अस्थि-पेशी
अस्थिभंग वर्गीकरण
कारण के आधार पर
- अभिधातज अस्थिभंग (ट्रामैटिक फैक्चर)- निरंतर चोट के कारण अस्थिभंग उदाहरण के लिये गिरने, यातायात दुर्धटना और लडाई मारपीट के कारण।
- रोगजनक (पैथोजनिक) फैक्चर- हड्डी की कुछ चिकित्सीय परिस्थिति जैसे अस्थि-सुषिरता (आस्टीपोरोसिस) या संक्रमित हड्डी या अस्थि कैंसर के दौरान उसकी हडि्डयाँ कमज़ोर होती जाती हैं और मामूली अघात या थोड़ी-सी भी चोट लगने से टूट सकती हैं।
ऑर्थपीडिक के आधार पर
ऑर्थपीडिक चिकित्सीय विज्ञान में अस्थि भंग को विभिन्न प्रकार से वर्गीकरण किया गया है। पहली बार फ्रैक्चर की स्थिती को बतलाने वाले ऑर्थपेडिक चिकित्सक के नाम पर भी वर्गीकरण किया गया। हॉलाकि विस्तृत रूप से सभी फ्रैक्चर को दो भागो में विभाजित किया है।
- बंद (साधारण) अस्थि भंग – वो होता है जिसमें हड्डी के फ्रैक्चर वाले जगह के उपर साथ में कोई ऊपरी या खुली चोट न हो इस तरह के अस्थिभंग को बन्द (साधारण) अस्थिभंग कहते हैं। इसमें बाहर के किसी तरह का संक्रमण होने का खतरा नहीं होता है।
- खुला (मिश्रित, कंपाउण्ड) अस्थिभंग इसमें धाव भी अस्थिभंग से जु़ड़ा होता है | हडि्डयाँ और मुलायम ऊतक (खासकर त्वचा) दोनों प्रभावित होते हैं। खुला धाव के कारण अस्थिभंग में संक्रमण होने का खतरा होता है। बचपन में होने वाले अस्थिभंग को हरी डाली/टहनी अस्थिभंग कहते हैं। यह आम तौर पर लम्बी हडि्डयों में होता है क्योंकि इस उम्र में ये हडि्डयाँ लचीली, कुछ-कुछ पेड़ की हरी टहनियों जैसी होती हैं। अस्थिभंग के बावजूद भी टूटे हुए दो सिरे एक-दूसरे से सटे रहते हैं। इससे हड्डी के जुड़ने में आसानी रहती है। हमें सिर्फ असर ग्रस्त हिस्से का हिलना-डुलना बन्द करना होता है। टुटी अस्थियो में विस्थापन पर भी ध्यान देना जरूरी होता है| अगर टुटी अस्थियो में विस्थापन ज्यादा है तो उसमें हस्तक्षेप करना पडता है| प्रौढ़ में आप्रेशन करना पड़ता है| इस तरह के खुला (मिश्रित, कंपाउण्ड) धाव के साथ्अस्थिभंग को ठीक होने में समय लगता है|
- विखण्डित(पूर्ण) अस्थिभंग- अगर हड्डी कई टुकड़ों में बँट जाए तो ऐसे अस्थिभंग को विखण्डित अस्थिभंग कहते हैं। इसका ठीक होना मुश्किल होता है क्योंकि कुछ टुकड़ों में खून की आपूर्ति रुक सकती है और उनके ऊतक मर सकते हैं।
- संपीड़न (कम्प्रेश)अस्थिभंग – जो रीड़ की हडडी में अस्थिभंग में देखा जाता है| अस्थिसुषिरता (आसटीओपोरोसीस) के बिमारी के कारण रीड़ की हडडी के सामने वाले भाग में अस्थिभंग होकर रीड़ ढह जाती है|
लक्षण
दर्द, सूजन, दबाने से दर्द, विकृति और काम करना बन्द करना अस्थिभंग के मुख्य लक्षण हैं। हड्डी टूटने के कारण होने वाला दर्द असहनीय होता है| इससे कभी-कभी व्यक्ति बेहोश भी हो सकता है। अस्थिभंग कई कारणो के लिये पीड़ाकर (दर्द) है |
- हड्डी की निरंतरता में दरार या टूट कर अलग हो जाने के कारण|
- अस्थिभंग के आसपास उतको में ओर धमनी व शीरा के फटने से खून जमा होने की सूजन के कारण
