गर्भ में २० हफ्तों का समय पूरा करने से पहले जन्म लेने वाला बच्चा जीवित नहीं रह सकता। इसे गर्भपात कहते हैं। हर दस गर्भ में से एक गर्भ का नतीजा गर्भपात होता है| २० हफ्तों से ३६ हफ्तों में पैदा होने वाला बच्चा (अपूर्ण काल/कालपूर्व पैदा हुआ) सही हालातों में बच सकता है। गर्भपात नुकसानदेह होते हैं। इनके दौरान खून बहने से मौत भी हो सकती है। इस अध्याय में हम गर्भपात के बारे में जानेंगे।
दुसरे तिमाही का गर्भकोश पानी भरे थैली के साथै |
गर्भ के किसी गड़बड़ी या दुर्घटना के कारण अपने आप गर्भपात हो जाता है। अपने आप होने वाले गर्भपातों में से एक तिहाई सदोष भ्रूण के कारण होते हैं। प्राकृतिक गर्भपातों की चिकित्सीय लक्षणों के अनुसार सम्भावित, अपरिहार्य (जिससे बचना सम्भव नहीं), अपूर्ण और लीन गर्भपातों में बाँटा जाता है। इन सभी में अस्पताल में दाखिल किया जाना ज़रूरी है।
अगर गर्भपात के समय योनि में से खून निकले और पेट में ऐंठन वाला दर्द हो (बच्चादानी के सिकुड़ने से) परन्तु गर्भाशयग्रीवा बन्द रहे तो यह सम्भावित गर्भपात है। कभी-कभी इलाज के बिना भी गर्भपात की यह प्रक्रिया रुक सकती है और गर्भावस्था आगे चल सकती है। कभीकभी यह बिगड़कर अपरिहार्य गर्भपात में बदल सकता है। सोनोग्राफी की तकनीक से कारण का सही पता चल सकता है।
सम्भावित गर्भपात में अस्पताल में इलाज की ज़रूरत होती है। गर्भाशय के मांस पेशियॉं को ढीला करने वाली दवाएँ जैसे आईसोक्सस्प्रिन और पूरा आराम सम्भावित गर्भपात के आम इलाज हैं। प्रोजेस्टेरोन और एचसीसी भी इस्तेमाल होते है। सम्भावित गर्भपातों में से आधों में सामान्य गर्भावस्था बहाल हो जाती है।
इस स्थिति के आ जाने के बाद गर्भपात को रोका जाना सम्भव नहीं रहता। इसमें खून बहता है, गर्भाशय में ऐंठन होती है (जिसे पेडू का दर्द कहते हैं) और गर्भाशयग्रीवा खुल जाती है। इन मामलों में सबसे सही यही रहता है कि भ्रूण को निकलने दिया जाए और गर्भाशय सफाई की प्रक्रिया पूरी हो जाए। संक्रमण से बचाव के लिए दवाएँ भी ज़रूरी हैं। इस स्थिति के लिए अस्पताल में दाखिल किया जाना बिल्कुल ज़रूरी है। सफाई को डी अँड सी याने क्युरेटिंग कहते है।
कभी-कभी गर्भपात पहले से ही हो चुका होता है पर वो अपूर्ण होता है। जिसक अर्थ है कि भ्रूण या पूछ का कुछ हिस्सा अभी भी गर्भाशय के अन्दर ही रह गया होता है। इससे गर्भाशय के सिकुड़ने में रुकावट आती है और इसमें से खून निकलने लगता है। खून बहुत ज्यादा निकल सकता है और यह जानलेवा भी हो सकता है। गर्भाशय की पूरी सफाई याने क्युरेटिंग ही इन मामलों में पूरा इलाज है।
