Accidents दुर्घटनाएं और प्राथमिक उपचार
जलना और झुलसना
Burn

क्या महिला आत्महत्याओंको हम रोक सकते है

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यह बच्चा उबलते सब्जी में गिरकर क्षतिग्रस्त है

जलना या गर्म पानी, भाप आदि से झुलसना घरों में होने वाली आम दुर्घटनाएं हैं। पुरुषों के मुकाबले ये औरतों में ज़्यादा होती हैं। यह केवल कोई संयोग की बात नहीं है क्योंकि कभी कभी ये जानबूझ कर भी किया जाता है। रसोई में आग लगना काफी आम है। परन्तु कभी कभी हत्या की कोशिश को भी रसोई में हुई दुर्घटना के रूप में छिपाया जा सकता है। इनमें से कई दहेज से जुड़ी मौतें होती हैं।
बच्चे पटाखे चलाते हुए और कभी कभी रसोई में जलने से ज़ख्मी हो सकते हैं। फैक्टिरियों या ईंधन के टैंकरों में दुर्घटनाओं से रसायनों से जलने की घटनाएं हो सकती हैं। जलने से होने वाली दुर्घटनाओं के कारण ये हैं –

  • हत्या की कोशिश।
  • रसोई में होने वाली दुर्घटनाएं, आमतौर पर स्टोव का फटना।
  • आत्महत्या की कोशिश।
  • पटाखे।
  • काम की जगह पर विस्फोट।
  • घर में आग लगना।
  • रसायनों से जलना।
  • बिजली से जलना।
यहॉं पर जलना गंभीर है
  • चेहरा और गला
  • आँख
  • हाथ
  • पैर
  • प्रजनन अंग
  • टट्टी के रास्ते के आस पास
  • जोडों पर
कितना जला है यह कैसे नापते है

दो चीज़ों का पता लगाना सबसे अधिक ज़रूरी है। वो हैं जलने की चोट कितनी बड़ी है और कितनी गहरी।

जलना कितना गहरा है

त्वचा कितनी गहरी जली है यह पता लगाने के लिए थोड़े से अनुभव की ज़रूरत होती है। जलने को गहराई के अनुसार आंशिक या संपूर्ण इस प्रकार दो श्रेणियों में बांटा जा सकता है।
आंशिक गहराई वाले जलने में त्वचा की अंदरूनी परत सुरक्षित रहती है। इसलिए अंदर की परत की कोशिकाएं चोट ठीक करने में मदद करती हैं। संपूर्ण जलने में यह चोट आसपास की स्वस्थ त्वचा से ठीक होती है। अगर क्षति काफी अधिक क्षेत्र में फैली हो तो इस तरह से ठीक होने में समय लगता है। इसलिए ऐसी क्षति के लिए त्वचा रोपण करना जरुरी है।

आंशिक जलना

जली हुई त्वचा पर ध्यान दें। हलके फुलकी जलने की चोट लाल दिखाई देती है। लाली, छाले और नम दिखने के अर्थ है कि यह चोट आंशिक है। ऐसे में त्वचा की तंत्रिकाएं और संवेदनाएं बनी रहती हैं इसलिए इन चोटों में बहुत दर्द होता है।

पूरी परत जलना

पूरी परत जलने से कभी कभी अंदर की त्वचा दिखाई देने लगती है। त्वचा में स्थित तंत्रिकाएं जलने के कारण दर्द कम होता है। आप पिन चुभा कर यह परख सकते हैं।

जले हुए क्षेत्र का आकार – नौ का नियम

कितना क्षेत्र जला है इसका अंदाज़ हम नौ के नियम से लगा सकते हैं। यह नियम १२ साल से बड़े सभी व्यक्ती के लिए सही रहता है।

