पायोरिआ-मसूड़ों में पीप
healthy gums
मसुडों का स्वास्थ्य मुँह और दॉंत
के स्वास्थ्य के लिए बिलकुल जरुरी है

मसूड़ों में पीप होने को पायोरिआ कहते हैं। इससे सांस में से बदबू आने लगती है। इनसे मसूड़ों में से खून निकलने लगता है। इससे धीरे धीरे करके दाँत गिरने लगते हैं। मसूड़ों को स्वस्थ रखने के लिए हर बार खाने के बाद नियमित रूप से ब्रश करना और मसूड़ों की मालिश करना ज़रूरी है। (गर्भावस्था के दौरान मसूड़ों का सूजना हारमोनों में बदलाव के कारण होता है और यह विटामिन सी से भी ठीक नहीं होता। पर यह बच्चा होने के बाद अपने आप ठीक हो जाता है और इसके लिए किसी भी दवाई की ज़रूरत नहीं होती)।

इलाज
  • पायोरिआ के इलाज के लिये बैक्टीरिया रोधी दवाइयों जैसे कोट्रीमोक्साज़ोल (या व्यस्कों के लिए डोक्सीसिलीन) जरुरी है। इसके साथ दिन में दो तीन बार किसी एंटीसैप्टिक से मुँह धोना ज़रुरी है। नीम का काढ़ा और गुनगुना नमकीन पानी मुँह धोने के लिए काफी उपयोगी हैं। ठीक से ब्रश करना जारी रखना चाहिए।
  • विटामिन सी मसूड़ों की बीमारियों के लिए आमतौर पर काफी उपयोगी है।
  • खाने में विटामिन सी की कमी से स्कर्वी रोग हो जाता है। मसूड़ों में सूजन, संक्रमण और उनमें से खून आना स्कर्वी के प्रमुख लक्षण हैं। इसके इलाज के लिए सात दिन विटामिन सी की गोलियॉं खिलाएं। ज़रूरी लगे तो आगे भी ये गोलियॉं देते रहें।
  • अगर थोड़ा भी टार्टर जमा हो तो उसे हटाना ज़रूरी है। यह तभी किया जा सकता है जबकि संक्रमण ठीक हो चुका हो।
मसूड़ों और दाँतों को स्वस्थ रखना

आज के ज़माने में दाँत साफ रखना काफी बड़ा व्यापार बन चुका है। गॉंवों तक के बाज़ारों में दंत मंजन और ब्रश काफी आम मिलते हैंं। हालांकि कुछ लोग अभी भी राख, जली हुई तंबाकू या कुछ पेड़ों की ताज़ी टहनियॉं से दाँत साफ करते हैं।

ब्रश ज़रूरी है, मंजन इतना नहीं

दाँतों का ब्रश दाँतों के बीच फंसे हुए खाने के कणों को निकालने के लिए एक बहुत ही अच्छा साधन है। मंजन हालांकि ज़्यादा ज़रूरी नहीं होता। परन्तु इससे सांस में सुगंध आ जाती है। कुछ दंत मंजनों में अत्यधिक फ्लोराइड होने के कारण वो दाँतों के लिए नुकसानदेह भी हो सकते हैं। हम बिना दंत मंजन के ही ब्रश से दाँतों में मंजन कर सकते हैं। ब्रश के साथ किसी पाउडर का इस्तेमाल करें। दंत पाउडर दंत मंजनों की तुलना में सस्ते होते हैं और ये ब्रश से दाँत मांजने के लिए उपयोगी भी होते हैं। अगर पाउडर भी न मिलें तो खाली नमक पानी से ब्रश करना ही काफी होता है।

दातौन

कुछ पेड़ों की टहनियॉं भी दाँत मॉंजने के लिए बहुत उपयोगी होती हैं। टहनी के एक सिरे को चबा कर ब्रश जैसा बना लें। नीम और कीकर (बबूल) इस काम के लिए काफी प्रचलित हैं।

