एक समय भारत में मर्मचिकित्सा प्रणाली विकसित हुई थी ।हिन्दी में मर्म शब्द का अर्थ है, शरीर के संवेदनशील अंग। ऐसा माना जाता है कि मर्म चिकित्सा से ही एक्यूप्रेशर पॅंक्चर पद्धति की शुरूवात हुई। इसकी शुरुआत कहीं से भी हुई हो पर एक्युप्रेशर पॅंक्चर की आधुनिक तकनीक चीन से आती है। एक्यूप्रेशर का मतलब मर्म स्थान पर दबाव। एम्यूपॅंक्चर का मतलब होता है शरीर के विभिन्न स्थानो व अंगों में पतली बारिक लम्बी सूईयों को चुभाना। आजकल इन मर्म को उत्तेजित करने के लिए कम वोल्ट की बिजली के हल्के क्षटके से दी जाती है। एक्यूप्रेशर के साथ दवाइयों की ज़रूरत नहीं होती। इस अध्याय में हम एक्यूप्रेशर के बारे में पढ़ेगे ।
इस के सिद्धान्त अनुसार शरीर में उर्जा के प्रवाह के कई रास्ते और रेखाएँ होती हैं। एक्यूप्रेशर उर्जा के प्रवाह को रोकता या उत्तेजित करता है। इस से उस अंग को फायदा होता है जहॉं तक यह प्रवाहपहुँचता है। यह काम कैसे करता है, इसे समझाने के लिए बहुत से सैधन्तिकविचार इसके विशेषज्ञो व्दारा प्रस्तावित किए गए हैं। ये शायद संबधिंत अंग(ो ) में बिजली की उर्जा या कुछ रसायन पैदा करता है जिससे रोग निरोगण होता है।
एक्यूप्रेशर से न केवल दर्द में आराम मिलता है बल्कि इससे; रोगी स्वस्थ्य भी होता है, यह रोकथाम और कुछ हद तक निदान(रोग पहचाने में मदद भी करता है।। शरीर के विभिन्न मर्म बिन्दु स्थल पर स्पर्श करने से जिस बिन्दु में दर्द हो रहा है, उससे यह पता चल जाता है कि कौन से अंग में खराबी है। इस तरह से निदान सम्भव है। । प्रतिबन्ध के लिए उन सम्बन्धित केन्द्रों की नियमित रूप से मालिश करने की ज़रूरत होती है।
तर्जनी (इंडेक्स फिंगर) या अँगूठे का इस्तेमाल करें। अतिरिक्त दबाव या लम्बे समय तक दबाव डालने के लिए आप दो उँगलियों का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। एक उगली को उस जगह पर और दूसरी उंगली को घुमा घुमा करया आप दो उँगलियॉं साथ साथ रख कर भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
दबाव उतना ही डालना चाहिए जितना रोगी सह सके। दबाव बहुत ज़ोर या बहुत हल्का का भी नहीं होना चाहिए । दबाव से हल्का दर्द या सुन्न होना या गुदगुदी या खिंचवा जैसा महसूस होना चाहिए। ध्यान रहेकि दबावके कारण त्वचा को चोट न पंहॅचे।
हर बार में पॉंच मिनट तक दबाव बनाये रखे ।
दबाव दिन में एक बार या 3 से 4 दिनों तक और जब भी ज़रूरत पड़े। एक्यूप्रेशर में दबाव ज़रूरत से ज़्यादा खुराक जैसी चीज कभी नहीं होती। ज़्यादा तीव्र बीमारी में, हर 4 से 5 घण्टों में दबाव डालें। चिरकारी बीमारियों के लिए पहले सात दिन तक दिन में एक बार और फिर हर हफ्ते में 2 या 3 बार दबाव डालें। रोग से बचाव के लिए हर रोज करें। आप जितनें ज़ोर से दबाव डालेंगे, उतनी ही कम बार दबाना पड़ेगा। और जितना हल्का आप दबाव डालेंगे उतनी ही ज़्यादा बार दबाना पड़ेगा।
गर्भवती महिलाओं और दिल के रोगियों में एक्युप्रेशर करने से बचना चाहिये या नही करना चाहिये । भोजन के तुरन्त बाद और खाली पेट होने पर एक्यूप्रेशर नही करें। जब एक्यूप्रेशर पद्यति से इलाज चल रहा हो तो आहार में खट्टा खाना और पेय पदार्थ , मसाले, मिर्च, काली मिर्च और समुद्र का खाना नहीं लेना चाहिए। व्यक्ति को बताएँ कि वो एक्यूप्रेशरउपचार के बाद दो घण्टों तक न नहाए। ध्यान रखें कि एक्यूप्रेशर देने वाले व्यक्ति के नाखून कटे हुए हों, बीमार व्यक्ति को चोट पहुँचा सकते हैं। इलाज शुरू करने से पहले बीमारी का स्पर्शन से निदान कर लें।
एक्यूप्रेशर के कुछ केन्द्र बिंदू
एक्यूप्रेशर के कुछ उपयोगी केन्द्र बिंदू (तालिका)
एक्यूप्रेशर द्वारा बीमारियों का इलाज करने के लिए कुछ उपयोगी केन्द्रबिंदू : निम्नलिखित सूची में दिये है एक केन्द्रबिंदू को पहचान कर इलाज करें।
एक्यूप्रेशर के केन्द्रों की तालिका