pregnancy childbirth गर्भ-प्रसव गर्भपात
गर्भावस्था की जटिलताएँ (गर्भावस्था संबंधी गंभीर समस्या)
हर प्रसव का अस्पताल में होना जरुरी है

pregnancy बच्चे के जन्म में अवरोध बच्चा होने के पहले या बाद में रक्तस्राव, आँवल के पहले बाहर आ जाने या जन्म के समय चोट लग जाना ऐसे खतरे हैं जिनके बारे में पहले से ही सोचा नहीं जा सकता। इसिलिये हर प्रसव का अस्पताल में होना जरुरी है| घर में प्रसव करना टालना उचित होगा| जहॉं अस्पताल पास नही, वहॉं यातायात के साधन जरुर इस्तेमाल करे| अगर यह संभव नही तभी प्रशिक्षित व्यक्तीसे सहायता प्राप्त करे। जननी सुरक्षा योजना के बारेमें जानकारी ले ले यह उचित होगा।

गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप और दौरे पडना
pregnancy hypertension
गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप की जॉंच

गर्भावस्था में विषाक्तता की समस्या अक्सर पायी जाती है। यह बढ़े हुए रक्तचाप और सूजन के रूप में सामने आता है। इससे बच्चे की वृध्दि ठीकसे नही होती। कभी-कभी विषाक्तता की स्थिति बिगड़ कर दौरे पड़ने लगते हैं। इसे गर्भाक्षेपण कहते हैं। इस बीमारी के सही कारण का पता नहीं है। और इसका कोई असरकारी इलाज नहीं है। गर्भावस्था में यह स्थिति गर्भाक्षेपण तक पहुँच सकती है।

विषाक्तता के शरीर पर गम्भीर असर होते हैं। विषाक्तता गर्भ में शिशु के मर जाने, मरा हुआ बच्चा पैदा होने व कम वज़न वाला बच्चा पैदा होने से जुड़ी है। विषाक्तता के कारण गर्भावस्था में आँवल ठीक से विकसित नहीं होती है। इससे बच्चे के पोषण और बचने की सम्भावना पर बुरा असर पड़ता है।

लक्षण

रक्तचाप बढ़ाना, पैरों में सूजन और पेशाब में प्रोटीन आना विषाक्तता के लक्षण हैं। यह महत्वपूर्ण है कि विषाक्तता का निदान शुरू में ही हो जाए। हर बार जब महिला जाँच के लिए आए तो रक्तचाप, पेशाब और पैरों में सूजन की जाँच करें। कई मामलों में सिर में दर्द और मितली आना रक्तचाप बढ़ने के लक्षण हैं। वैसे तो गर्भावस्था में किसी भी समय दौरे पड़ सकते हैं। परन्तु ये आमतौर बच्चे के जन्म के दौरान ही पड़ते हैं। अगर इसका इलाज न हो तो इससे मौत भी हो सकती है।

गर्भ के पॉंचवे महिने (२० सप्ताह) के बाद बी.पी. बढना (नीचे का बी.पी. ९० या उससे अधिक) इसका सबसे महत्त्वपूर्ण लक्षण है| महिला को पैरों और चेहरे पर सूजन होती है| पैरों में सूजन रात को सोने के बावजूद भी कम नही होती, जैसे साधारण सूजन होती है| गंभीर खून की कमी में भी पैरों में सूजन होती है, मगर इन गर्भवती महिलाओं में रक्तचाप सामान्य रहता है|

उच्च रक्तचाप वाले गर्भवती महिलाओं का नियमित रूप से पेशाब में प्रोटीन की जॉंच करना जरुरी है, अगर पेशाब में अधिक प्रोटीन है (पेशाब को पारनली में गरम करने पर दही जैसे सफेद पदार्थ बनने लगता है) तो यह खतरे का संकेत है| महिला को किसी भी वक्त झटके हो सकते है|उपरी पेट में दर्द, निरंतर सिर दर्द, आँखे धुंधला दिखना या अंधापन, मितली या उल्टी यह सब भी होने वाले झटके के संकेत है| यह झटके गर्भावस्था में प्रसव के समय, या प्रसव के बाद भी हो सकते है|