  • चेहरा और सिर कुल क्षेत्रफल का ९ प्रतिशत होता है।
  • प्रत्येक बांह का कुल क्षेत्रफल का ९ प्रतिशत होती हैं।
  • प्रत्येक टॉंग (जिसमें जांघें, पिंडली और पांव शामिल होते हैं) कुल क्षेत्रफल का १८ प्रतिशत होता है।
  • छाती और पेट का सामने का भाग कुल क्षेत्रफल का १८ प्रतिशत होता है।
  • पीठ भी कुल क्षेत्रफल का १८ प्रतिशत हिस्सा माना जाता है।
  • इस सबको मिला कर क्षेत्रफल ९९ प्रतिशत बनता है। बाकि का हिस्सा जननअंगों से आता है।
  • बच्चों में यह अनुपात अलग होता है। उनमें सिर बड़ा होता है।
  • आप जले हुए भाग का हिसाब एक और तरीके से भी कर सकते हैं। इसमें व्यक्ति के अपने बित्ते का इस्तेमाल किया जाता है जिसका क्षेत्रफल एक प्रतिशत होता है।
  • व्यक्ति कितना जला है इसका अंदाज़ा लगाना ज़रूरी है। इसी से तय होता है कि नुकसान, उसका उपचार समस्याएं होना संभव है।
  • ६० प्रतिशत से ज़्यादा जलने से व्यक्ति की अच्छी चिकित्सा सुविधा के बावजूद मौत होने की संभावना होती है। हांलांकि इसके अपवाद भी होते हैं।
  • ३० प्रतिशत से कम जले होने पर बच जाने की संभावना काफी ज़्यादा होती है।
  • ३० से ६० प्रतिशत जलने पर बचने की संभावना ५० प्रतिशत होती है।
  • १० प्रतिशत से ज़्यादा जलने पर अस्पताल में दाखिल करना और अंत:शिरा द्रव दिया जाना ज़रूरी है।
  • गहरे जले होने पर मृत्यु की संभावना आंशिक परत के जलनेसे काफी ज़्यादा होती है।
प्राथमिक सहायता
Objection
किसी भी आपत्ती में प्राथमिक इलाज
की महज जरुरी होती है

सबसे पहले तो आगकी लपटें बुझाने की कोशिश करें। बच्चों को ‘‘स्टॉप, ड्रॉप’’ रोल सिखाया जा सकता है| अगर शरीर में आग लगे तो जो कर रहेहै, उसे रोके| जमीन पर तुरंत लौट जाएँ और हाथों से चेहरे को ढक ले और लोटे| इससे आग बुझने में मदद होती है| अगर उपलब्ध हो तो जलाते व्यक्ती को कम्बल या भारी चद्दर में लपेटें| इसे ऑक्सीजन की कमी से आग जल्दी बुझ जाएगी| इसके लिये पानी सबसे उपयुक्त है। सल्फयूरिक अम्ल (किसी भी अम्ल) से जलने के अलावा सभी तरह के जलने में सबसे पहले जले हुए हिस्से में खूब सारा पानी डाला जाना ज़रूरी होता है। इससे चमडी से उष्णता पानी में चली जाती है। इससे दर्द भी कुछ कम हो जाता है। शरीर से जलता हुआ कपड़ा हटाने में भी पानी से मदद मिलती है। जले हुए भाग पर गीला कपड़ा रखें।
दुर्भाग्य से बहुत से लोग ऐसी गलत धारणा रखते हैं कि पानी से छाले पड़ जाते हैं। व्यक्ति को जितना ज़्यादा पानी हो सके पिलाएं। इससे शरीर में पानी की कमी से होने वाली आघात की स्थिति से व्यक्ति को बचाया जा सकता है। जले हुए भाग को धूल और मक्खियों से बचाने के लिए साफ कपड़े से ढक दें। अगर जला हुआ हिस्सा ५ प्रतिशत से ज़्यादा हो तो आहत को अस्पताल ले जाना चाहिए।

इलाज

जले हुए का इलाज करने के लिए नीचे दिए गए सिद्धांतों का ध्यान रखना चाहिए। शरीर में पानी की कमी को पूरा करने के लिए मुँह या अंत: शिरा से द्रव देना ज़रूरी है। घावों के ठीक होने के लिए पोषक तत्व देना भी ज़रूरी होता है। कभी कभी खून देना भी ज़रूरी है। घावों की मरहम पट्टी करना भी बहुत ज़रूरी है। हल्का फुल्का जलने पर मरहम पट्टी की ज़रूरत नहीं होती है।

  • जले हुए भाग पर जीवाणु मुक्त वैजलीन लगाकर उसके उपर गॉज ढीले से बॉंधे या जले भाग पर जेंशियन वॉयलट (नीली दवा) लगाकर खुला छोड दे| दर्द के लिए पॅरासिटामॉल दे|
  • दिन में दो बार घाव को साबुन और पानी से धोएँ और बीटाडीन मल्हम की पतली परत लगाकर गॉज पट्टी बॉंधे या सिल्वर सल्फाडायाजीन की मोटी परत लगाकर गॉज पट्टी बॉंधे|

