आमतौर पर यह गलत फहमी है कि टॉनिकों से ताकत और फूर्ति आती है। कई डॉक्टर और रोगी दोनों ही ऐसा मानते हैं। टॉनिकों में से ज़्यादातर मीठे पदार्थ, एल्कोहल, विटामिन और मिनरल और कभी-कभी कुछ पाचक एन्ज़ाइम होते हैं। टॉनिक कभी भी पोषक आहार का स्थान नहीं ले सकते। हम लोगों को बताएँ की वो अपना आहार बेहतर बनाएँ और केवल ज़रूरी दवाएँ खरीदें। टॉनिक ऐसे ही बिना सोचे इस्तेमाल नहीं किए जाने चाहिए, खासतौर पर इसलिए कि वो महॅंगे होते हैं।
आज की भेषजगुण में दवाओं को कई तरह से वर्गीकृत किया जाता है। यहॉं हम दवाओं के काम करने की नजरिये से किए गए वर्गीकरण की बात कर रहे हैं। हालॉंकि हम इनमें से केवल कुछ ही दवाएँ इस्तेमाल करेंगे, यहॉं सारे वर्ग दिए गए हैं ताकि अधिक से अधिक दवाओं की बात हो सके। इससे हमें ये भी पता चलेगा कि दवाएँ कैसे काम करती हैं। ये सारे वर्ग इस तरह से हैं।
पाचन तंत्र पर असर कारक दवाएँ: अम्लनाशक (एंटेसिड) आंत के ऐंठन और गति को रोकने वाले दवा, रेचक, भेदक, बवासीर के लिए मरहम, अग्नाशय और जिगर पर काम करनेवाली दवाएँ और पाचक एंजाइम। ह्रद्वाहिका तंत्र और संचरण तंत्र पर असर कारक दवाएँ: ह्रद्शूल (एन्जैना) विरोधी दवाएँ, उच्च रक्तचाप कम करनेवाली दवाएँ, सूक्ष्म वाहनियों को फैलाने वाली दवाएँ, खून की वाहिकाओं को सिकोड़ने वाली दवाएँ, अर्धकपाली कम करनेवाली दवाएँ, खून का अधिक बहने या अधिक जमने से रोकनेवाली दवाएँ|
दर्द निवारक दवाएँ, बुखार की दवाएँ, नींद की दवाएँ, अवसाद के इलाज की दवाएँ, मिर्गी की दवाएँ, आक्षेप (कन्वंल्शन) रोकने वाली दवाएँ, उत्तेजक दवाएँ|
सूजन कम करने वाली दवाएँ, पेशियों को शिथिल करने वाली दवाएँ, मोच के लिये दवाएँ, तंत्रिका और मांसपेशी के मिलने वाली जगह पर काम करने वाली दवाएँ|
महिला और पुरूष हारमोन, स्टिरॉएड, इन्सुलिन, अंडाशय को उत्तेजित करने वाली दवाएँ, अवटु ग्रन्थि (थायरॉएड) के हारमोन।
दवाएँ जो शरीर में अधिक पेशाब का निर्माण करती हैं। डाईयूरेटिक, मूलतंत्र के लिए खास दर्दनिवारक।
गर्भाशय को उत्तेजित या शिथिल करने वाली दवाएँ, गर्भपात कराने के लिए दवाएँ, शुक्राणुनाशी दवाएँ, प्रजनन विरोधी दवाएँ|
जीवाणु नाशक दवाएँ, सल्फा दवाएँ, फफूँद के लिए दवाएँ, अमीबा के इलाज की दवाएँ, मलेरिया जीवाणु विरोधी दवाएँ, आंत में कीडे निकलने वाली दवाएँ, वॅक्सीन, टॉक्साइड|
विटामिन, खनिज- पानी की कमी में उपयोगी मिश्रण, नस में दी जानेवाली सलाईन और ग्लूकोज, और प्रोटीन।
दमा के इलाज की दवाएँ, खॉंसी रोकनेवाली दवाएँ, बलगम को पतला करनेवाली दवाएँ, सॉंस को उत्तेजित करने वाली दवाएँ| नाक के विसंकुलक, कान में डालने वाली दवाएँ, कान की मोम को घोलने वाली दवाएँ
संक्रमण के इलाज के द्रव या मरहम, तारे को शिथिल करने वाला और फैलाने वाली दवाएँ।
प्रति हिस्टामिनिक्स, स्टीरॉएड।
खुजली, फफूँद और संक्रमण के इलाज की दवाएँ।
बेहोश करनेवाले या एक भाग में सुन्नपन करने वाली दवाएँ|
कणिका की असीम वृद्धी को रोकने वाली दवाएँ|
दमन कम करने वाली दवाएँ।
शराबी के लिए डाइसल्फिराम।
सॉंप के विष के विरुद्ध एंटिवेनम, कीटनाशक के विरुद्ध ऐट्रोपिन खून और खून के उत्पाद प्लाज़मा, पूरा खून और प्लाज़मा से अलग की गई कोशिकाओं का आयतन। मुँह से दवा लेने से वह पाचनतंत्र से गुजरता है, जहॉं उसमें कुछ कमी आती है। इसके बाद जब वह पाचनतंत्र से रक्त संचारण में प्रवेश करता है तब पहले जिगर याने यकृत होकर गुजरता है। यकृत एक जैव रासायनिक कारखाना होने के कारण इस दवा को और तोड मरोड कर उसकी क्षमता कम करता है।
खाली पेट दवा लेने से दवा का आंतों में प्रवेश आसान होता है। इसके साथ पानी लेना भी सही है, लेकिन भोजन के साथ गोली खानेसे दवाकी मात्रा और क्षमता घटती है। इसिलिये चंद दवाएँ जो की खानेसे जलन, आम्लता पैदा करती है, खाली पेट दवा लेना उचित और लाभदायक होता है। इसकी जानकारी रोगी को होना जरुरी है।
खाली पेट का मतलब है खाना खाने के पहिले कम से कम आधा घंटा या खानेके उपरांत १ घंटा छोडकर दवाका प्रयोग करना।