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बवासीर

मलद्वार की नसों में लगातार सूजन से बवासीर की तकलीफ हो जाती है। मलद्वार शोथयुक्त हो सूज जाता है और कभी-कभी उसमें से खून भी आता है। इससे खासतौर पर टट्टी करते समय इसमें दर्द होता है। इससे श्लेष्मा का शोथ के कारण जलन की भी शिकायत होती है। आमतौर पर यह बीमारी वयस्कों को ही होती है। गर्भावस्था के दौरान भी बवासीर होती है। ये गर्भावस्था पूरी होने के साथ साथ ही ठीक भी हो जाती है। बवासीर के कारण का ठीक-ठीक पता नहीं है पर कब्ज़ का बवासीर से काफी जुड़ाव है।

लक्षण

hemorrhoidबवासीर दो तरह की होती है- बाहरी और अन्दरूनी। अन्दरूनी बवासीर हम केवल स्कोप (गुहान्तदर्शन) की मदद से ही देख सकते हैं। पर बाहरी बवासीर केवल आँखों से देखकर आप पता लगा सकते हैं कि बवासीर है या नहीं।

मलद्वार में दर्द हमेशा बवासीर के कारण ही नहीं होता यह दरार के कारण भी हो सकता है। मलद्वार के आसपास की ठीक से जॉंच के बाद ही बीमारी का ठीक से निदान हो सकता है। इसके लिए बाई बाजू की ओर से लेटकर या फिर खड़े होकर जॉंच करना ठीक रहता है। अक्सर बाहरी बवासीर मलद्वार के अन्दर दरार होने का सूचक होता है। इसलिए इसे ‘पहरेदार’ बवासीर भी कहा जाता है। परन्तु अक्सर दरार का निदान नहीं हो पाता। सिर्फ बवासीर का ही पता चलता है। जाहिर है की कुशल डॉक्टर की सलाह जरुरी है।

इलाज

बवासीर का इलाज मुश्किल है क्योंकि आधुनिक विज्ञान में इसकी कोई सही दवा नहीं है। इसके अलावा यह अक्सर ही बार-बार हो जाती है। पहले लगातार रहने वाले कब्ज़ का इलाज किया जाना चाहिए। दर्द करने वाले बवासीर में दर्द कम करने वाले स्थानीय संवेदना खत्म कर देने वाली जैली उस जगह को सुन्न करने की ज़रूरत होती है। खासकर पाखाने जाने से पहले इस जैली की ज़रूरत होती है। ज़ाइलोकन जैली से दर्द कम करने में मदद मिलती है। मृदु विरेचन (यानि पाखाना करने में मदद करने वाले पदार्थ) या पाखाने को चिकना करने वाले पदार्थ कड़े पाखाने को मुलायम करने में मदद करते हैं।

आपरेशन

बवासीर के इलाज में या तो बवासीर वाले हिस्से को निकाल दिया जाता है या फिर उन्हें उनके निचले हिस्सों से कसकर रबर या धागे से बॉंध दिया जाता है। इससे बवासीर वाले हिस्से में खून पहुँचना बन्द हो जाता है। इससे वो हिस्सा अपने आप ही झुलस कर खत्म हो जाता है। आजकल क्रायोसर्जरी का तकनीक इस्तेमाल हो रहा है।

आयुर्वेद

मसालेदार, तेल वाला और तला हुआ खाना खाने से बचना चाहिए। जब तक भूख न लगे खाएँ नहीं। कच्ची, रेशेदार मौर मोटा खाना खाएँ। सब्ज़ियॉं और मोटा अनाज से पर्याप्त रेशा मिल जाता है। खाने में रेशेदार चीज़ें शामिल करें ताकि पाखाना सख्त न हो पाए। अमरूद, केला और पपीते से पेट ठीक से साफ हो जाता है। अमलतास का गूदा एक अच्छा विरेचक है। सोने से पहले त्रिफला चूर्ण लेने से भी पेट आसानी से साफ हो जाता है। आहार में थोड़ा सा घी भी शामिल करें। इससे आँते व मलाशय को चिकना बनाने में मदद मिलती है। तेल का भी वही असर होता है जो कि घी का। तिलहन भी असरदार है।

अर्शोघन-वटी (जिसमें नीम का सत्त होता है) से खाना पचाने की क्षमता बेहतर हो जाती है। अगर खून भी आ रहा हो तो कुटज-घन वटी (500 मिलीग्राम) देना बेहतर है। यह गोली तब तक हर दिन दो बार दें जब तक कि खून बहना बन्द न हो जाए। पर्यायस्वरुप तीन से पॉंच दिनो तक नागकेशर (500 मिलीग्राम) की गोली देने से बवासीर का खून बन्द हो जाता है। इससे अक्सर खून बहना 24 घण्टे के भीतर रूक जाती है। दवाईयों की दुकान में बवासीर के मर्हम मिलते है इससे मुश्किले जरुर कम होती, लेकिन अंतिम इलाज नही होता।

मलद्वार में दरार (विदर)

मलद्वार के बाहरी हिस्से में दरारनुमा घाव को मलद्वार का फट जाना कहते हैं। यह अक्सर कब्ज़ या सख्त पाखाने के कारण होते हैं। इसके पास ही में बवासीर भी हो सकती है। (इसलिए इसे पहारेदार बवासीर कहते हैं।) इसमें बहुत दर्द होता है, खासकर पाखाना करते समय। अस्थाई इलाज है कब्ज़ ठीक करना और चिकनाई देने व दर्द कम करने के लिए ज़ाईलोकेन जैली लगाना। स्थाई इलाज ऑपरेशन है। जिसमें मलद्वारा के बहरी हिस्से की पेशियों को ढीला करना शामिल है। इसमें सिर्फ कुछ सेकण्ड लगते हैं। पर दर्द के कारण इस प्रक्रिया के लिए पूरी तरह बेहोश करने जनरल ऐनेस्थीशिया देने की ज़रूरत होती है। ऑपरेशन के कुछ घण्टों बाद तक दर्द होता रहता है।

 

डॉ. शाम अष्टेकर २१, चेरी हिल सोसायटी, पाईपलाईन रोड, आनंदवल्ली, गंगापूर रोड, नाशिक ४२२ ०१३. महाराष्ट्र, भारत

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