मरीज को बुखार हो या घाव में मवाद जम रहा हो तो घाव को उबालकर ठंडा किया हुआ पानी (१ लीटर पानी में १/२ चम्मच नमक) में डुबाकर उसके बाद मुलायम कपडे से पोछे| अगर कोई सादी चमडी लटक रही हो तो उसे काटकर निकाल दे| हलके से सूखने के बाद मलहम लगाएँ| संक्रमण ठीक करने के लिए जीवाणुरोधी दवाएं देना ज़रूरी है।
अगर ज़रूरी हो तो त्वचा का प्रत्यारोपण करना पड़ सकता है। यह बाद में किया जाता है जब घाव थोड़े ठीक हो चुके होते हैं और उनमें संक्रमण नहीं होता। जले हुए हिस्से के ठीक होने पर उस भाग के छोटा हो जाने (संकुचन) की संभावना रहती है। इसे बचाने के लिए उस भाग को सही स्थिति में रखने से मदद मिलती है। जैसे कि अगर कोहनी का सामने का भाग जला हो तो कोहनी को सीधा रखना ज़रूरी होता है। जब त्चचा बन रही होती है तो उसे बार बार खींचा न जाए तो उसका लचीलापन कम हो जाता है।
घाव की देखभाल उपचार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। घावों को रोज़ साफ करें और उनकी मरहम पट्टी करें। आलू के छिलके या कुमारी (एक पौधा) के टुकड़े लगाने से भी फायदा होता है। जोड़ों के ऊपर जला हुआ हिस्सा खासतौर पर अधिक नुकसान करने वाला होता है। क्योंकि यहॉं त्वचा के सिकुड़ने की संभावना रहती है, जिससे उसके काम में भी बाधा पैदा हो जाती है। अवकुंचन से बचाव के लिए सही देखभाल की ज़रूरत होती है। सही तरह के व्यायामों की ज़रूरत होती है। एक बार बन जाने के बाद संकुचन का इलाज काफी मुश्किल होता है। जलने का इलाज करने में हफ्ते महीने लग जाते हैं। परन्तु जलने की बड़ी चोटें भी सही देखभाल और इलाज से ठीक हो जाती हैं। सही देखभाल और संक्रमण रोकना महत्त्वपूर्ण हैं।

किन मरीजों को अस्पताल में भर्ती करे?
  • १० वर्ष से कम उम्र या ५० वर्ष से अधिक उम्र के मरीज|
  • जिसके बदन में १०% जला हो|
  • १०-५० वर्ष के बीच मरीज जिनका २०% या उससे अधिक जला हो|
  • अगर चेहरा, हाथ, पैर, आँख, प्रजनन अंग या मलद्वार के आस-पास जला हो|
  • बच्चा जला हो
  • जलने के साथ गंभीर चोट (जैसे फ्रैक्चर) हुआ हो|
  • धुआँ, बिजली या रासायनिक पदार्थ से जलना|
जलना और कानून
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मृत्यूपूर्व जबानी का न्यायिक महत्त्व है

जलने की घटना कानून के दायरे में आती है। अगर चोटें साधारण न हों तो पुलिस को सूचना देना ज़रूरी होता है। जब व्यक्ति होश में हो उसी समय पुलिस उसका बयान ले लेती है। आहत के बयान पर बहुत कुछ निर्भर रहता है। अगर व्यक्ति की मौत की संभावना हो तो उसका बयान लिया जाना बेहद ज़रूरी होता है (मृत्यु पूर्व जबानी)। मजिस्ट्रेट के सामने दिया गया बयान कहीं ज़्यादा अहमियत रखता है। पुलिस या अस्पताल के कर्मचारियों को मजिस्ट्रेट को बुलाने का इंतज़ाम करना होता है। दुर्भाग्य से कई बार पीडीत व्यक्ति सच कहने से हिचकिचाता है और इससे गुनहगार बच निकलता है।

जलने से बचाव

बचाव इलाज से ज़्यादा अच्छा रहता है। कृपया नीचे दी गई सावधानियों का पालन और प्रचार करें। रसोई में काम करते समय हमेशा सूती कपड़ों का इस्तेमाल करें, सिंथैटिक कपड़ों में आग ज़्यादा जल्दी लगती है। एक बार जल जाने पर सिंथैटिक कपड़े त्वचा से चिपक जाते हैं। जलने की कई दुर्घटनाएं साड़ी के पल्लू में आग लगने से होती हैं। साडी के बजाय पंजाबी ड्रेस जैसे कसे हुए कपड़े पहनने से बचाव अच्छा होता है। या रसोई में ज़मीन के बजाय किसी ऊँची जगह ( टैबल या कमर तक ऊँची) पर काम करने से इनसे बचाव हो सकता है।
स्टोव को पिन लगाने या जलाने से पहले देर तक पंप करना भी खतरनाक होता है। पहले पिन लगाएं फिर पंप करें। यही स्टोव जलाने का सही तरीका है। गॅस सिलींडर घर के बाहर रखना ज्यादा सुरक्षित होता है। पाईपके जरिये गॅस रसोई में ला सकते है।

 

डॉ. शाम अष्टेकर २१, चेरी हिल सोसायटी, पाईपलाईन रोड, आनंदवल्ली, गंगापूर रोड, नाशिक ४२२ ०१३. महाराष्ट्र, भारत

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