Accidents दुर्घटनाएं और प्राथमिक उपचार
सांप के काटने के लक्षण और इलाज

ज़हरीले सांपों के काटने पर दांतों के दो निशान अलग ही दिखाई देते हैं। गैर विषैले सॉंप के काटने पर दो से ज्यादा निशान होते है। मगर यह निशान न दिखने से सॉंप नहीं काटा है, ऐसा सोचना गलत है। सॉंप विषके अन्य असर ज़हर के प्रकार और सांप के काटने के बाद बीते समय पर निर्भर करते हैं।

तंत्रिका तंत्र के असर

न्यूरो जीवविष से पलकें भारी होने लगती हैं – करीब ९५ प्रतिशत मामलों में यह सांप के काटने का पहला लक्षण होता है। इस लिए नींद आना सबसे पहला लक्षण होता है। इसके बाद निगलने और सांस लेने में मुश्किल होनी शुरु हो जाती है। सांस की दर नापने का तरीका एक उपयोगी तरीका है। (आहत व्यक्ति से कहना कि वो एक बार के सांस लेकर उंगलियों पर गिने) अगर हर अगली सांस के साथ गिनती कम और कम होती जाए तो इसका अर्थ है कि सांस लेने की क्षमता पर असर हो रहा है। अगर डंक जहरीला हो तब असर ज़्यादा से ज़्यादा १५ घंटों में दिखने लगता है। लेकिन सबसे पहले असर कुछ मिनटों में दिखाई देना शुरु हो सकता है। पर आमतौर पर यह असर आधे घंटे के बाद ही दिखना शुरु होता है।

खून के जीवविष के लक्षण
poisonous snakes points

जहरीला साप कांटने पर दॉंतों के दो निशान होते है,
ज्यादा निशान हो तो समझे की सांप जहरीला नहीं

gums blood

जहरीले सांप के डंक से या तो पलके झपकने लगती है,
या मसुडों से खून रिसने लगता है|

रक्त के कारण डंकसे और मसूड़ों और फिर अन्य जगहों से खून बहना शुरु हो जाता है। मसूड़ों से खून आना सबसे आम लक्षण है जो कि करीब ९५ प्रतिशत मामलों में दिखाई देता है। आमतौरपर लक्षण एक घंटे के अंदर अंदर दिखाई देने लगते हैं। ज़्यादातर असर २४ घंटों में दिखने लगते हैं। मैंने एक अपवाद भी देखा है जिसमें काटने के करीब तीन दिन बाद पेशाब में खून आना शुरु हुआ। शायद ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि डंकमें ज़हर की मात्रा कम गई थी। दोनों तरह के ज़हरीले सांप द्वारा काटने पर काटे जाने वाली जगह के ऊतकों में ऊतकक्षय होने और फिर उससे होने वाले ज़ख्मों का सड़ने लगना आम है। पर ऐसा वाइपर के काटने पर ज़्यादा होता है।

हृदयविष के लक्षण

हृदयविष से तुरंत दिल पर असर होता है। इससे हार्ट फेल होकर कुछ ही मिनटों में मृत्यु हो जाती है।

सांप के काटने पर इलाज के प्रचलित लोकपरंपरागत तरीके

सांप के काटने के इलाज के लिए कई सारे स्थानीय परंपरागत उपाय किये जाते हैं। सभी जहरीले सॉंप के विष के प्रति विफल है, मगर मरीज को थोडी तसन्नी देते है| इनपर समय व्यर्थ जाया न करे।

