दोस्तों हम अब पेट के ऍसिडीटी के बारेमें जान लेंगे| जादा अम्लपित्त या ऍसिडिटी के कारण पेट में जलन होती है| इसका अनुभव लगभग कभी ना कभी सभीको होता है|
कभी कभी कृत्रिम गर्भपात करना पडता है| इसके लिये सुरक्षित तथा वैध वैद्यकीय पद्धतीयॉं है| चोरीछुपे और जान जोखीममें डालकर गर्भपात करवानेकी कोई जरुरी नही होती| लेकिन वैद्यकीय गर्भपात सिर्फ २० हफ्तों तक ही किया जा सकता है| तद्नंतर गर्भपात करवाना अवैध तथा असुरक्षित है|
कुछ वर्ष पहले हम जल्दबाजी, चिंता और तिखा आहार यह ऍसिडीटी के कारण मानते थे| लेकिन इससे केवल तत्कालिक ऍसिडिटी होती है| आधुनिक विग्यान के अनुसार अब इसका असली कारण एच. पायलोरी जिवाणू है| यह संक्रमण दूषित खान-पानसे होता है|
कुछ लोगोंको गरम खाना, शराब, ऍलर्जी और तले हुए पदार्थोंके कारण तत्कालिक अम्लपित्त होता है| जादातर यह शिकायत कुछ समय बाद या उल्टी के बाद रूक जाती है| गर्भावस्थामें कभीकभी अंतिम महिनोंमें जादा आम्लता मेहसूस होती है| तमाखू खानेसे या धूम्रपान के कारण ऍसिडिटी होती है| अरहर या चनादाल या बेसन के कारण कुछ लोगोंको अम्लपित्त होता है| मिर्च खानेसेभी ऍसिडिटी होती है| कुछ दवाओंके कारण पेट में ऍसिडिटी- जलन होती है, ऍस्पिरीन ऐसी एक दवा है|
ऍसिडिटी की शुरुवात मुहमें पानी छूटकर और जी मचलनेसे होती है| ऍसिडिटी का दर्द सादे भोजनसे कम होता है, लेकिन तीखे भोजनसे तुरंत शुरू होता है| अम्लपित्तवाला दर्द छाती और नाभी के दरम्यान अनुभव होता है| जलन निरंतर होती है लेकिन ऍठन-दर्द रूक रूकके होता है| कभी कभी दर्द असहनीय होता है|
पीडीत व्यक्ती दर्दस्थान उंगलीसे अक्सर सूचित कर सकता है| पेट-छाती की जलन कभी कभी दिलके दौरेसेही होती है| ऐसा दर्द छातीसे पीठ की ओर चलता है इसके साथ पसीना, सांस चलना, घबडाहट आदि लक्षण होते है| ऐसे समय तुरंत डॉक्टरी इलाज होने चाहिए|
अम्लपित्त या जलन तत्कालिक हो तो अकसर उल्टीसे ठीक हो जाती है| अन्यथा अन्न पाचन के बाद आगे चलकर याने १-२ घंटोमे तकलीफ रूक जाती है| अम्लपित्त जलन पर एक सरल उपाय है अँटासिडकी दवा| इसकी १-२ गोली चबाकर निगले या ५-१० मिली. पतली दवा पी ले| मॅग्नेशियम और कॅल्शियमयुक्त अँटासिड जादा उपयोगी है| आयुर्वेदके अनुसार सूतशेखर मात्रा अँटासिड के लिये एक अच्छा विकल्प है|
कुछ लोग इस जलन के लिए दूध का प्रयोग करते है लेकिन यह उपाय सही नहीं| कुछ समय बाद दर्द लौट आता है| अम्ल निर्माण रोकनेके लिए ओमेप्रेझॉल या रॅनिटीडीन दवाए है| इसका प्रयोग डॉक्टर की सलाहसे ही करे|
जलन और दर्द जादा हो और दवा से न रुके तब अपने डॉक्टर से मिलिए| हप्ते- दो हप्ते के बाद जलन और दर्द होता रहे तो डॉक्टरसे मिलना चाहिए| दर्द अगर एकाध बिंदू से जुडा हो तब अल्सर की संभावना होती है| इसके लिए डॉक्टरसे मिले| डॉक्टर गॅस्ट्रोस्कोपीकी सलाह दे सकते है| गॅस्ट्रोस्कोपीका मतलब है दुर्बीनसे जठरका अंदरुनी स्थिती देखना|
तीखे, मसालेदार और जादा गरम पदार्थ, तमाखू, धूम्रपान और शराब सेवन न करे| अरहर, चनादाल या बेसनसे मूँग अच्छा होता है|अम्लपित्त ऍलर्जीका प्रभाव हो तो आहार में उस चीज का पता करना पडेगा| जाहिर है की इस पदार्थको न खाए| योगशास्त्रनुसार तनाव से छुटकारा होनेपर ऍसिडिटी कम होती है| इसके लिये योग उपयोगी है|
एच. पायलोरी जीवाणू संक्रमण टालनेके लिए खानापिना साङ्गसुथरा चाहिए| दर्द और जलन अक्सर होती रहे तो जल्दीही डॉक्टरसे मिलकर अल्सर याने छाला टालना चाहिए|