इलाज की यह प्रणाली सबसे पहले शुसलर ने सुझाई थी। इसमें केवल 12 उपचार होते हैं (लोहे, पोटेशियम, कैल्शियम और सोडियम के लवण) (देखें परिशिष्ट)। शुसलर उपचार की कोई आसान प्रणाली ढूँढ रहे थे और उन्हें लगता था कि होम्योपैथी बहुत ही जटिल है। उनका मानना था कि ये लवण शरीर में होते हैं और इनकी कमी से कुछ लक्षण पैदा होते हैं। उनका दावा था कि सभी बीमारियों का इलाज इन्हीं से किया जा सकता है चाहे उनके होने के कारण कुछ भी हो। पर यह सही नहीं है और इसकी जर्बदस्त मर्यादाएँ हैं।
आम खुराक है बायोकैमिक दवा की 2 गोलियॉं जो कि दिन में 3 बार ली जानी होती हैं। दवा की शक्ति या तो 6 एक्स 12 एक्स होती है। चिरकारी अवस्था में इनकी शक्ति 30 एक्स या 200 एक्स होती है और इन्हें दिन में दो बार लेना होता है। परिशिष्ट में इस प्रणाली के उपचार और लक्षण दिए गए हैं।
बायोकैमिक दवाओं के परिणाम आमतौर पर 8 से 12 दिनों में दिखाई देने लगते हैं। अगर कोई सुधार न हो तो दवा बदल कर देखें। दवाएँ 25 ग्राम के पैकटों में मिलती हैं और काफी सस्ती होती है। ये और बहुत सी परिस्थितियों में काफी असरकारी और सुरक्षित होती हैं।