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दवाओं के अनचाहे असर

दवाएँ असल में रासायनिक पदार्थ होते हैं। शरीर में दवा के किसी भी उपचारार्थ वाले असर के अलावा कई एक अनचाहे असर भी होते हैं। उपचार में दो तरह के अनचाहे असर होते हैं।

प्रकार १ प्रक्रियाएँ – अक्सर होने वाले प्रतिकूल असर

medicines-effects ये बहुत बार दवाओं के उपचार के असर के ही साथ के असर होते हैं। इसलिए जब भी किसी भी मरीज को उपचार के लिए दवाएँ दी जाती हैं तो उनके ये असर होते हैं। उदाहरण के लिए ऐस्परीन अगर खाली पेट ली जाए तो इससे ज़्यादातर मरीजों को पेट में जलन होती है। इसी तरह प्रति ऐलर्जी दवा कोलरोफिनिरामीन का एक अनचाहा असर है नींद आना। दवा देते समय बीमार व्यक्ति को इन साथ में होने वाले असरों के बारे में बताना जरुरी है। साथ ही साथ इनको कम करने के लिए क्या किया जाना चाहिए इस बारे में बताना ज़रूरी होता है। दवा की खुराक कम करने या बन्द करने से आमतौर पर आराम पड़ जाता है।

प्रकार २ प्रक्रियाएँ – परेशानी पैदा करने वाले असर

ये कभी कभार होने वाले असर होते हैं। इनके बारे में बीमार व्यक्ति को दवा देते समय बताने की ज़रूरत नहीं होती। परन्तु आपको ऐसे असर होने की सम्भावना के बारे ध्यान रखना चाहिए। और ये दवाएँ ले रहे मरीजों की ऐसी किन्हीं भी शिकायतों पर ध्यान देना चाहिए। ये असर या तो व्यक्तिगत प्रतिक्रिया (इडियोसिनक्रेसी) हो सकते हैं (यानि दवाओं की आनुवंशिक प्रतिक्रिया या फिर ऐलर्जी वाले। व्यक्तिगत प्रतिक्रिया का एक आम उदाहरण है सल्फा दवाओं से त्वचा पर चकत्ते आना। ऐसी स्थिति में दवा तुरन्त रोक देनी चाहिए। पैंसलिन की तीव्रग्राही शॉक प्रतिक्रिया ऐलर्जी वाली प्रतिक्रिया का उदाहरण है। दूसरी बात है दवा का विषैला असर, जो मात्रा के अनुसार कम जादा हो सकता है।

दवाओं के प्रतिकूल असर

असल में किसी दवा के प्रति शरीर की तीव्र प्रतिक्रिया होते हैं। स्वास्थ्य कार्यकर्ता को पता होना चाहिए कि दवाएँ शरीर में कैसे काम करती हैं और इनके प्रतिकूल असर से कैसे बचें। दवाओं की प्रतिकूल प्रक्रियाएँ कई तरह की होती हैं।

तीव्रग्राही प्रतिक्रिया (रुनाफिलोक्सिस)

ये एक खास तरह की प्रतिकूल ऍलर्जिक प्रतिक्रिया है। कभी-कभी खून में मौजूद ग्लोब्यूलिन प्रोटिन और अन्य शरीर के अन्य प्रतिरक्षक पदार्थ दवाओं को अवांछित पदार्थो के रूप में देख सकते हैं। और ऐसे में शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र दवा पर हमला कर देता है। इसके कारण श्वेत कोशिकाओं से अचानक एक रसायन (हिस्टेमिन) झरता है। इससे अनेक असर होते हैं जिनमें त्वचा का लाल होना, खुजली, चकत्ते, रक्त चाप का कम हो जाना, कभी कभी मूर्छित या बेहोश हो जाना आदि शामिल हैं। कभीकभी मौत भी हो सकती है| पैंसलीन के प्रति ऐसी ऍनाफिलॅस्टिक प्रतिक्रिया दवा का तीव्रगाही प्रतिक्रिया का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है। सॉंप के ज़हर को काटने के लिए दी गई दवा से भी इसी तरह की तीव्रग्राही प्रतिक्रिया हो सकती है। प्राथमिक स्तर दवाओं में कोट्रीमोक्साज़ोल एक दवा है जिसकी कभी कभी अन्य किस्मकी तीव्रग्राही प्रतिक्रिया हो सकती है। इसीके कारण इस बहुमोल दवा को प्राथमिक स्तरपर प्रयोग ना करे तो अच्छा है।
अन्य दवाओं की ऐसी प्रतिक्रियाओं की संभावना बहुत कम है। फिर भी हमें इसके लिए तैयार ज़रूर रहना चाहिए। तीवग्राही प्रतिक्रिया होने पर समय से संभलने और उचित तकनीक से अधिकॉंश मरीज़ों को बचाया जा सकता है।

 

डॉ. शाम अष्टेकर २१, चेरी हिल सोसायटी, पाईपलाईन रोड, आनंदवल्ली, गंगापूर रोड, नाशिक ४२२ ०१३. महाराष्ट्र, भारत

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