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रुमेटिक बुखार

रुमेटिक बुखार एक गंभीर बैक्टीरिया की बीमारी है। इससे जोड़ों और दिल पर असर पड़ता है। स्कूल जाने की उम्र के (5 से 15 साल) 1000 बच्चों में से करीब छ: पर रुमेटिक बुखारसे असर होता है। भारत में फैलाव और जितना नुकसान इससे होता है उसके हिसाब से यह सबसे गंभीर दिल की बीमारी है। यह बीमारी उन लोगों में ज़्यादा होती है जो भीड़ भाड़ में रहते हैं। अगर हर गॉंव में नहीं तो कम से कम कुछ गॉंवों के समूह में हम इसके एक दो रोगी ज़रूर देख सकते हैं। हम सभी के लिए यह एक गंभीर बीमारी है।

समय से इस बीमारी का पता चल पाना (इससे पहले कि इससे दिल को नुकसान हो) और उसके बाद पचीस साल की उम्र तक हर माह पैन्सेलीन का इन्जैक्शन लगाने से दिल को और अधिक नुकसान से बचाया जा सकता है। एक बार अगर वाल्व खराब हो जाएं तो केवल ऑपरेशन से इन्हें ठीक किया जा सकता है या फिर बदला जा सकता है। यह काफी मंहगा होता है और अक्सर कुछ सालों में दोबारा बदला जाना पड़ता है।

रोग विज्ञान

रुमेटिक बुखार स्ट्रेप्टोकोकल संक्रमण होता है। इससे आम तौर पर गले पर असर होता है। बाद में, कुछ मामलों में इससे जोड़ों या दिल पर असर होता है। अकसर कुछ सालों तक केवल बार बार गला खराब होने की शिकायत ही होती है। कुछ बच्चों में एक खास तरह का जोड़ों का एक से दूसरी जगह जाने वाला दर्द और सूजन भी हो सकती है।

इसका दिल पर स्थाई रुप से असर होता है

सबसे बड़ा नकसान दिल को झेलना पडता है। यह कुछ ही बच्चों में होता है जिनमें जोड़ों में तकलीफ हो जाती है सब में नहीं। दिल कमज़ोर हो जाता है क्योंकि वाल्व में शोथ हो जाता है।

दिल पर असर स्थाई होता है

सबसे बड़ा झटका दिल को लगता है। यह कुछ ही बच्चों में होता है जिनमें जोड़ों में तकलीफ हो जाती है सब में नहीं। दिल कमज़ोर हो जाता है। और वाल्व में शोथ हो जाता है। बच्चे की सांस फूलने लगती है क्योंकि दिल मजबूती से खून आगे नहीं भेज पाता।

और लक्षण

जोड़ों का दर्द एक से दूसरे जोड़ में जाता रहता है। जोड़ों की एक जगह से दूसरी जगह जाने वाली यह तकलीफ जराजन्य बुखार की चेतावनी देने वाला लक्षण है। जोड़ों में सूजन होती है। फिर ऐसे कम हो जाती है कि पता ही नहीं चलता कि कोई तकलीफ थी भी या नहीं। कभी कभी इसके बाद गैरज़रूरी चलन / हरकत / गति (लास्य), त्वचा के नीचे गांठें या शरीर पर चकत्ते हो सकते हैंं। हल्का या मध्यम दर्जे का बुखार भी एक आम लक्षण है। दिल को कई सालों में धीरे धीरे नुकसान होता है। हर बार दोबारा स्ट्रेप्टोकोकल छूत के होने से बीमारी एक कदम आगे बढ़ जाती है। दिल को लगातार नुकसान होता है और गला ठीक हो जाने के बाद भी वैसा ही बना रहता है।

