sexually transmissible यौन संक्रामक बीमारियाँ जनन-मूत्र तंत्र
चिरकारी अवस्था

पुरुषों में चिरकारी सुजाक से पेशाब के तंत्र का चिरकारी संक्रमण हो सकता है और कभी-कभी मूत्रमार्ग में निकुन्चन भी हो सकते हैं जिससे पेशाब करने में मुश्किल होती है। महिलाओं में चिरकारी सुजाक का मुख्य लक्षण है पेडू (श्रोणी) में चिरकारी दर्द, खासकर सम्भोग के समय। सुजाक डिम्बवाही नलियों के बन्द हो जाने का भी एक आम कारण है जिससे महिलाओं में बाँझपन हो जाता है।

इलाज

कोट्रीमोक्साज़ोल से इलाज से आमतौर पर फायदा होता है। एक बार में आठ दो गुना खुराक वाली गोलियाँ इसकी खुराक है। या फिर दो गुना खुराक वाली एक गोली दिन में तीन बार तीन दिन तक दी जानी चाहिए। एरिथ्रोमाईसिन का कोर्स भी उतना ही असरकारी होता है। पैन्सेलीन के इंजैक्शन से भी फायदा होता है। हाल में एक ग्राम सिप्राफ्लोक्सासीन की केवल एक खुराक भी उपयुक्त समझी जाती है। परन्तु यह पक्का हो यह बीमारी सुजाक ही है कोई और यौन रोग नहीं। कई बार एक से अधिक यौन रोग साथ-साथ हो जाते हैं। चिरकारी सुजाक में लम्बे समय तक इलाज की ज़रूरत होती है।

दर्दनाक व्रण (छाला) (शेंक्राइड)

इसका छाला लगभग सिफलिस के घाव की तरह ही दिखाई देता है। इसको हम मृदूक्षत या नरम क्षत नाम दे सकते है। परन्तु सिफलिस के विपरीत इसमें बहुत दर्द होता है और इसका तल बहुत ही नरम होता है। यह एक बैक्टीरिया (हीमोफीलिअस) से होता है।

लक्षण

पुरुषों में इसके घाव शिश्नमुंड पर या शिश्न की त्वचा पर हो सकते हैं। महिलाओं में ये भग पर या योनि में होते हैं। घाव शोथग्रस्त और लाल दिखते हैं और छूने से इनमें खून आता है। आमतौर पर कई सारे घाव हो जाते हैं। इससे जाँघ में दर्द करने वाली गिल्टियाँ भी हो जाती हैं। अगर इनका इलाज न हो तो ये गिल्टियाँ फूट कर पीप निकलती हैं। यह कई हफ्तों तक चल सकता है और बिगड़ भी सकता है। नरम छाला (व्रण) इलाज न करवाने पर भी ठीक हो जाता है। पर इससे सिकुड़न के कारण जनन अंग छोटा हो सकता है या उसमें झुर्रियाँ पड़ सकती हैं।

इलाज

नरम व्रण के लिए एक असरदार इलाज डॉक्सीसाइक्लीन है। इसी तरह कोट्रीमोक्साज़ोल भी उपयोगी है। दस दिन तक इलाज करें।

जनन अंगों में हर्पीस जॉस्टर होना

हर्पीस एक वायरस से होने वाला संक्रमण है। इसके कारण जनन अंगों में फुन्सिया उभर आती हैं। यह एकही दस्ते में आती है और इनमें पानी भरा रहता है। इनसे जलन वाला दर्द होता है। अन्य वायरल संक्रमण की तरह इसमें भी बुखार होता है। महिलाओं में अक्सर घाव योनि के अन्दर होते हैं और इसलिए आसानी से इनका पता नहीं चल पाता है।

जल्दी ही यह फुन्सिया छाला में बदल जाती हैं। इलाज से या इलाज के बिना भी ये घाव ७ से १० दिनों में गायब हो जाते हैं। परन्तु इसके कीटाणु नसों (तंत्रिका तंत्र) में बसे रहते हैं और कभी और जनन अंगों पर फिर से दिखाई देते हैं। पूरी तरह से खत्म होने से पहले ऐसा ५ से ७ बार हो सकता है। कुछ लोगों में यह बीमारी कई सालों बाद फिर से दिखाई दे सकती है।

इलाज

एसाईक्लोवीर यह दवा हर्पीस, ज़ोस्टर और छोटी माता के इलाज के लिए अच्छी दवा है। परन्तु यह एक महँगी दवा है। यह इलाज जल्दी से करना चाहिए, ये इलाज असरदार होता है। इस दवा से इलाज भी डॉक्टर के ऊपर ही छोड़ देना चाहिए। छाले को साबुन के पानी से दिन में २ से ३ बार धोएँ। साथ में हो रहे दर्द और बुखार के लिए ऐस्परीन या पैरासिटेमॉल दें।

बचाव
Infection Caused Traffic

यातायात के चलते यौन संक्रमण भी
बढता जाता है

Gay Sex

समलिंगी यौन संबंधों से भी यौन संक्रमण को
बढावा मिलता है

Prostitute

वेश्याए और बाजारू यौन संबंध यौन संक्रमण को
बढा रहे है

संक्रमण को फैलने से बचाने के लिए घाव रहने तक यौन सम्बन्ध नहीं बनाने चाहिए। या फिर यौन सम्बन्ध में कम से कम कण्डोम का इस्तेमाल करना चाहिए।

 

डॉ. शाम अष्टेकर २१, चेरी हिल सोसायटी, पाईपलाईन रोड, आनंदवल्ली, गंगापूर रोड, नाशिक ४२२ ०१३. महाराष्ट्र, भारत

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