प्रसवपूर्व अवस्था याने गर्भावस्था में अनेक जोखम होते है| इसमें मॉं या बच्चे या दोनो को खतरा संभावित है| गर्भावस्था के दौरान नियमित जॉंच से संभावित जोखम को हम समय पर ही पहचान सकते है| आजकल सोनोग्राफी तकनीक के कारण गर्भवती महिला में प्रसवपूर्व जोखम और गर्भ में शिशु की स्थिती हम जान सकते है | अब हम कुछ महत्त्वपूर्ण प्रसवपूर्व खतरे समझेंगे| हमारी हर संभव कोशिश होना चाहिये की प्रत्येक गभर्वति महिला को प्रसव के लिये अस्पताल ले जाना चाहिये|
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| सुरक्षित प्रसव के लिये अच्छी प्रसवपूर्व जॉंच जरुरी है| |
कई बीमारियॉं का गर्भावस्था में होना प्रसव के समय ज्यादा घातक साबित होती है| गर्भवति महिला की पीलिया या रकअल्पता की जॉंच करानी चाहिये| गर्भवति महिलाओं में पीलिया रोग जानलेवा साबित हो सकता है| रक्ताल्पता से मॉं और शिशु पर दु:ष्प्रभाव होता है| रक्त में 8 ग्राम हिमोग्लोबिन से कम होना नुकसानदेह है, लेकिन निदान के लिये अच्छे इलाज भी मौजूद है| गर्भवति महिला को बुखार और खसरेनुमा बीमारी शिशु को विशेष घातक है| गर्भवति महिला को ज्यादा बुखार होना गर्भपात का कारण हो सकता है|
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| मॉं को घेंगा हो तब शिशु को प्रसव के बाद कुछ इंजेक्शन जरुरी होते है| |
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| महिनों के अनुसार पेट का बढना स्वास्थ्य कारक होता है| इससे ज्यादा या कम बढना खतरे का सूचक है| |
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| अंतिम त्रैमासिक में बार बार उल्टियॉं होना खतरे का सूचक है| |
रक्तचाप समय समय पर
जॉंचना आवश्यक है
ज्यादा पेट दर्द खतरे की
निशानी हो सकती है
लगातार सरदर्द प्रसव में
धोखा सुचित करता है
प्रसव के पहले योनी से रक्तस्त्राव
खतरे का सूचक है
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| समय समय डॉक्टर से मिलकर सलाह लेनी चाहिये |
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| खून की जॉंच करना भी बेहद जरुरी है| |
गर्भावस्था के दौरान नियमित रूप से जॉंच करना जरुरी है | गर्भधारण से 3 महिनों तक एक बार, तिसरे से छठवे महिनों में और सातवें से नवें महिने में कम से कम दो दो बार जॉंचना आवश्यक है| सोनोग्राफी १६ हफ्तों के बाद करे| इससे दोषपूर्ण गर्भ समयपर पहचा न सकते है और नवें महिने में जरूरी है जहॉ गर्भस्थ शिशु के पुर्ण विकास के लिये जॉच की जाती है।
गर्भावस्था में खून, पेशाब, ब्लड ग्रुप, हिमोग्लोबीन, रक्तकोशियों की मात्रा, रक्तशर्करा(ब्लड शुगर) , व्ही.डी.आर.एल.,एच आई,व्ही, पीलिया इन सबके के लिये जॉंच जरुरी है| आपके डॉक्टर जरुरी समझे तब अवटू हॉर्मोन, डबल मार्कर या ट्रिपल मार्कर टेस्ट करा ले|
गर्भावस्था में हमेशा सावधानी रखनी चाहिये| कभी भी कोई आशंका हो तो तुरंत डॉक्टरसे मिलना चाहिये| गर्भधारण करने के बाद
जैसे ही पहली बार पता चले तो पहले दोनो दंपती सहमती बनाये की गर्भ उनकी चाह अनुसार है और उसे जन्म देना है तो उसके पहले नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में पंजीकरण कराये। अगर अनचाहा गर्भ है तो गर्भपात पंजीक़त अस्पताल में स्त्री रोग चिेकित्सक से करना चाहिये। 12 हफतों से पूर्व करना अच्छा होता है| वैसे बीस हफ्तों के बाद गर्भपात गैरकानूनी और जानलेवा हो जाता है खतरा मोल लेना नही चाहिये| गर्भावस्था के कुछ जोखम ठीक समय पर पहचान लिये जाये तो इलाज से ठीक होते है|कोई भी आशंका या मुश्किल हो तो घबराये नहीं, अपने डॉक्टर से मिले और सावधानी बरते|