Accidents दुर्घटनाएं और प्राथमिक उपचार
सड़क दुर्घटनाएं
helmet

दुपहिया वाहनोंपर हेल्मेट पहनना जरुरी है

accidents prompt treatment

घायलोंका अच्छा और तुरंत ईलाज होना बेहद जरुरी है।

accidents prompt treatment

घायलोंका अच्छा और तुरंत ईलाज होना बेहद जरुरी है।

यातायात के बढ़ते जाने के कारण सड़क दुर्घटनाओं में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। मौत और अपाहिज होने का यह एक बड़ा कारण बनता जा रहा है। सड़क की सुरक्षा एक राष्ट्रीय सुरक्षा का एक मुद्दा बन जाना चाहिए। पिछले साल याने २०११ में भारत में सड़क दुर्घटनाओं में करीब ७५,००० लोग मारे गए और कई एक घायल हुए। सड़क दुर्घटनाओं को हम नीचे दी गई श्रेणियों में बांट सकते हैं –

  • सिर्फ त्वचा के ऊपरी भाग पर लगी चोटें, कटना और खरोंचें।
  • चोटें जिनमें त्वचा और गहरे ऊतकों पर भी असर हो।
  • हाथ पैरों की हड्डियॉं टूटना।
  • सिर की चोट जिसमें मस्तिष्क, आँखों, कानों या चेहरे को नुकसान हुआ हो।
  • छाती में चोट जिसमें फेफड़ों और पसलियों पर असर हुआ हो।
  • पेट में लगी चोटें जिसमें अंदरूनी अंग जैसे तिल्ली या लिवर प्रभावित हुए हों।

छोटी मोटी त्वचा की चोटें उसी जगह पर दवा वगैरह लगाने से ठीक हो जाती हैं। अन्य सभी चोटों के लिए व्यक्ति को अस्पताल भेजना ज़रूरी होता है। इसके अलावा अगर मामला कानूनी हो तो व्यक्ति को अस्पताल (खासकर सरकारी अस्पताल) या स्वस्थ्य केन्द्र भेजना ज़रूरी होता है। याद रहे कि सिर, छाती या पेट की चोटों में कुछ समय तक निगरानी ज़रूरी है। इस चोटों में लापरवाही बिलकुल नहीं करनी चाहिए। निजी अस्पताल भी आपातकालीन दवा-इलाज करने के लिए बाध्य है चाहे मरीज कितना ही गरीब क्यो न हो।

खतरे के लक्षण

दुर्घटनाओं में नीचे दिए गए खतरों के चिन्हों पर ध्यान दिया जाना चाहिए –

  • नाक, मुँह या कानों से खून बहना यह खोपड़ी की हड्डी टूटने और दिमाग को चोट पहुँचने की निशानियॉं होती हैं।
  • शरीर के किसी भी भाग की हड्डी टूटना। आप हड्डी टूटने का प्रथमोपचार कर सकते हैं। ध्यान रहे कि बुढापेमें अकसर हड्डी टूटने का पता नहीं चल पाता क्योंकि उनमें कभीकभी दर्द नहीं होता। बुढे व्यक्तीमें ठीक से जांच करने के बाद ही तय करें कि उनकी हड्डी टूटी नहीं है। जिन जगहों पर दबाने से दर्द हो वहॉं हड्डी टूटने की जांच करनी चाहिए।
  • अगर कही जगह पर बहुत अधिक दर्द हो रहा हो तो कोई अंदरूनी चोट का लक्षण हो सकता है।
  • बाहरी रक्तस्त्राव जो कि दबाव डालने पर भी न रुके।
  • आंतरिक रक्तस्त्राव (जो दिखाई नहीं देता), पर इससे रक्तचाप कम हो जाता है। गिरता रक्तचाप गंभीर आंतरिक रक्त स्त्राव का इशारा है।
  • बेहोश होना या सांस फूलना।
  • आँख की पुतलियों की जांच करें। अगर दोनो पुतलियों के आकार में फर्क होता है तो दिमाग में चोट का इशारा है। अगर एक पुतली रोशनी से हिल न रही हो तो इसका अर्थ भी यही है कि दिमाग में रक्तस्त्राव हो रहा है। अगर रोशनी डालने पर आँखों में कोई प्रतिवर्त क्रिया न हो तो यह मृत्यु की निशानी होती है।
  • दुर्घटना के कारण शरीर के किसी भाग में लकवा या उसका कमज़ोर पड़ना।
  • शरीर के किसी भाग में संवेदना न होना। तंत्रिका की चोट का इशारा हो सकता है।
  • शरीर के किसी भाग में खून पहुँचना बंद हो जाना। कलाई या पैर में धड़कन की जांच।
  • मसूड़ों का अनियमित होना जबड़े की हड्डी के टूटने का सूचक है।
  • कोई और गंभीर लक्षण।
प्राथमिक सहायता
  • अगर आहत व्यक्ति होश में हो तो उसे दिलासा दिलाएं।
  • आहत व्यक्ति को बिना कोई और नुकसान पहुँचाए, दुर्घटना की जगह से किसी सुरक्षित जगह पर पहुँचाएं।
  • हाथ से दबा कर रक्त स्त्राव रोकने की कोशिश करें।
  • घावों को साफ करें और साफ सुथरे कपडेसे ढक दें।
  • सांस और दिल की धड़कन की जांच करें। अगर ज़रूरत हो तो कॄत्रिम रूप से सांस दिलाने और दिल की मालिश करने की कोशिश करें।
  • जांच करके पता करें कि कहीं कोई हड्डी तो नहीं टूटी है। अगर ज़रूरत हो तो परचाली का इस्तेमाल करें।
  • अगर आहत व्यक्ति हिल डुल पाने की स्थिति में न हो तो उसे ले जाने के लिए एक स्ट्रेचर बना लें। (स्ट्रेचर याने आहत व्यक्ति को इधर उधर ले जाने की खाट) आप एक कंबल और दो बांसों का इस्तेमाल करके भी स्ट्रेचर बना सकते हैं। आहत व्यक्ति को सुरक्षित अस्पताल पहुँचाएं।
  • रीढ़ की हड्डी टूटने पर ले जाए जाने में सुरक्षित रखना बेहद ज़रूरी है। रीढ़ की हड्डी टूटने पर आहत व्यक्ति को आराम से एक जगह से दूसरी जगह पहुँचाना चाहिए। उसे पेट के बल लिटाना चाहिए ताकि रीढ़ की हड्डी को और नुकसान न पहुँचे।
  • रीढ़ की हड्डी टूटने पर सिर, शरीर, हाथ पैरों को स्ट्रेचर से बांध देना भी ज़रूरी होता है।