दरारों को साफ करें

चाहे आप ब्रश का इस्तेमाल करें या फिर टहनी का ठीक से सफाई करना ताकि सभी दरारों व छेदों में से खाने के कण निकल जाएं बेहद ज़रूरी है। दाँत एक तरफ से दूसरी तरफ की बज़ाय ऊपर से नीचे व फिर नीचे से ऊपर की ओर ब्रश करना चाहिए। यह सलाह बहुत ही महत्वपूर्ण है।
याद रहे कि दाँतों की पॉंच सतहों को साफ करके उनमें से प्लेक निकालना होता है – अंदरूनी, बाहरी, दोनों तरफ की और चबाने वाली सतह। साइड़ों को ठीक से साफ करने के लिए दाँतों का फ्लौस इस्तेमाल करना ज़रूरी होता है। अधजला गोबर और तंबाकू भी काफी इस्तेमाल होते हैं। ये पाउडर दरारों व छेदों में से खाने के कण नहीं निकाल सकते परन्तु ये प्लेक की चिकनी परत को हटा सकते हैं। लेकिन खुरदुरे पाऊडर और तंबाकू इस्तेमाल करना हानिकारक है।

तंबाकू नुकसानदेह है
harmful tobacco
गाल की सूजन जिसका एक कारण कॅन्सर ही है|

तंबाकू से दाँत पीले पड़ जाते हैं और मसूड़ों को भी नुकसान होता है। कुछ लोग ऐसा दावा करते हैं कि इससे दाँतों में चमक आ जाती है। परन्तु छेदों व दरारों में से खाने के कण निकालना “दाँतों को चमकाने’ से ज़्यादा महत्वपूर्ण होता है।

दाँतों का फ्लौस- धागे का प्रयोग

कुछ लोग दाँतों के बीच की दरारों को साफ करने के लिए एक खास तरह के धागे (फ्लौस) का इस्तेमाल करते हैं। ध्यान रखना चाहिए कि ये मसूड़ों को किसी तरह का नुकसान न पहुँचाए। अगर ठीक से इस्तेमाल किया जाए तो ये दाँत साफ करने का एक बहुत ही उपयोगी तरीका है। खासकर दाँतों के बीच की दरारों में से खाने के कण निकालने के लिए यह बहुत उपयोगी है। दवाइयों की कुछ ही दुकानों पर यह धागा भी बिकता है। दाँतों के डाक्टर भी यह उपलब्ध करवा सकते हैं, हालांकि भारत में ये खास प्रचलित नहीं है और भारत में तो दुकानों पर आम तौर पर नहीं ही मिलता। इसकी जगह मोटा धागा भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

सोते समय दाँत मंजना

सोने से पहले दाँत साफ करना बहुत ही ज़रूरी है क्योंकि खाने के कण सोते समय सड़ते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि सोते समय मुँह की स्थिति स्थिर रहती है। और गर्मी बने रहने के कारण कीटाणु अधिक पनपते है।

खाने की अच्छी आदतें

खाने की अच्छी आदतें दातों के स्वास्थ्य के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होती हैं। मोटा (कच्चा) और रेशेदार खाना मसूड़ों और दाँतों को स्वस्थ रखता है। खाने की ऐसी चीज़ों से बचें जिनसे लंबे समय में दाँतों को नुकसान हो सकता हो। मीठी और लपसी जैसी चीज़ें दाँतों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती हैं क्योंकि ये दाँतों से चिपक जाती हैं। चॉकलेट भी इसी तरह नुकसानदेह है। कुछ लोग बार बार खाते हैं पर खाने के बाद मुँह धोने का ध्यान नहीं रखते। इस आदत से प्लेक इकट्ठा होने लगता है।

बच्चे के दाँत साफ करना

बच्चे के दाँत एक साफ, मुलायम, गीले कपड़े या उंगली से साफ करने चाहिए। माता पिता को यह करना सिखाएं।

 

डॉ. शाम अष्टेकर २१, चेरी हिल सोसायटी, पाईपलाईन रोड, आनंदवल्ली, गंगापूर रोड, नाशिक ४२२ ०१३. महाराष्ट्र, भारत

message-icon shyamashtekar@yahoo.com     ashtekar.shyam@gmail.com     bharatswasthya@gmail.com

© 2009 Bharat Swasthya | All Rights Reserved.