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पर्युदर्या शोथ
पर्युदर्या गुहा (पेरिटोनियम) के बारे में हम पहले भी पढ़ चुके हैं। इस थैली के शोथ को पर्युदर्या शोथ कहते हैं। यह एक गम्भीर बीमारी है और अगर इसका इलाज न हो तो 24 से 48 घण्टों में धीरे धीरे करके व्यक्ति की मौत हो जाती है। पर्युदर्या शोथ निम्नलिखित कारणों से होता है-
  • टायफाइड या पेप्सिनी अलसर के कारण ज़हर आमाशय या आँतों में छेद के कारण।
  • पर्युदर्या के अन्दर डण्डुकपुच्छ (अपेन्डीसाइटिस) के फट जाने से।
  • महिला जनन मार्ग में से छूत हो जाने के कारण जैसे कि सुजाक में होता है।
  • पेट में हुए किसी ऑपरेशन से संक्रमण हो जाने के कारण।
  • पेरीटोनियम में टी.बी. हो जाने के कारण।
  • पेट में चाकू के वार के घाव के कारण।
लक्षण

पर्युदर्या शोथ का मुख्य लक्षण है पेट में दर्द का लगातार बढ़ना, इस हिस्से में टैंडरनैस, पेट का सख्त हो जाना अंगों की सुरक्षा के लिए पेशियों के तन जाने से और गम्भीर अवसन्नता से। दर्द इतना तेज होता है कि रोगी बिस्तर से उठने की हिम्मत भी नहीं कर पाता। शुरू में दर्द एक ही जगह पर होता है पर बाद में सारी जगह फैल जाता है। पेट की पेशियॉं का सख्त हो जाना या आड़ में हो जाना पर्युदर्या शोथ का एक स्पष्ट लक्षण है।

इलाज

तपेदिक के अलावा सभी मामलों में पर्युदर्या शोथ का एकमात्र इलाज ऑपरेशन ही है। शल्य चिकित्सक आपरेशन करने वाला डॉक्टर पेट को खोलता है, पर्युदर्या शोथ की जगह की पहचान करता है और फिर पर्युदर्या थैली को ठीक से धो देता है। देरी होने से बचने की सम्भावना कम हो जाती है, पर जल्दी इलाज होने से ज़्यादातर रोगी बच जाते हैं। रोगी को जल्दी से जल्दी एक ठीक ठाक सुविधाओं वाले अस्पताल भेजना चाहिए।

डण्डुकपुच्छ (अपेन्डीसाइटिस) शोथ

आपने अक्सर डण्डुकपुच्छ शोथ (अपेन्डीसाइटिस) के बारे में सुना होगा। यह पेट का अक्सर होने वाला आपरेशन है। अपेन्डिक्स एक छोटा सा अंग होता है। छोटी उँगली जैस पर उससे थोड़ा सा लम्बा। यह पेट के दाएँ निचले कोने में बड़ी आँत के शुरू के स्थान पर लटका रहता है (आपकी पैंट की सामने की जेब के ठीक ऊपर की जगह पर)। यह एक लुप्तावशेषी अंग है यानि कि ऐसा अंग है जिसका आज शरीर में कोई काम नहीं है। खाना अपैन्डिक्स में से होकर नहीं गुजरता। कभी-कभी अपेन्डिक्स में शोथ हो जाता है। इसके कारणों का पता नहीं है। कभी-कभी यह कुछ खाने के कणों के अपैन्डिक्स में चले जाने के कारण भी होता है। इससे इसकी गुहा बन्द हो जाती है। अक्सर इसका कोई कारण ही नहीं होता।

लक्षण

जब अपेन्डिक्स में तीव्र शोथ होता है तो इसके साथ पेट के दाहिने निचले भाग में बहुत जोर का दर्द होता है। दर्द कभी कभी नाभी से शुरू होता है पर कुछ ही समय में अपेन्डिक्स के क्षेत्र में पहुँच जाता है। ज़्यादातर मामलों में उल्टियॉं ,दस्त और कम ज़्यादा बुखार होता है। एक खास तरह का दर्द और टैंडरनैस (मैक बरनीज पॉइण्ट) पर अपेन्डिसाइटिस के पक्के लक्षण हैं। अपेन्डिक्स क्षेत्र को शिथिल करने के लिए रोगी को अपनी दायी टॉंग को थोड़ा ऊपर करके रखने से आराम मिलता है। पुरूषों व महिलाओं में दायीं ओर का गबिनी दर्द या महिलाओं में दाईं ओर की डिम्बवाहिनी या डिम्बग्रन्थि का दर्द इस रोग के निदान में भ्रम पैदा कर देता है। पर इन सभी स्थितियों में अस्पताल में ठीक ठाक देखभाल की ज़रूरत होती है। इसलिए इस क्षेत्र में किसी भी तरह के दर्द की स्थिति में रोगी को अस्पताल भेज देना चाहिए।

फैलाव व इलाज

अक्सर डॉक्टर गम्भीर अपेन्डीसाइटिस में थोड़ा सा खतरा उठा लेते हैं।यानि ऑपरेशन करने की जगह प्रति जीवाणु दवाओं से इलाज करेते हैं। और खाने में परहेज करवाते हैं। कछ मामलों में इससे फायदा हो जाता है पर सबमें नहीं।

शोथग्रस्त अपेन्डिक्स कभी कभी फट जाती है जिससे उसमें भरी पीप पर्युदर्या गुहा में फैल जाती है। यह एक गम्भीर जटिलता है। इसलिए अपेन्डिक्स के सभी मामलों में समय पर ऑपरेशन करवा लेना ज़रूरी है। अगर अपेन्डीसाइटिस का इलाज न हो तो आमतौर पर यह और बिगड़ जाता है। कभी-कभी यह आने आप आँशिक रूप से या पूरी तरह ठीक भी हो जाता है। कभी कभी इलाज न होने से अपेन्डीक्साइटिस चिरकारी भी हो जाता है।

 

डॉ. शाम अष्टेकर २१, चेरी हिल सोसायटी, पाईपलाईन रोड, आनंदवल्ली, गंगापूर रोड, नाशिक ४२२ ०१३. महाराष्ट्र, भारत

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