अस्थान का अर्थ है अपनी सही जगह से हटकर। गर्भाशय से बाहर किसी भी जगह में गर्भावस्था अस्थान गर्भ कहलाती है। अस्थान गर्भ की सबसे आम जगह फैलोपियन ट्यूब (डिम्बवाही नली) है। कभी-कभी यह अण्डाशय में भी हो सकती है। ऐसा ट्यूब के ऑंशिक रूप से बन्द होने के कारण हो सकता है। अक्सर इसका कारण श्रोणी प्रदाहक रोग होता है। इस अधखुली स्थिति में शुक्राणु तो छोटे होने के कारण ट्यूब में अन्दर तक जा सकते हैं। परन्तु अण्डाणु इससे बहुत बड़ा होने के कारण बाधा पार नहीं कर पाता। शुक्राणु अण्डे को निषेचित कर देते हैं। निषेचित अण्डाणु फैलोपियन नली में ही अटका स्थापित हो जाता है। इस कारण उसी जगह पर गर्भावस्था शुरू हो जाती है। नली में क्योंकि सीमित जगह ही होता है वह लगभग ६ सप्ताह में फट जाता है| इसका परिणाम यह है कि खूब सारा बहा हुआ खून पेट में इकट्ठा हो जाता है। अस्थान गर्भ एक बहुत ही खतरे वाली स्थिति होती है। कभी-कभी अस्थान गर्भ होते हुए भी पेट में दर्द और बेआरामी के साथ हल्के धब्बों के रूप में माहवारी जैसी प्रतीत हो सकती है। कुछ मामलों में खून भी आ सकता है जिससे माहवारी समझनेका धोखा हो सकता है। इससे धोखा खा जाने की सम्भावना काफी होती है। ऐसी सभी महिलाओं को जल्दी से जल्दी सोनोग्राफी टेस्ट करवा लेना चाहिए। सोनोग्राफीसे समयपर निर्णय हो सकता है।
अस्थान गर्भ के करीब एक तिहाई मामलों में काफी खतरा होता है। अस्थान गर्भ के पेट के अन्दर फट जाने से पेडू में एक ओर बहुत ज़ोर का दर्द होता है। खून बह जाने से सदमावाली खतरे की स्थिति बन जाती है। नाडी तेज़ चलती है, रक्तचाप कम हो जाता है, और बेहोशी हो जाती है। महिला अचानक पीली पड़ जाती है। बहुत अधिक खून बह जाने से माँ की मृत्यु भी हो सकती है। आन्तरिक जाँच करने में समय न बरबाद करें। इससे स्थिति और भी बिगड़ भी सकती है। तुरन्त आपरेशन और खून दिए जाने से जान बचाई जा सकती है। महिला को तुरन्त अस्पताल ले जाएँ और अस्पताल में पहले से खबर कर दें।
गर्भपात के लिये ना बैद चाहिये ना गिराने का इंजेक्शन |
गैर-कानूनी गर्भपात, अप्राकृतिक गर्भपात है जो अप्रशिक्षित और अनाधिकृत व्यक्ति या संस्थानों द्वारा किया गया हो। इसलिए एमटीपी (जिसके बारे में हम बाद में बात करेंगे) के अलावा किए गए सभी प्रेरित गर्भपात गैर-कानूनी गर्भपात हैं। गैर-कानूनी गर्भपात के लिए कानून में कड़ी सज़ा है और इस अपराध के लिए जेल भी हो सकती है। इसके बावजूद बड़ी तादाद में गैर-कानूनी गर्भपात किए जाते हैं। गैर-कानूनी गर्भपात बड़ा खतरनाक या जानलेवा साबित हो सकता है। बच्चादानी फटना, अत्याधिक रक्तस्राव, संक्रमण यह सभी खतरे इसमें मौजूद हैं।
इनमें से कई एक गर्भपात सामाजिक रूप से अवाँछित गर्भाधान से जुड़े होते हैं – जैसे छोटी बच्चियों के, या शादी के बाहर के सम्बन्ध से या बलात्कार के कारण गर्भ धारण होने पर करवाए जाते हैं। पुरुष प्रधान समाज में डर, अपराध बोध और गोपनीयता के कारण महिला इस तरह गलत तरीकों से गर्भपात करवाने पर मज़बूर हो जाती है। वे पैसे या जानकारी की कमी के कारण भी खतरा उठाने पर मज़बूर हो जाती हैं। दुर्भाग्य से एमटीपी की सुविधाएँ बहुत कम और शहरों में ही उपलब्ध हैं। (दूरदराज़ में उपलब्ध नहीं) गर्भपात कराने अस्पताल पहुँचने से भी वहॉं के लोगों का वर्ताव अक्सर ठीक नही होता| इस कारण भी महिलाएँ वहॉं जाना पसन्द नही करते।