मानव कंकाल |
वयस्क मानव कंकाल तंत्र कुल 206 हडि्डयो से मिलकर बना है। शरीर की हर हड्डी एक जटील जीवित अंग है। मानव कंकाल द्वितरफा एक जैसा है और बीच में रीढ़ की हड्डियॉं है। रीढ़ की हड्डियॉं छोटे छोटे हिस्सों में विभाजित होने के कारण लचीली होती है। रीढ़ की हड्डियो का निचला पेडू (पेलविस) से और उपरी सिरा कपाल से जुडा होता है। दोनो हाथो की हड्डियॉ वक्षीय (पेक्टोरल) और दोनो पैरो की हड्डियॉ पेडू (पेलविस) से जुडे होते है। यह सभी अस्थि पंजर (हड्डियॉ) मिलकर एक मजबूत लचिला ढॉचा बनाते है, जो शरीर को सहारा देते है। कंकाल बनाने वाली हडडियो कि लंबार्इ और घनत्व शरीर की उॅचाई और चौडाई व आकार तय करते है। जीवन के लिये जो शरीर के अति आवश्यक अन्दरूनी अंगो की यह रक्षा करता है। उदाहरण के लिये मस्तिष्क (ब्रेन) कपाल और मेरूदण्ड (स्पाईनल कार्ड) रीढ की हड~डियों, दिल और फेफडे, वक्ष की हडि्डयो के अन्दर सुरक्षित है।
शरीर की हड्डियॉ स्थिर और मजबूत है जो एक टेकन (लीवर) की तरह काम करती है। यह लीवरों का वह तंञ है जो शरीर को गति प्रदान करने में मदद करता है। जब अस्थि से जुडी मांसपेशियॉ सिकुडती है, तो खीचाव के कारण दबाव (भार) बनता है जिसके परिणाम स्वरूप वह हरकत संभव हो पाती है| (चित्र को ध्यान से देखे) अस्थि पंजर और मांसपेशियॉ साथ मिलकर काम करते है, जो शरीर को पैदल चलने, और दौडने, हाथो को विभिन्न तरह के काम करने आदि में सहायता करती है|
वह जगह जहॉ दो या दो से अधिक हड्डियॉ मिलती है, उसे जोड (जाईन्ट) कहते है| शरीर में मुख्तः दो तरह के जोड़ होते है|
रक्त कोशिकाऍ जीवन के लिये जरूरी पोषक तत्वो को सभी अन्य कोशिकाओं को पहॅुचाने का काम करती है। लाल अस्थि मज्जा व्दारा इन कोशिकाओं का निर्माण कर, रक्त में छोड दिया जाता है। लाल अस्थि मज्जा अस्थि के अन्दर वाले हिस्से में पाया जाता है।
खून के अनिवार्य खनिज जैसे कैलशियम, फासॅफेरस और अन्य खनिजो पर नियंञण भी अस्थियों व्दारा किया जाता है। दो प्रकार की अस्थि कोशिकाओं खनिजो पर नियंञण करती है| एक प्रकार की अस्थि कोशिकाओं खनिजो को रक्त से हडडीयो में संग्रहण करती है| अन्य प्रकार की अस्थि कोशिकाओं खनिजो की जरूरत या कमी होने पर रक्त में पुन: छोडने का काम करती है|
इस तरह से हड्डियॉ संरचना के अलावा ओर भी महत्वपूर्ण कार्य करती है| सामान्यत: हड्डियॉ और जोड़ो की आम बिमारीयो के लक्ष्णो और संकेत त्वचा, पाचन तंत्र और श्वशन तंत्र की बिमारीयो से कम दिखार्ड पडते है| परन्तु अगर हड्डियॉ और जोड़ो में बिमारी होती है तो वह ज्यादा जटील होती है और ठीक होने में ज्यादा समय लगता है|
जोड़ो में दर्द के कई कारण हो सकते है | जैसे बहुत अधिक काम करना, वायरस से होने वाला बुखार, कमज़ोरी, कुपोषण या किसी विशेष मुद्रा में बैठे रहने से थकान, संक्रमण, चोट/मोच, प्रतिरक्षित तंत्र की खराबी, ऐलर्जी संबंधी (दवाओ) से, बढती उम्र और विकृत बिमारीयो के कारण हो सकता है। ज़रूरी नहीं की ऐसा हर दर्द गठिया हो। दो हड्डीयो के बीच चबनी हड्डी (कार्टलिज) जोड़ो के लिये एक गद्दे का काम करता है जिसके कारण जोड़ो में निविर्घ्ान ओर दर्दरहित हरकत संभव हो पाता है। चबनी हड्डी (कार्टलिज) की खराबी के कारण जोड़ो में दर्द होता है।
शरीर की हड्डियॉ स्थिर और मजबूत है जो एक टेकन (लीवर) की तरह काम करती है। यह लीवरों का वह तंञ है जो शरीर को गति प्रदान करने में मदद करता है। वह जगह जहॉ दो या दो से अधिक हड्डियॉ मिलती है, उसे जोड (जाईन्ट) कहते है|
कंकाल तंत्र की बिमारीयॉ को दो तरह से देख सकते है (1) हडडी से संबधीत बिमारीयॉ (2) जोडो से संबधीत बिमारीयॉ। कंकाल तंत्र से उत्पंन्न होनेवाले मुख्य लक्ष्ण दो तरह के होते है। पहला हडडी या उसकी संरचना से उठने वाला दर्द (पेन) और दुसरा सीमित हरकत (रिसटिरक्टेड मूवमेंट) है। हडडी या उसके उपर आवरण्की संरचना (पैरिआसटीयम), या शरीर के जोडो को तर रखने वाला पदार्थ श्लेष्क (साईनोविआ), शिरा (टेंडन), अस्थि बंधक तंतु (लिगामेंट) या मॉसपेशि(यो) से उठने वाला दर्द है। हडडी में यह दर्द लगातार बना रहता है। सामान्यत: दर्द असहनीस और कष्ट दायक होता है।
जोडो और उसके सहायक संरचना से उठने वाले दर्द तीखे होते है। जिसका संबंध्जोड की हरकत या किसी विशेष्मुद्रा में शरीर को रखने से होता है और साथ में अकड़न (स्टिफनेस) भी महसुस होती है।
जब कंकाल तंत्र में दोष निकलता है, तब दर्द और अकडन के कारण सीमित हरकत (रिसटिरक्टेड मूवमेंट) होती है| अगर दर्द और अकडन के बिना यदि कम हरकत पायी जाती है तो, यह स्नायु तंत्र की बिमारी हो सकती है|
संधिवात यानी गठिया (आरथ्राईटिस) एक आम बीमारी है पर रीढ़ की हड्डी या कशेरुका की बीमारियों की पहचान भी मुश्किल होती है। हमें अकसर इन बीमारियों के इलाज के लिए हडि्डयों के विशेषज्ञों और फिजियोथेरिपिस्ट की ज़रूरत होती है। कई गाँवों में पारम्परिक तरीके से हडि्डयों की बिमारी का इलाज करने वाले लोग होते हैं। ये लोग हडि्डयों की कई बीमारियों का सफलतापूर्वक इलाज कर लेते हैं। स्वास्थ्य कार्यकर्ता को रोगी को ये बता पाने में सक्षम होना चाहिए कि कौन-सी बीमारी(यॉ) पारम्परिक इलाज से ठीक हो सकती है और कौन-सी बीमारियों के लिए अस्पताल ले जाना ज़रूरी है। जोडो के अन्दरूनी भाग को मशीन से देखने की प्रक्रिया को आरथ्रोस्कोपी कहते है|