pregnancy childbirthप्रसव-विज्ञानजन्म के खतरे
प्रसव में मदद करना

प्रसव में मदद करने के लिए बहुत से अनुभव और कुछ बुनियादी कौशलों की ज़रूरत होती है। सारे समय ज़रूरी सामान तैयार रखें। कुछ ज़रूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए। किसी दाई की मदद करते समय ये बुनियादी कौशलों को सीख लें।

102ambulance

स्वास्थ्य मिशन के चलते अब जिले जिले में
१०२ ऍम्ब्युलन्स का इंतजाम हुआ है|

delivery-gloves

प्रसव कमचारी ग्लोव्ज
दस्ताने का जरुर इस्तेमाल करे

hospital

स्वास्थ्य मिशन के कारण
जादातर प्रसव अब अस्पतालोंमें होते है

बैठना, लेटने से बेहतर होता है
sitting childbirth
बैठकर प्रसव ज्यादा आसान होता है

बच्चे का जन्म लेटने के बजाए बैठने से ज्यादा असानी से होता है। अस्पतालों में माँओं को पीठ के बल लेटने को कहा जाता है। घर में बच्चे जन रही महिलाएं आमतौर पर बैठ कर बच्चे को जन्म देती हैं। डॉक्टरों और नर्सों को भी इस अवस्था में प्रसव करवाना सीखना चाहिए। इस अवस्था में प्रसव करवाते हुए दो बातों का ध्यान रखना चाहिए:

जब बच्चे का सिर बाहर आ रहा हो तो ध्यान रखें कि यह मेज़ या ज़मीन से न टकराए। भग और मलद्वार के बीच के स्थान को सहारा देते रहें। ताकि जनन द्वार फटे नहीं। मदद करने वाले के लिए बैठी अवस्था में यह कर पाना थोड़ा मुश्किल होता है। देश के कुछ भागों में माँ छत से लटक रही एक रस्सी को कस कर पकड़े रहती है। इससे शरीर को सहारा मिलता है। यह एक उपयोगी तकनीक है।

पहले चरण में मदद करना
delivery-prior-anima
प्रसव के पूर्व एनिमा देने से
प्रसव साफ सुथरा होता है|
  • माँ का हौसला बढ़ाएं। दूसरा चरण शुरु होने तक उसे शांत रहने में मदद करें। वो यह चाह सकती है कि परिवार के कुछ सदस्य कमरे में रहें इससे उसे अच्छा लगेगा। प्रसव काफी मुश्किल घटना होती है और स्वास्थ्य कार्यकर्ता को इसके लिए परिवार वालों से मदद लेनी चाहिए।
  • साबुन के पानी से एनीमा दें। इससे पूरी प्रक्रिया साफ रहेगी और गंदगी नहीं होगी। इससे प्रसव के दौरान छूत भी नहीं होगी। एनीमा से नकली दर्द से भी छुटकारा मिल जाताहै और फिर असली प्रसव दर्द शुरु हो जाता है।
  • पहले चरण में माँ को थोड़ा सा चलने फिरने दें। वो अपनी शक्ति बनाए रखने के लिए चाय नाश्ता भी ले सकती है। चलने फिरने से गर्भाशयग्रीवा खुलने लगती है क्योंकि गुरुत्वाकर्षण से इस प्रक्रिया में मदद मिलती है।
  • एक बिस्तर जिस पर प्लास्टिक बिछा हो, तैयार रखें। अपनी किट की जांच कर लें और अपने उपकरण तैयार रखें। दूसरे चरण के कुछ पहले धागा और कैंची उबाल लें। माँ और बच्चे के लिए साफ सूती कपड़े तैयार रखें।

पहले चरण के समाप्त होने पर माँ की गर्भाशयग्रीवा की जांच करें। अगर अभी भी आपको उंगली से घेरा महसूस होता है तो इसका अर्थ है कि अभी गर्भाशयग्रीवा पूरी तरह से नहीं खुली है। पर यह जांच बहुत ज्यादा नहीं करें। इससे माँ को तकलीफ होती है।

 

डॉ. शाम अष्टेकर २१, चेरी हिल सोसायटी, पाईपलाईन रोड, आनंदवल्ली, गंगापूर रोड, नाशिक ४२२ ०१३. महाराष्ट्र, भारत

message-icon shyamashtekar@yahoo.com     ashtekar.shyam@gmail.com     bharatswasthya@gmail.com

© 2009 Bharat Swasthya | All Rights Reserved.