रिया कुछ महीनों या सालों तक चलती रहती है। अगर हमारे पास इसको जाँचने के लिए टेस्ट हों तो इसका पता चल सकता है। इस अवस्था में इन्सुलिन के इलाज से बीमारी के ठीक होने में मदद मिल सकती है। जुवेनाइल प्रकार की डायबिटीज़ नवजात शिशुओं में भी हो सकती है। आम तौर पर पुरुषों में मधुमेह महिलाओं के मुकाबले अधिक होता है। डायबिटीज़ के कुल मामलों में से 35 प्रतिशत इस तरह के (आईडीडीएम ) होते हैं।

मेच्योरिटी आनसेट डायबटीज़ यानी टाईप 2 डायबिटीज़ उतनी गम्भीर नहीं होती है। इस बीमारी का कारण शरीर का इन्सुलिन के सामान्य स्तर के प्रति अपर्याप्त प्रतिक्रिया है। मोटापा इसका एक मुख्य कारण है। आमतौर पर इसे सही आहार, कसरत और कभी-कभी मुँह से ली जाने वाली दवाओं द्वारा ठीक किया जा सकता है। इस तरह के मधुमेह में इन्सुलिन की ज़रूरत आमतौर पर नहीं पड़ती। इसलिए इसे नान इन्सुलिन डिपेंडेंट डायबिटीज़ मैलिटस (एनआईडीडीएम) कहत

शरीर द्वारा ग्लूकोज़ का इस्तेमाल न कर पाना

मधुमेह में प्रमुख समस्या यह होती है कि शरीर खून में बह रहे ग्लूकोज़ का इस्तेमाल नहीं कर पाता। एक स्वस्थ व्यक्ति में पैनक्रियास द्वारा स्त्रावित इन्सुलिन हारमोन शरीर की कोशिकाओं द्वारा ग्लूकोज़ के इस्तेमाल में मदद करता है। डायबिटीज़ में या तो इन्सुलिन की मात्रा कम होती है या इन्सुलिन असरदार नहीं होता है। इसके फलस्वरूप शरीर की कोशिकाएँ खून में मौजूद शक्कर का इस्तेमाल नहीं कर पाती हैं। इसलिए खून में शक्कर की मात्रा बढ़ जाती है।

शरीर की कोशिकाओं द्वारा पर्याप्त मात्रा में शक्कर के इस्तेमाल न कर पाने का अर्थ है कि इन कोशिकाओं को पर्याप्त मात्रा में उर्जा नहीं मिलेगी। कोशिकाओं को ऊर्जा शक्कर के जलने से ही मिलती है। ऊर्जा कमज़ोरी और थकान रहने लगती है।

खून में शक्कर की मात्रा के बढ़ने का एक और असर होता है। इससे पेशाब बार बार जाना पडता है। क्योंकि पेशाब में ज्यादा शक्कर को ले जाने के लिए ज्यादा पानी की ज़रूरत होती है। इसलिए ज्यादा पेशाब बनता है और बार-बार पेशाब जाना पड़ता है। इसलिए डायबिटीज़ से पीड़ित व्यक्ति को रात में भी बार-बार उठकर पेशाब जाना पड़ता है। मीठे पेशाब के ऊपर चीटियाँ आ जाती हैं। पर यह बीमारी का पता चलने के लिए कोई बहुत अच्छा संकेत नहीं है।

मधुमेह और संक्रमण

खून और शरीर के अन्य द्रवों के मीठे हो जाने के कारण इनमें संक्रमण करने वाले जीवाणु ज्यादा आसानी से बढ़ते हैं। इसलिए मधुमेह असल में संक्रमण को दावत देता है। त्वचा की संक्रमण, फोड़े, शिश्न-मुण्ड-शोथ (शिश्न के सिर पर संक्रमण) और योनिशोथ आदि मधुमेह के रोगियों में बहुत आम होते हैं। मधुमेह से तपेदिक भी बहुत फैलता है। डॉक्टरों को कई बार मधुमेह होने का पता लगातार संक्रमण रहने से चलता है।

मधुमेह और उम्र बढ़ना

जब खून में शक्कर की बढ़ी हुई मात्रा से कोशिकाओं में शक्कर जमा होने लगती है तो इससे कई व्यपजनिक बदलाव आने लगते हैं। सबसे पहले ये असर ऑंखों, मस्तिष्क, तंत्रिकाओं, धमनियों, गुर्दों, दिल आदि पर दिखाई देते हैं। डायबिटीज़ के रोगियों में दिल की बीमारियाँ भी काफी देखने को मिलती हैं। इन सब कारणों से मधुमेह के रोगियों में प्रत्याशित आयु कम होती है यानि वो तुलनात्मक रूप से कम जी पाते हैं। पर मधुमेह का जल्दी निदान और इलाज यह असर कम कर देता है।

आगे

 

डॉ. शाम अष्टेकर २१, चेरी हिल सोसायटी, पाईपलाईन रोड, आनंदवल्ली, गंगापूर रोड, नाशिक ४२२ ०१३. महाराष्ट्र, भारत

message-icon shyamashtekar@yahoo.com     ashtekar.shyam@gmail.com     bharatswasthya@gmail.com

© 2009 Bharat Swasthya | All Rights Reserved.