इलाज
  • विषाक्तता का इलाज मुश्किल होता है। पहला कदम है नमक और द्रव लेना कम करना। जिस भी गर्भवती महिला में विषाक्तता के लक्षण दिखें उसे तुरन्त ही डॉक्टर के पास भेज दिया जाना चाहिए। अगर विषाक्तता पर नियंत्रण न हो सके तो गर्भपात या असमय प्रसव करने की ज़रूरत होती है। अस्पतालमें इसके अच्छे इलाज आसानीसे हो सकते है।
  • अक्सर गर्भवती महिलाओं में रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) बढ जाता है, प्रसव के कुछ दिन बाद यह अपने आप सामान्य हो जाता है| उच्च रक्तचाप वाले कई महिलाओं को झटका या दौरे पडते है, जो की मॉं और शिशु दोनों के लिए खतरनाक होता है| गर्भावस्था में ब्लड प्रेशर बढना और इसके दौरान झटका आना मातृ मृत्यू का एक प्रमुख कारण है|
  • यह परेशानी खास कर पहला और दुसरा गर्भ में देखा जाता है, मगर यह किसी भी गर्भ में हो सकता है| १८ वर्ष से कम उम्र की महिला अगर गर्भवती हो, तो यह परेशानी की संभावना अधिक रहती है| इसका कारण अभी तक पुरी तरह नही जानते है, इसलिए इसे रोकने के भी उपाय नही है| मगर यह देखा गया है की गर्भावस्था में कैल्शियम की कमी होने से यह बिमारी अधिक गंभीर होती है|
  • गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप को पहचान कर तुरन्त डॉक्टरी सलाह लेकर इलाज चालू करना चाहिए मिथैलाडोपा नाम की गोली इनमें उच्च बी.बी. के लिए दी जाती है|
  • नमक कम खाने की गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप में कोई भूमिका नही है, (अन्य उच्च रक्तचाप के मरीजों को नमक कम खाना चाहिए)
  • महिला आराम करे, और कोई भारी काम न करे|
  • हो सके तो सप्ताह में एक या दो बार बी.पी नापे|
  • अगर गर्भवती महिला को झटके आये तो तुरंत प्रसव कराने की जरुरत होती है| चाहे गर्भ कितना ही असमय क्यो न हो, इन महिलाओं में जब तक गर्भ खत्म न हो, उनके जान को खतरा रहता है|
  • कभी कभी गर्भवती महिला में बिना कोई लक्षण के अचानक झटके हो सकते है|
गर्भावस्था के दौरान रक्त-स्राव

गर्भावस्था के दौरान रक्त-स्राव माँ और बच्चे दोनों के लिए खतरनाक होता है। गर्भावस्था के पहले छ: महीनों में रक्त-स्राव गर्भपात के कारण होता है। अगर रक्त-स्राव सातवें महीने में या उसके बाद हो तो इसे प्रसवपूर्व रक्त-स्राव कहते हैं। यह दो कारणों से हो सकता है। आँवल के सही जगह पर न होने से या अगर आँवल समय से पहले अलग होने की स्थिति में होती है । प्रसव पूर्व रक्त-स्राव माँ और बच्चे के लिए गम्भीर खतरा है। अगर इसमें चिकित्सीय सहायता न मिले तो इससे मौत भी हो सकती है।

प्रसव पूर्व रक्त-स्राव के दो कारणों में से नीचे गर्भाशयद्वारपर आँवल होना अधिक आम है। आमतौर पर आँवल गर्भाशयमें ऊपरी छोर पर होती है। और बच्चा नीचे की ओर होता है और जन्म के समय पहले बाहर आता है। परन्तु इस स्थिति में यह निचले छोर पर बिलकुल जन्म राह पर होती है। इसलिए इस आँवल स्थिति में दर्द रहित, अचानक रक्त-स्राव होता है। इन मामलों में आन्तरिक जाँच न करें। जाँच के लिए अन्दर डाली गई उँगलियों से पहले से ही अलग हो रही आँवल को और नुकसान हो सकता है। ऐसी गर्भवती महिलाओं में आँवल पहले अलग हो जाती है और उसके बाद बच्चे का जन्म होता है। इससे भी समयपूर्व काल जन्म हो सकता है और बच्चे को खतरा होता है।

सिर्फ अल्ट्रासोनोग्राफी जाँच से ही इस समस्या का पता लग सकता है। सामान्यतया पहली बार माँ बन रही महिला में बच्चे का सिर आखिरी दो हफ्तों में श्रोणी में पहुँचता है। ऐसी आँवल शिशु के सिर के लिए श्रोणी में आने में रुकावट पैदा कर सकती है। यह समस्या हो तो उसे तुरन्त सोनोग्राफी टेस्ट व पूरी देखभाल के लिए अस्पताल भेजें।

आँवल असमय खिसकना
risky pregnancy
आँवल असमय खिसकना

इसमें आँवल सामान्य जगह पर होती है। पर अचानक किसी कारण से अलग हो जाती है। गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप वाले महिलाओं में यह सबसे ज्यादा देखा जाता है, कभी पेट पर गंभीर चोट लगे तब भी आँवल अचानक अलग हो सकता है| इससे दर्द के साथ योनी में से रक्त-स्राव होता है (आकस्मिक रक्त-स्राव)। खून की मात्रा कम जादा हो सकती है। इसमें से केवल कुछ ही योनि में से निकलता है। अगर बच्चे को जल्दी न बचाया जाए तो वो गर्भ में ही मर सकता है। इस रक्त-स्राव से, जो दिख भी सकता है या छिपा भी रह सकता है (प्रकट या अप्रकट), माँ की भी मौत हो सकती है। जल्दी से किसी अच्छे अस्पताल में पहुँचाना ज़रूरी है। जिन भी माँओं को प्रसवपूर्व रक्त-स्राव हो उनमें प्रसव के बाद रक्त-स्राव का खतरा होता है।

 

डॉ. शाम अष्टेकर २१, चेरी हिल सोसायटी, पाईपलाईन रोड, आनंदवल्ली, गंगापूर रोड, नाशिक ४२२ ०१३. महाराष्ट्र, भारत

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