  • कुछ लोग एक खास तरह के पत्थर का इस्तेमाल करते हैं जिसे सांप पत्थर कहा जाता है। इससे कोई फायदा नहीं होता।
  • सबसे आमतौर पर लोग आहत व्यक्ति को कुछ घंटों के लिए मंदिर में रखते हैं। ८० प्रतिशत से ज़्यादा बार जो सांप का काटना ज़हरीला नहीं होता, इसलिए ज़्यादातर लोगों तो वैसे भी ठीक हो ही जाते हैं। लेकिन यह तरीका गलत है। मंदिर ले जाना इतनाही उपयोगी है क्योंकि इससे आहत व्यक्ति को थोड़ा सा दिलासा मिल जाता है। क्योंकि ज़्यादातर मामलों में आहत व्यक्ति की मौत तो डर के ही कारण होती है।
  • सांप डसनेके ऐसे उपचार के तरीकों की कड़ी जांच करने की ज़रूरत है। क्योंकि सांप के काटने पर खतरा बहुत ही ज़्यादा होता है। सांप के काटने पर किसी भी तरह का जादुई इलाज भरोसेमंद नहीं होता है। सांप पालने वाले लोगों की भी सांप के काटने से मौत होने की बहत सी रिपोर्ट मौजूद हैं।
  • एक परंपरागत तरीका सांप के काटे वाली जगह पर चूज़ा लगाने का भी है। चूज़े की गुदा काटे वाली जगह पर लगाया जाता है। इसके लिए पहले काटे वाली जगह और चूज़े की गुदा दोनों पर कट लगाया जाता है। शायद चूज़े की गुदा आहत व्यक्ति के शरीर में से ज़हर खींच लेती है। ज़हर चूसने के बाद चूज़ा मर जाता है। इसके बाद दूसरे चूज़े का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन यह तरीका अब त्यागना चाहिये। न उससे जान बचेगी ना चूजे! वैसे पट्टियों का इस्तेमाल करके पैर को बांध देना मानक प्राथमिक उपचार है।
सांप के डंक के लिये प्राथमिक उपचार
elastic strip

कुछ देशों में जहरीला सांप काटने पर उस अंग को इलॅस्टिक पट्टी
बांध देते है, लेकिन इसका खास उपयोग नहीं

elastic strip

कुछ देशों में जहरीला सांप काटने पर उस अंग को इलॅस्टिक पट्टी
बांध देते है, लेकिन इसका खास उपयोग नहीं

हमें उपलब्ध सुविधाओं, आहत व्यक्ति की हालत और परिस्थिति से निपटने की अपनी तैयारी के अनुसार ही प्राथमिक उपचार के तरीके ढूंढने होते हैं। कुछ बुनियादी उपाय यह हैं –

  • कुछ लोग एक खास तरह के पत्थर का इस्तेमाल करते हैं जिसे सांप पत्थर कहा जाता है। इससे कोई फायदा नहीं होता।
  • आहत व्यक्ति को दिलासा दिलाएं और घटना के तथ्य पता करें।
  • गीले कपडेसे डंक की जगहकी चमडी पोछ ले, लेकिन दवाऍ नही। पोछनेसे सांप का वहॉं पडा विष निकाला जाएगा।
  • घायलको करवटपर सुलाएँ, जिससे उलटी हो तब भी श्वसन-तंत्र में न चली जाएँ।
  • पैर या हाथपर जहॉं डंक हो एक खपच्ची बांध दें ताकि उसका हिलना डुलना बंद हो जाए। इससे उस भाग में संचरण कमद हो जाता है।
  • शरीर का उंचवाला अंग हृदयकी अपेक्षा नीचे के स्तर पर रखे इससे विष संचरणमें आनेसे बचाव होगा।
  • अगर काटने में ज़हर हो तो उसके लक्षणों की भी जॉंच करें। अक्सर जिस सांप ने काटा है वो नुकसान रहित होता है।
  • टूर्निके का इस्तेमाल नहीं करें। इससे पैर में से काटे हुए स्थान से खून निकल सकता है और इससे पैर काला भी पड़ सकता है (कोथ)। काटी हुई जगह पर कट न लगाएं। दबा कर ज़हर निकालने के लिए पहले ऐसा किया जाता था। यह तरीका काम तो करता नहीं है पर इससे काटे हुए स्थान पर संक्रमण होने की संभावना ज़रूर बढ़ जाती है।
  • जिस व्यक्ति को सांप ने काटा है उसे तुरंत अस्पताल पहुँचाएं।
Fursa Venom

रस्सी बांधना या ब्लेड से काटना असल में हानीकारक है

Jadrra Venom

रस्सी बांधना या ब्लेड से काटना असल में हानीकारक है

ये न करे
  • डंक की जगह काटना, चूसना, दबाना बिल्कुल न करे।
  • डोरी कसकर बांधना बिल्कुल न करे। ईससे जादा खून बहकर खतरा संभव है।
  • प्रेशर पट्टी बांधना जरुरी या उपयोगी नही।
प्राथमिक उपचार में दवाएँ

