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तीव्रगाही प्रतिक्रिया का इलाज
  • मरीज़ को फर्श या चारपाई आदि पर पीठ के बल लिटा दें। उसके पैर ऊँचे कर दें इससे कम रक्तचापमें भी खून छाती और मस्तिष्क तक पहुँच जाए।
  • ऍड्रेनॅलिन की आधी शीशी का कमर मे या त्वचा के नीचे इन्जैक्शन दें। एड्रीनलीन की आधी शीशी (०.५ मि.ली) जॉंघ के मॉंसपेशी मे दे, रक्तचाप (बी.पी.) सॉंस की गति, और नाडी की गति सामान्य होने तक इस खुराक को हर ५-१० मिनट से पुन: दे। इसके साथ फेनिरामीन मालिएट (एविल) का एक मिली. (१० मि.ग्रा.) मॉंसपेशी में या अंत:शिरा में दे| स्वास्थ्य कार्यकर्ता की किट में ये और एक सिरींज हमेशा होनी चाहिए। ये इलाज का बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसके साथ एक मिली लीटर फेनिरामिन मालिएट (एविल) का इन्जैक्शन अन्त: पेशिएँ तरीके से दें। इस इन्जैक्शन हर १० से १५ मिनटों बाद देते रहना चाहिए।
  • अगर आपके पास स्टिरॉएड (हाइड्रोकोरटिसोन) इन्जैक्शन की शीशी हो तो एक मिली. (१०० मि.ग्रा.) अन्त:शिरा या अन्तपेशिये रास्ते से दें। इससे शरीर के संचरण के प्रयासों को बल मिलता है और इससे दवाई के प्रति शरीर की एलजी वाली प्रतिक्रिया कम होती है।
  • ग्लूकोज ५ प्रतिशत अन्त:शिरों देनेसे रक्त संचरण जारी रहता है। इसके अलावा अगर ज़रूरत हो तो और दवाएँ (स्टीरॉएड) देने का रास्त भी खुला रहता है।
  • ये सब बहुत जल्दी यानि कि तीव्रग्राही प्रतिक्रिया दिखाई देने के कुछ एक मिनटों में किया जाना चाहिए। तीव्रगाही प्रतिक्रिया के लिए तैयार रहें। और इसके इलाज की रिहर्सल कर लें।
दवा के प्रतिकूल असर की निगरानी

स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में दवा के प्रतिकूल असर एक गम्भीर समस्या है। हालॉंकि आज कल बाज़ार में आने से पहले सभी दवाओं की कड़ी जॉंच की जाती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने विश्व भर में दवा के प्रतिकूल असर की निगरानी के लिए केन्द्र बना दिए हैं। ये केन्द्र दवाओ के इस्तेमाल करने वालों से दवा के प्रतिकूल असर की जानकारी इकट्ठी करते हैं। और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को भी दवाओं के प्रतिकूल असर की सूचना इन निगरानी करने वाले केन्द्रों को देनी होती है। इससे अधिक सुरक्षित दवाओं के चुनाव में मदद मिलती है।
भारत में ऐसा एक दवाओं के प्रतिकूल असर की निगरानी के लिए बना केन्द्र बोधी, फांउडेशन फॉर हैल्थ एक्शन, २५४ लेक टॉउन कलकत्ता ७०००८९ में है। इस केन्द्र से आपको दवाओं के बारे में और जानकारी मिल सकती है।

दवाओं के गौण प्रभाव

दवाओं के दो किस्म के अवांछित असर होते है, गौण प्रभाव और दुष्प्रभाव गौणप्रभाव का मतलब है उस दवा के शारीरिक असर के गौण या साधारण असर जो इतनी तकलीफ देय नही होते फिर भी महत्त्वपूर्ण है। जैसे की ऍस्पिरीन से पेट में जलन होना या कोडीन दवा से कब्ज होना। ये असर स्वाभाविक शरीर क्रियात्मक परिणाम है। ये लगभग सब लोगोंको होते है।
इसके विपरित दुष्प्रभाव कम लोगोंको होते है और जिसके कारण दवा को रोकना या बदलना पडता है। दुष्प्रभाव विषेले परिणाम होते है जैसे की ऍस्पिरीन का छोटे बच्चोंमें होनेवाला ग्रे बेबी सिंडा्रेम या नवजात शिशुमें कोट्रीम दवा से पीलियॉं बढकर मस्तिष्क को क्षती पहुँचना। दुष्प्रभाव का दुसरा प्रकार होता है ऍलर्जीवाला जिसके अलग अलग असर होते है जैसे चकते आना, खुजलाहट, रक्तचाप कम होना आदि। इससे केभी कभी जान लेवा सदमा पहुँच सकता है।

 

डॉ. शाम अष्टेकर २१, चेरी हिल सोसायटी, पाईपलाईन रोड, आनंदवल्ली, गंगापूर रोड, नाशिक ४२२ ०१३. महाराष्ट्र, भारत

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