कंधे का अस्थिभंग उपाय |
कंधे का अस्थिभंग |
अगर कोई व्यक्ति ऐसे गिर जाए जबकि उसके हाथ फैली हुई अवस्था में हों, या फिर ठोकर खाकर गिर जाए, या सायकिल से गिर जाए या ऊँचाई से गिर जाए तो अचानक लगने वाले आघात के कारण उसकी कॉलर की हड्डी टूट सकती है। कॉलर की हड्डी के टूटने की पहचान करना आसान होता है क्योंकि इसमें कॉलर के पास की जगह में दर्द और टेढ़ापन हो जाता है। कॉलर की हड्डी टूटने की एक और निशानी है हाथ को कंधे से ऊपर न उठा पाना। आप इस अस्थिभंग को महसूस भी कर सकते हैं। इसके इलाज के लिए अंग्रेज़ी अंक 8 के आकार की कंधे के दोनों ओर से पीठ पर कसी हुई पट्टी बाँधी जाती है। इलास्टिक पट्टी ज्यादा अच्छी रहती है। पट्टी को रोज़ कसना पड़ता है क्योंकि यह ढीली होती जाती है। इसके इलाज में कुछ भी और नहीं करना होता। और इतना स्वास्थ्य कार्यकर्ता आसानी से कर सकते हैं। इलाज की अवधि करीब छ: हफ्ते होती है।
बुढापेमें में कूल्हे की हड्डी टूटना काफी आम होता है। दाया |
बड़ी उम्र में कूल्हे की हड्डी टूटना काफी आम होता है। हल्के से गिरने से भी कूल्हे के जोड़ की हड्डी टूट सकती है। रोगी अपना पैर नहीं हिला सकता। दर्द हो सकता है। जिस तरफ के पैर में चोट लगी होती है वो दूसरे के मुकाबले थोड़ा बाहर की तरफ मुड़ जाता है।
यह अस्थिभंग गम्भीर होता है क्योंकि बिना इलाज के यह मौत का निराश्रित कारण होता है। पहले इस अस्थिभंग का कोई इलाज नहीं था। कई एक अस्थिभंग जिनमें हडि्डयों के टुकड़े आपस में सटे रहते हैं (अन्तर्घटि्टत अस्थिभंग) अपने आप कुछ महीनों में ठीक हो जाते थे और कुछ नहीं भी होते थे। क्योंकि अस्थिभंग के ठीक होने में इतना अधिक समय लगता था और इतने लम्बे समय लगातार लेटे रहने से पड़ने वाले दबाव के कारण कुल्ले पर और पीठ पर अल्सर हो जाते थे। इसके अलावा कभी-कभी कुपोषण और निमोनिया के कारण कुछ महीनों में मौत भी हो जाती थी।
अब आप्रेशन की आधुनिक तकनीक से बहुत फर्क आया है। कील और प्लेट से हड्डी को जोड़ देने और कूल्हे की हड्डी के खराब हुए सिर जैसे भाग की जगह (जो कि गेंद के आकार का होता है) धातु की गेंद डाल देने से कुछ ही हफ्तों में रोगी पूरी तरह से ठीक हो जाता है। अगले हफ्ते से रोगी सहारे से चलना भी शुरू कर सकता है।
हथेली के पास हड्डी टूटना बुढों में आम बात है इसको प्लास्टर लगाना पडता है |
सड़क दुर्घटनाएँ और बाहर खेलने वाले खेल इन अस्थिभंगों के आम कारण हैं। इन अस्थिभंगों में हाथ का हिलना-डुलना बन्द हो जाता है। सूजन व टेढ़ापन साफ दिखाई देती है। दर्द और दबाने से दर्द से अस्थिभंग का पता चलता है।
बाँह के अस्थिभंग में कोई खून की धमनी या कोई तंत्रिका को भी नुकसान हो सकता है। ऐसे में विशेषज्ञ द्वारा इलाज की ज़रूरत होती है। इसी तरह हाथ की हड्डी टूटने पर भी उन्हें सही सीध में बिठाने के लिए विशेषज्ञ की मदद की ज़रूरत होती है।
बाँह में आगे के भाग में दो हडि्डयाँ होती हैं इसलिए अगर इनमें से केवल एक हड्डी टूटे तो दूसरी सहारा और स्थिरता देने के लिए काफी होती है। ऐसे में हड्डी टूटने का इलाज आसानी से स्थानीय रूप से ही किया जा सकता है। जुड़ी हुई हडि्डयाँ, जोड़ने वाली हडि्डयों जैसे काम करती हैं। हडि्डयों के टुकड़ों को सीध में लार बाँधकर स्थिर कर देना हड्डी जोड़ने के लिए काफी होता है। पैर की एक हड्डी के टूटने का भी इसी तरह से इलाज किया जा सकता है। लेकिन टूटी हड्डी एक है या दो, यह निश्चित करना ज़रूरी है।