बहुत सी सड़क दुर्घटनाएं देर रात और बेहद सुबह गाड़ी चलाने से होती हैं। इस समय में नींद व्यक्ति पर हावी होती है। शराब पी कर गाड़ी चलाना भी दुर्घटनाओं का कारण बन सकता है। तेज़ गाड़ी चलाना और यातायात के नियमों का पालन न करना भी दुर्घटनाओं के बड़े कारण हैं। हमें ड्राइवरों के बीच यह जानकारी बढ़ाने की कोशिश करनी चाहिए। यातायात के नियमों का पालन करवाया जाना महत्वपूर्ण है। शराब पिए हुए होने का पता करने के लिए आजकल सांस की जांच ज़रूरी होती है। कुछ राज्यमार्गों पर चलती फिरती आपातकालिक यूनिटें भी आजकल उपलब्ध होती हैं। ड्राइवरों में सुरक्षित ढंग से गाड़ी चलाने की आदत डालना स्वास्थ्य शिक्षा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

खेतों में खतरे
farming people

खेती में किटनाशक रसायनोंका प्रयोग बढ रहा है

medicines pesticides away

दवाईयॉं और कीटनाशक बच्चोंसे दूर रखे

करोडो पुरुष, महिलाएं और बच्चे खेतों में काम करते हैं। परन्तु खेतों में होने वाले खतरों की सूची बनाने का आजतक कोई तरीका मौजूद नहीं है। इसके लिए विशेष इलाज भी बहुत कम ही उपलब्ध होते हैं। इस विषय के बारे में आप व्यावसायिक स्वास्थ्य के अध्याय में पढ़ सकते हैं।
खेतों में होने वाली दुर्घटनाओं का एक मोटा मोटा वर्गीकरण यह है –

  • खेतों में इस्तेमाल होने वाली मशीनों और अन्य उपकरणों जैसे हंसिये, भूंसी निकालने वाली मशीन आदि से लगने वाली चोटें।
  • मवेशियों और अन्य जानवरों जैसे कुत्तों, सांपों या बिच्छू आदि के काटने से लगने वाली चोटें।
  • कीटनाशकों से विषाक्तता।
  • खेतों में होने वाली अन्य दुर्घटनाएं जैसे कूओं में विस्फोट। कुएँ खोदने के लिए विस्फोट किया जाने के समय।
मशीनों और बिजली से लगने वाली चोटें

असुरक्षित मशीनें खेतों में होने वाली दुर्घटनाओं का एक प्रमुख कारण होती हैं। भूंसी निकालने वाली मशीन के दुर्घटनाएं काफी आम हैं। कई बार इसमें उंगली कट जाती है जिससे हमेशा के लिए विकलांगता हो जाती है।
बिजली के पंप का इस्तेमाल करते हुए झटका लगने से कई मौतें हो जाती हैं। बरसात या तूफान आदि में बिजली के तारों के ढीले होकर निकल जाने से हर साल कई दुर्घटनाएं होती हैं।

जानवरों के कारण दुर्घटनाएं

सांप के काटने या बिच्छू के डंक के अलावा जानवरों से कई तरह की चोटें लगती हैं। ये चोटें मुख्यत: मवेशियों और कुत्तों से होती हैं। मवेशी के कारण आमतौर पर चेहरे, आँखों, पेट या छाती पर चोट लगती है। बच्चों और बड़ों दोनों के लिए ये खतरे होते हैं।

 

डॉ. शाम अष्टेकर २१, चेरी हिल सोसायटी, पाईपलाईन रोड, आनंदवल्ली, गंगापूर रोड, नाशिक ४२२ ०१३. महाराष्ट्र, भारत

message-icon shyamashtekar@yahoo.com     ashtekar.shyam@gmail.com     bharatswasthya@gmail.com

© 2009 Bharat Swasthya | All Rights Reserved.