- मॉसपेशियो में सिकुडन के कारण जो टुटी अस्थियो के विस्थापन को वापिस जगह पर स्थिर करने के लिये होती है|
- कुछ दर्द तो टूटे हुए सिरे के हिलने पर मुलायम ऊतकों से टकराने से भी होता है।
- प्रौड़ अवस्था में अस्थिभंग में कि कोई दर्द ही न हो ऐसा भी हो सकता है । दर्द से हड्डी टूटने वाले स्थान का पता लग जाता है। अस्थिभंग की जगह पर दबाने से दर्द होता है। हड्डी टूटने पर वहाँ की हलचल बन्द होना भी एक अन्य महत्वपूर्ण संकेत है। चोट की जगह को स्थिर कर देने से मुलायम ऊतकों को लगने वाली चोट को कम किया जा सकता है। टूटे हुए हिस्से को बाँधकर उसका हिलना-डुलना बन्द कर देने से दर्द का कम कम हो जाना हड्डी टूटने का संकेत है| सूजन और टेढ़ापन से आम तौर पर यह अन्दाज़ लगाया जा सकता है कि नुकसान कितना है। परन्तु किसी-किसी तरह के अस्थिभंग में कोई सूजन या टेढ़ापन नज़र नहीं आता (जाँघों की हड्डी में)। सूजन कुछ तो हड्डी के टूटे हुए सिरे में से खून बहने से होती है और कुछ हड्डी के अपनी जगह से खिसक जाने के कारण।
- जब हड्डी के टूटे हुए सिरे एक-दूसरे से टकराते हैं तो जो आवाज़ आती है उसे कर्कर कहते हैं। यह हड्डी टूटने का पक्का संकेत है।
एक्स-रे का काम
ऊपर दिए गए लक्षणों से ज्यादातर मामलों में अस्थिभंग का पक्का निदान हो सकता है। वैसे भी हड्डी टूटने के अधिकाँश मामलों में हडि्डयों के विशेषज्ञ डॉक्टर की सलाह की ज़रूरत होती है पर हड्डी किस तरह से टूटी है, अस्थिभंग की सही जगह क्या है और आप्रेशन के निर्णय के लिये एक्स-रे एकदम ज़रूरी और बुनियादी जॉच होती है। हड्डी के सिरों को जोड़ देने के बाद सही या गलत का निर्णय करने के लिये जाँच करने के लिए भी दुबारा एक्स-रे ज़रूरी होता है।
उपचार
हड्डी टूटने के कुछ मामलों का इलाज का प्रशिक्षण लेने के बाद गाँवस्तर पर ही आसानी से हो सकता है। उदाहरण के लिये
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अस्थिभंग के लिए प्लॅस्टर का उपचार |
- फैले हुए हाथ की स्थिति में गिरने पर कालर की हड्डी टूटना एक साधारण अस्थिभंग है। इसके लिए साधारण पट्टी या कपड़े से अंग्रेजी के अंक 8 के आकार में २० दिनो के लिये बाँध देना ही काफी होता है (हालाँकि प्रत्यास्थ (इलास्टिक) पट्टी ज्यादा उपयोगी होती है।)
- टूटी हुई पसलियाँ भी साधारण इलाज से ठीक हो सकती हैं। छाती पर टूटी हुई पसलियाँ के तरफ पट्टी बाँध देने से आराम और ठीक होने में मदद मिलती है। इसके लिए खास तरह की छाती पर पहनने वाली पटि्टयाँ मिलती हैं जिनका आकार भी ज़रूरत के अनुसार बदला जा सकता है। हम प्लास्टर का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।
- उँगली की हड्डी टूटने पर खपच्ची से बाँधकर स्थिर करके जोड़ा जा सकता है।
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एलिझा राव तकनिक से अस्थिभंग का इलाज |