अक्सर काफी कुछ इस पर निर्भर करता है कि आसपास कोई अच्छा इलाज का केन्द्र है या नहीं। अगर मस्तिष्क के लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो निओस्टिगमाइन और एट्रोपिन के इन्जैक्शन देने शुरु कर दें। इससे आप उस व्यक्ति को खतरे से बचा सकेंगे और आपको एक घंटा और का समय मिल जाएगा। एक घंटे के बाद आप ये इन्जैक्शन फिर से दे सकते हैं। प्राथमिक उपचार के रूप में ए.एस.वी. की उपयोगिता के बारे में थोड़े से सवाल हैं क्योंकि इससे घातक एनाफाईलैक्टिक क्रिया होने का खतरा होता है। इससे मौत भी हो सकती है। इसलिए इसे प्राथमिक उपचार के रूप में न प्रयोग करे|

अस्पताल में उपचार

अगर ज़हर के लक्षण हों, तो प्रति सांप ज़हर और अन्य प्रतिकारक दिए जाते हैं। अगर सांस लेने में मुश्किल होने लगी है तो जीवन बचाने वाले तरीकों की ज़रूरत पड़ेगी।

सांप ज़हर प्रतिरोधी दवा (ए.एस.वी)

ए.एस.वी. में भारत में पाए जाने वाले सभी ज़हरीले सांपों के ज़हर के विरुद्ध सीरम होता है। सांप के ज़हर को इन्जैक्शन को देकर और उनके खून में से प्रोटीन निकाल कर इसे बनाया जाता है। ए.एस.वी. एक सफेद रंग के चूर्ण के रूप में छोटी सी शीशी में मिलता है। इस्तेमाल करने से पहले इसे जीवाणु रहित किए हुए पानी में मिला लिया जाता है। इसकी तीन या उससे ज़्यादा खुराक चाहिए होती हैं। ए.एस.वी. अंत:शिरा या अंत:पेशीय ढंग से दिया जाता है। ए.एस.वी. से सांप का ज़हर कट जाता है। परन्तु अगर मस्तिष्क के केन्द्रों तक कोई ज़हर पहुँच जाए तो वो इससे नहीं कट पाता है। इसलिए ए.एस.वी. जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी देना चाहिए।

ए.एस.वी. से घातक प्रतिक्रिया भी हो सकती है

ए.एस.वी. से मौत तक हो सकती है क्योंकि यह किसी और जानवर (घोड़े) से लिया हुआ प्रोटीन होता है। यह प्रतिक्रिया कुछ कुछ पैन्सेलीन से होने वाली प्रतिक्रिया जैसी होती है। इसलिए इसका इलाज भी कुछ कुछ वैसा ही होता है। इसी प्रतिक्रिया के कारण से स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के लिए इसे देना थोड़ा खतरे वाला होता है। पर अगर ज़हरीले सांप ने ही काटा हो और कहीं से भी कोई भी मदद नहीं मिल रही हो तो ए.एस.वी. देने का खतरा उठाना ही पड़ता है। देरी होने पर मौत होने की तुलना में प्रतिक्रिया होने की संभावना कम होती है। ऐसे स्वास्थ्य कार्यकर्ता को ज़रूर पता होना चाहिए कि ऐनाफिलेक्टिक प्रतिक्रिया का इलाज कैसे काना होता है।

सांप के काटने पर काटी हुई जगह पर होने वाला नुकसान
Sarpadansh
कभी कभी सांप काटने की जगह
लंबे अर्से तक घॉंव बन जाते है

सभी तरह के सांप के काटने में गंभीर ऊतक क्षति (ऊतकों की मौत) होने की संभावना होती है। यह विष कोशिकाओं को बडा नुकसान पहुँचा देते हैं। एक या दो दिनों में गंभीर सूजन, दर्द, खून बहने, संयोजक ऊतिशोथ और त्वचा के काला पड़ना आदि प्रभाव दिख सकते हैं। ऐसे घाव में अल्सर भी हो जाता है और इसके ठीक होने में कई हफ्ते लग सकते हैं। नियमित रूप से घाव की देखभाल करने और प्रतिजीवाणु दवाएँ देने से फायदा होता है। करैत के काटने से ऐसे स्थानीय प्रभाव बहुत कम होते है| गॉंवों में सांप का काटना एक गंभीर दुर्घटना होती है। परन्तु गॉंव में इलाज की सुविधा नहीं के बराबर होती है। अच्छी प्राथमिक चिकित्सा अगर सही समय पर मिल जाए तो ६० से ७० प्रतिशत लोगों की जान बच सकती है।

 

डॉ. शाम अष्टेकर २१, चेरी हिल सोसायटी, पाईपलाईन रोड, आनंदवल्ली, गंगापूर रोड, नाशिक ४२२ ०१३. महाराष्ट्र, भारत

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