अग्न्याशय के सिरे पर शोथ से बहुत अधिक दर्द होता है। यह जगह नाभि के ठीक नीचे पेट के बीचो-बीच होता है। इसका कारण ठीक ठीक पता नहीं है। पर शायद ये शराब या पथरी से होता है।
अग्न्याशय शोथ में बहुत ही जोर का दर्द होता है जो सहन नहीं हो पाता। लेटे लेटे रोगी आगे की ओर झुककर दोहरा हो जाता है जिससे नाभि का क्षेत्र दब जाता है। ऐसे दर्द होता है जैसे कि चाकू से चोट लगी हो। कभी कभी उल्टियॉं भी होती हैं। रोगी को तुरन्त अस्पताल भेजना ज़रूरी होता है। दर्द इतना असहनीय होता है कि अक्सर रोगी घर में नहीं रूकता।
ग्रास नली हलक से लेकर मलद्वार तक का सारा हिस्सा पूरी जिन्दगी काम करता रहता है। आमाशय और मलाशय में कुछ-कुछ समय के लिए उनका माल रूकता है और फिर बाहर निकल जाता है। ठीक वैसे ही जैसे यातायात के सिग्नलों पर यातायात चंद क्षण रूकता है।
छोटी आँत का रास्ता लगातार चलता रहता है। यह आँतों की मुलायम पेशियों के तरंगनुमा संकुचन सिकुड़ने से होता है। आँतों के इस माल के बहाव में कोई भी अवरोध काफी गम्भीर मामला होता है। अगर इसके लिए तुरन्त मदद न मिले तो इससे 24 से 48 घण्टों के अन्दर मत्यु हो सकती है।
आँतों के अवरोध का सबसे महत्वपूर्ण लक्षण है पेट में दर्द होना। सिर्फ लकवे से हुए अवरोध में ऐसा नहीं होता। दर्द लहरों में उठता है, सब जगह फैल जाता है और यह लगातार बढ़ता जाता है। आधमान (फूलना) व उल्टियॉं अवरोध से आँतों की नलियों में द्रव फॅंसा रहता है। इससे पेट फूल जाता है और उल्टियॉं होती हैं। इससे धीरे-धीरे करके बेहद थकान होने लगती है। रोगी के शरीर से बहुत सा द्रवा निकल जाता है। खून में से बहुत सा द्रवा निकल जाने से खून गाढ़ा हो जाता है। और इससमें खून के आयतन में कमी आ जाती है और परिसंचरण शॉक लग जाता है। ऐसा भी हो सकता है कि पेट की पतली से चमड़ी से फैले हुए आँतों के फन्दे साफ दिखाई दें। यह ऊबड़ खाबड़ सतह जैसे दिखाई देते हैं। पेट में जोरदार आँतों का हिलना डुलना भी दिखाई देती है।
अगर आपके पास आला है तो बीमारी के शुरू-शुरू में आप आँतों की बढ़ी हुई आवाज़ सुन सकते हैं। एक दो दिनों के बाद आँतों को लकवा हो सकता है। इससे सभी आवाज़ें और हिलना डुलना बन्द हो जाएगा। फूलापन रहेगा पर उल्टियॉं रूक जाएगी। बार-बार होने वाला अवरोध- कई बार कई कई हफ्तों या महीनों तक आँतों में बार-बार रूकावट हो सकती है। यह आमतौर पर आँतों के तपेदिक या कीड़ों के कारण होता है। आँतों में अवरोध होने से पेट के एक्स-रे में एक खास तरह की फोटो आती है इससे अलग-अलग जगहों पर द्रव के अटके होने के अलग-अलग निशान दिखाई देते हैं।
एकदम शुरुआत में ही अवरोध की जॉंच और एकदम से ऑपरेशन करने से ही रोगी की जान बचाई जा सकती है। इसलिए जब भी पेट के निचले हिस्से में दर्द हो तो यह ध्यान में रखकर ही जॉंच की जानी चाहिए।
पाचनतंत्र के कैंसर का निदान और इलाज दोनो ही अपने आप में जटिल समस्याएँ हैं। मुँह के अलावा कैंसर से ग्रासनली, आमाशय, बड़ी आँत, लीवर और अग्नाशय पर असर पड़ता है।
कैंसर के चिन्ह और लक्षण इस पर निर्भर करते हैं कि कैंसर किस अंग या जगह में हुआ है। अवरोध, खून निकलना, वज़न घटना, अनीमिया और भूख न लगना कैंसर के आम लक्षण है। इन लक्षणों के अलावा कुछ और लक्षण भी होते हैं। जैसे पीलिया, जलोदर या फिर रसौली जैसी सूजन। इस सबके बारे में कैंसर वाले अध्याय में अलग से बात की गई है।