उदरीय गॅस

abdoman-gas डकार आना और पाद (गुदा के रास्ते हवा निकलना) एक आम शिकायत है। पेट में आमाश्य के भरने के अहसास के रूप में आहरनली की तरफ वाले उपरी छिद्र के खुलने के कारण गैस के संकेतीक रूप में मुंह से आवाज करते हुअे बाहर निकलती है इसे डकार कहते है और छोटी और बड़ी ऑतो की गैस नीचे की ओर स्थित गुदा व्दार से संकेतीक रूप में आवाज करती हुई बाहर निकलती है इसे पाद कहते है। ये शिकायतें बड़े बूढ़ों और एक ही जगह पर बैठने वाले लोगों में और अधिक समय तक खाली पेट रहकर मुंह चलाने की आदत गुटका,पान पराग आदि चबाने के कारण ज़्यादा होती है।

कारण
  • खाने की क्रिया के दौरान हवा निगल लेना पेट में गैस व अपचन होने का सबसे आम कारण है|
  • आँतों में अपच खादय पदार्थको बैक्टीरिया द्वारा रसप्रक्रिया से सड़ जाने से गन्दी बदबू वाली गैसे बनती हैं। जो मॅह से गंदी बदबु और डकार कब्ज और शरीरिक शिथलता, बैचेनी और चिडचिडापन करती है।नियमित रूप से पाखाने जाने व पेट साफ कर लेने से इस समस्या से निपटा जा सकता है।
  • भारतीय भोजन में विभिन्न प्रकार के स्वाद के शौकिन होते है। यह आम आदत है कि भोजन की मात्रा तय किया बिना एक समय में भरपूर खाना खाया जाए, बल्कि इतना ज़्यादा कि उससे बेचैनी ही होने लगे। इससे भी अपचन और गैस होने की समस्या हो जाती है। खाने की आदतों में बदलाव जैसे कम खाने व ठीक से चबा-चबा कर खाने से पाचन ठीक रखा जा सकता है। एक बार खूब सारा खाने की जगह तीन चार बार थोड़ा-थोड़ा खाना बेहतर होता है। ऐसा करना शरीर के स्वास्थ्य को बनाये रखने के लिए काफी फायदेमन्द है।
  • कुछ विशेष पदार्थ गेस जनक होते हैं जैसे कि उड़द।
लक्षण

डकार या पाद के रूप में गैस निकलने से थोड़ी शर्म सी लगती है, क्योकि वातावरण में बदबू आसपास के लोगो के लिये असंमजस पैदा करता है और पकडे जाने पर करने वाले व्यक्ति को टोका या मजाक बनाया जाता है। पर कभी-कभी अधिक गैस बनने के कारण इससे पेट में बेचैनी होती है, कभी-कभी इससे फूली हुई आँत पर या किसी और अंग के दबने से दर्द भी हो सकता है। जब बड़ी आँत गैस से भरी होती है तो वो डायाफ्राम पर नीचे ऊदर से दबाव डालती है। बाई ओर गैस इकट्ठी होने से दिल का दौरे जैसा दर्द भी हो सकता है। यह दर्द अक्सर कन्धे तक जाता है।

उपचार

अगर किसी व्यक्ति को बदहजमी / अपचन से गैस की शिकायत हो तो उसे एक या दो भोजन टालने से आराम मिल सकता है। डकार और बेचैनी की कभी-कभी होने वाली तकलीफ में भी वायूमोचक मिश्रण व सोडा पीने से आराम मिल जाता है। पर बार-बार होने वाले कब्ज़ और गैस की समस्या से निपटने के लिए रहन-सहन में बदलाव जरूरी चाहिये। नियमित रूप से पाखाने जाना और स्वस्थ्य आहार की आदतें गैस से बचाते हैं।

गैसे से बड़ी आँत के बहुत फूलने की स्थिति में ज़्यादा सक्रिय मदद की ज़रूरत होती है। इसके लिए व्यक्ति को घुटने व छाती के बल बिठा दें। एक गिल्सिरिन या तेल में भीगी हुई आँतवायु सिरावाली मुलायम रबर ट्यूब को मलद्वार में डालें। इससे गैसों को मलद्वार की ओर बाहर निकालने में मदद मिलती है। वो जब बाहर निकलती है क्योंकि गैसे वायुमंडल में ऊपर की ओर जाती हैं ।इसलिये ट्यूब का बाहरी सिरे को किसी पानी के कटोरे में रखने से बुलबुले उठते दिखाई पडेगे। ध्यान रखें कि नियमित रूप से कसरत करना भी गैस से बचने का सबसे अच्छा तरीका है। गैस के इलाज के लिए पेट की कसरत जैसे उदीयान और नौली बहुत फायदेमन्द होती हैं।

आयुर्वेद

आयुर्वेद में खाना खाने के बाद लवण भास्कर या हिंग्वाष्टक चूर्ण लेने को कहा जाता है। आयुर्वेद में माना जाता है कि आलू, कुलथी, चना, उड़द, साबूदाना, शकरकन्दी और बहुत ज़्यादा पानी पीने से पेट में गैसे हो जाती हैं। अगर इनमें से किसी का गैस से सम्बन्ध है तो इसका पता खाने में शामिल करके या न लेकर हम कर सकते है। इन चीज़ों के नियमित रूप से लेने के बारे में ज़रूर सलाह लें यापूछें।

 

डॉ. शाम अष्टेकर २१, चेरी हिल सोसायटी, पाईपलाईन रोड, आनंदवल्ली, गंगापूर रोड, नाशिक ४२२ ०१३. महाराष्ट्र, भारत

message-icon shyamashtekar@yahoo.com     ashtekar.shyam@gmail.com     bharatswasthya@gmail.com

© 2009 Bharat Swasthya | All Rights Reserved.