ayurveda icon आधुनिक दवाईयाँ और आयुष
दवाओं के बारे में और कुछ जानकारी दवाओं के अनचाहे असर दवाओं का वर्गीकरण आन्तरिक दवाईयाँ
तीव्रगाही प्रतिक्रिया का इलाज रखरखाव के लिए निर्देश दवाइयों की प्रस्तुति टॉनिक
संक्रमण प्रतिरोधी दवाई एक परिपूर्ण प्रिस्क्रीप्शन दवाएँ कैसे चुने? दवा उद्योग
अप्रशिक्षित डॉक्टर

दवाइयों की प्रस्तुति

presentation-medicines दवाइयॉं गोलियों से लेकर इन्जैक्शन तक कई एक प्रस्तुति में मिलती हैं। कुछ दवाएँ सिर्फ मुँह से ली जाने वाले रूपों में मिलती हैं, और कुछ केवल इन्जैक्शनों के रूप में, और कुछ दोनों रूपों में। प्राथमिक स्तर पर दी जाने वाली ज़्यादातर दवाएँ मुँह से ली जाने वाली होती हैं। सूत्रणों के बारे में कुछ जानकारी नीचे दी गई है।

  • गोलियॉं: दवा के पाउडर को दबा कर बनती है।
  • कैप्सयूल सैलूलोज़ के खोल होत हैं जिनके अन्दर दवा भरी हुई होती है। कैप्सयूल की बाहर की परत छोटी आँत में एन्ज़ाइमों द्वारा गल जाती है। जो दवाएँ अम्ल से बाधित होती हैं उन्हें पेट के अम्लों से बचा कर आँतों तक पहुँचाने में कैप्सयूल उपयोगी रहते हैं। अगर ये दवाएँ कैप्सयूल के अन्दर न हों तो पेट के अम्ल इन्हें बरबाद कर देंगे।
  • बच्चों को केवल द्रवीय मिक्सचर या सिरप दिए जाने चाहिए क्योंकि वे गोलियॉं नहीं निगल सकते। सिरप ज़्यादातर मीठे होते हैं परन्तु कुछ द्रवीय मिक्सचर कड़वे भी होते हैं। व्यस्कों के लिए सिरप का फालतू में इस्तेमाल करना पैसों की बरबादी है। इससे गोलियॉं सस्ती पड़ती हैं।
  • बहुत छोटे बच्चों को बूँदें दी जाती हैं। कुछ बूँदें बाहरी स्थानीय इस्तेमाल के लिए होती हैं (जैसे कान या आँखों में डाली जाने वाली बूँदें)
  • मल्हम के रूप में दवाइयॉं स्थानीय प्रयोग के लिए होती हैं। ये या तो तेल में बने होते हैं या फिर पैराफिन में। अगर दवाई वैसे ही द्रव के रूप में हो तो वो बह सकती है। तेल में बने होने से ये ज़्यादा देर तक लगाई गई जगह पर टिके रह सकते हैं।
  • इन्जैक्शन दवा को सीधे शरीरके अन्दर पहुँचाने के लिए उपयुक्त होते हैं। छोटी शीशियों (अँपूल)में दवा की एक खुराक मिलती है (या बड़ी कॉंच की बोतलों में एक से ज़्यादा खुराक मिलती है।) इन्जैक्शन बनाने के लिए निर्देश इन्जैक्शन पर लिखे होते हैं। ये निर्देश इस पर निर्भर करते हैं कि इन्जैक्शन किस रास्ते से देना जैसे की मांस पेशियों में या शिरों में। इन निर्देशों का कड़ाई से पालन होना चाहिए। अन्त:शिरा इंजेक्शन सबसे जल्दी असर करता है। अन्त:पेशि इंजेक्शन थोडी देर से काम करते है। कुछ अंगों में सीधे-सीधे भी इन्जैक्शन दिए जाते है। जैसे कि मेरूरज्जू, जोड़ों आदि में।
  • आजकल अनेक गोलियॉ जल विद्राव्य रूप में आती है। इसको आधा कप पानीमें घोलकर पीना चाहिये। यह गोली वैसेही पेटमें लेना ठीक नाही। बच्चोंके लिये यह गोली एक चम्मच पानीमें घोलकर पिला दे। यह तरीका इंजेक्शनसे सुरक्षित और सस्ता और शायद उतनाही शीघ्र असरदार होता है। घुलनेवाली गोली इंजेक्शन के लिये अच्छा विकल्प है।
  • ऐरोसोल सॉंस के साथ लेने के लिए होते हैं। जैसे कि दमे के लिए सालब्यूटामोल की निश्चित खुराक छोड़ता है।

इन सभी रूपों में दवाएँ पैकेटों में उपलब्ध होती हैं। उनके ऊपर वैज्ञानिक जानकारी भी रहती है। इस जानकारी में रहता है –

  • दवा का नाम (व्यापार का नाम और वर्गीय नाम),
  • खुराक और कब कब लेनी है,
  • बनने के दिन की तारीख और किस तारीख इस्तेमाल करना ठीक है,
  • वर्ग नम्बर जिसमें उत्पादन का वर्ग दिया होता है,
  • मात्रा
  • रखरखाव निर्देष

 

डॉ. शाम अष्टेकर २१, चेरी हिल सोसायटी, पाईपलाईन रोड, आनंदवल्ली, गंगापूर रोड, नाशिक ४२२ ०१३. महाराष्ट्र, भारत

message-icon shyamashtekar@yahoo.com     ashtekar.shyam@gmail.com     bharatswasthya@gmail.com

© 2009 Bharat Swasthya | All Rights Reserved.