ज्यादातर अस्थिभंग के मामलों में अस्थि विशेषज्ञ की मदद की ज़रूरत होती है। उदाहरण के लिये कूल्हे, पैर, हाथ और बाँह, खोपड़ी और रीढ़ के अस्थिभंग काफी जटिल होते हैं। इन सबमें टूटे हुए हिस्से को एक ख्प्पची के माध्यम से स्थिर कर दें। अगर सम्भव हो तो दर्द निवारक इन्जैक्शन दे दें और रोगी को अस्पताल भेज दें। याद रखें कि सभी टूटी हुई हडि्डयाँ जल्दी या देर से जुड़ जाती हैं। परन्तु ये ध्यान रखा जाना ज़रूरी होता है कि टुकड़े ठीक से सीध में जुड़े हों और हड्डी जुड़ने के बाद वो हिस्सा ठीक से काम कर सके। असल में विशेषज्ञ की ज़रूरत हड्डी जोड़ने के लिए नहीं बल्कि यह सीध सुनिश्चित करने के लिए ही होती है। अस्थिभंग की स्थिति में उपचार के लिए ये नियम ध्यान में रखे जाने ज़रूरी होते हैं:
- आराम पहुँचाने के लिए मोरफीन या पैण्टाज़ोसीन जैसे इन्जैक्शन उपयोगी हैं, पर प्रशिक्षित व्यक्ति की निगरानी में लगाने चाहिये |
- दर्द कम करने में टूटे हुए सिरों को एक साथ लाना शामिल होता है। हर अस्थिभंग में यह करने का अलग-अलग तरीका होता है।
- स्थिर करना ताकि हड्डी के सिरे एक दूसरे से सटे रहें। स्थिर करके रखने की अवधि कुछ हफ्तों से कुछ महीनों तक चलती है। इस अवधि में हड्डी के टुकड़े जुड़ जाते हैं और चोट ठीक हो जाती है।
- सीध में लाना ताकि हड्डी की असल स्थिति बनी रहे।
स्थिर करने के तरीके – यह इन उपलब्ध तरीकों से किया जा सकता है।
- खपच्चियों के साथ बाँधना एक सबसे पुराना तरीका है।
- प्लास्टर चढ़ाना तुलनात्मक रूप से नया वैज्ञानिक तरीका है।
- आप्रेशन से अन्दर से हड्डी को तारों, पेंच व प्लेट या किसी और तरीके से जोड़ना।
- सबसे आधुनिक तरीके का नाम एलीज़ारोव के नाम पर रखा गया है। इसमें बाहर से हड्डी को पेंचों और छड़ों से जोड़ा जाता है। इसे हर रोज़ थोड़ा खींचा जा सकता है जिससे हाथ या पैर की अपनी लम्बाई बनाए रखने में दर्द मिलती है। इससे हाथ या पैर के छोटे हो जाने का खतरा नहीं रहता। यह काफी जटिल अस्थिभंग को ठीक करने की काफी उपयुक्त तकनीक है और इसमें निरोगण काफी जल्दी और सन्तोषपूर्ण होता है।
उपचार में आने वाली परेशानियाँ
अस्थिभंग की स्थिति का उपचार एक कौशल वाला काम है। इसमें कई तरह की समस्याएँ आ सकती हैं| अंग पूरी तरह से काम करने लायक हो जाए इसके लिए हड्डी का सीध में आना ज़रूरी है। जुड़ी हुई हड्डी के मुड़े हुए होने से हाथ या पैर के काम करने में जड़ता और उसकी ताकत दोनों पर असर हो सकता है। यह समस्या हाथ या बाँह में आती है। खुला अस्थिभंग में ज़ख्म के इलाज और संक्रमण से बचाने का भी ध्यान रखना होता है। कुछ अस्थिभंगों में हडि्डयों के सिरों में उलझी खून की नलियों और तंत्रिकाओं को भी नुकसान हो जाता है। छाती, गोनिका, रीढ़ और खोपड़ी की हड्डी के टूटने से आन्तरिक अंगों को भी नुकसान हो सकता है। गाँव के स्तर पर आन्तरिक अंगों को हुए नुकसान का पता नहीं लगाया जा सकता। ज्यादातर मामलों में अस्पताल ले जाना ही सबसे अच्छा उपाय है।