रुमेटिक दिल की बीमारी के चिकित्सीय लक्षण
  • छाती में दर्द दिल को नुकसान (हृदशोथ) की पहली निशानी है। इसके अलावा दिल के धड़कने के साथ कंपन की आवाज़ भी अन्य लक्षण हैं। ज़्यादा नुकसान होने पर कंपन की आवाज़ भी ज़्यादा ऊँची हो जाती है।
  • अगर दिल खून के संचरण के अपने काम में पिछड़ने लगता है, तो पैरों और पेट में पानी भर जाने से सूजन होने लगती है। फेफड़ों में भी इसी तरह का शोथ होने से उत्पादी खॉंसी हो जाती है। आले की मदद से क्रेपिटेशन की आवाज़ से इसका निदान हो सकता है।
  • ऑक्सीजन की कमी और खून में कार्बन डाईऑक्साइड के इकट्ठे हो जाना श्यावता के रूप में दिखाई देता है (जीभ, नाखूनों आदि में नीलापन)।
  • दिल की चिरकारी बीमारी में लिवर और तिल्ली सामान्य से बड़ी हो जाती हैं। आम इन्हें पसलियों के नीचे महसूस कर सकते हैं।

दुर्भाग्य से रुमेटिक बुखार का निदान तभी हो पाता है जब दिल को नुकसान हो चुका होता है। अक्सर इस अवस्था में इतनी अधिक कमज़ोरी हो चुकी होती है कि बिना चिकित्सीय मदद के जीना असंभव होता है।

जितना जल्दी हो सके निदान करें

रुमेटिक बुखारके इलाज के लिए जल्दी निदान और इलाज बहुत महत्वपूर्ण है। इसके लिए स्वास्थ्य कार्यकर्ता की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। शायद उससे कहीं ज़्यादा जो आराम बाद में अस्पताल में होने वाला इलाज पहुँचा सकता है।

इलाज
  • ऐस्परीन दवा रुमेटिक रोग के लिए बहुत असरकारी है।
  • पैन्सेलीन का इन्जैक्शन स्ट्रेप्टोकोकल छूत के इलाज और बचाव के लिए काफी उपयोगी है।
  • बीमारी में पूरे आराम की ज़रूरत होती है जिससे दिल पर कोई ज़ोर न पड़े।

पैन्सेलीन के इन्जैक्शन का लंबे समय तक होने वाला असर

25 साल की उम्र तक बैन्ज़ाथीन पैन्सेलीन का इन्जैक्शन नियमित रूप से लेने से दिल को और अधिक खराब होने से बचाने के लिए उपयोगी है। इसकी खुराक कभी भी बीच में छूटनी नहीं चाहिए। आम तौर पर 1.2 मैगा यूनिट पैन्सेलीन हर 3 से 4 हफ्तों में दी जानी ज़रूरी होती है। यह हमारी ड्यूटी है कि ऐसे बच्चों को पच्चीस साल की उम्र तक नियमित रूप से यह इन्जैक्शन दिलवाते रहें। अगर स्वास्थ्य केन्द्र दूर है तो आप भी आसानी से यह तकनीक सीख सकते हैं। इन्जैक्शन किसी भी कूल्हे पर दिया जा सकता है। हर बार यह टैस्ट करना ज़रूरी नहीं है कि पैन्सेलीन से एलर्जी तो नहीं होती है, पर एलर्जी का इलाज करने के बारे में हमें ज़रूर पता होना चाहिए।

दिल का संक्रमण

रुमेटिक बुखारकी तरह अन्य बैक्टीरिया से भी दिल की छूत हो सकती है। टाइफॉएड, डिप्थिरिया, तपेदिक कुछ प्रमुख उदाहरण हैं। कुछ वायरसों से भी ऐसी बीमारियॉं हो सकती हैं। ऐसी हर बीमारी के अपने लक्षण होते हैं। दिल की धड़कन में अनियमितता, छाती में दर्द और सांस फूलना कुछ आम लक्षण हैं। बैक्टीरिया से होने वाला एक गुप्त रोग, सिफलिस से भी कई दशकों बाद दिल पर असर होता है। यह इतनी देर में होता है कि तब तक व्यक्ति जनन अंग के अल्सर को भूल चुका होता है।

 

डॉ. शाम अष्टेकर २१, चेरी हिल सोसायटी, पाईपलाईन रोड, आनंदवल्ली, गंगापूर रोड, नाशिक ४२२ ०१३. महाराष्ट्र, भारत

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