खॉंसी रुखी होती है या बलगमसहित होती है| बलगमसहित खॉंसी फेफडे और श्वासनलिका की बिमारीसे होती है| संक्रमण के कारण श्वासनलिका फेंफडोंसे द्रव और प्रथिन झरते है| हवासे वे कुछ घने हो जाते है| श्वासनलिका की अंदरुनी क्रिया के कारण बलगम उपर आते है और खॉंसी के साथ बाहर निकलते है|
गले का या टांन्सिल ग्रंथीका दाहश्वासनलिकाओंका संक्रमण, या प्रदूषणसे दाह| फेफडोंका न्यूमोनिया रोग| इसमें शुरुमें खॉंसी आती है| बादमें बलगम निकलते है| फेफडोंका क्षयरोग एक महत्त्वपूर्ण वजह है| इसमें कभी कभी बलगम के साथ खून भी निकलता है| श्वासनलिकाओंमें स्थायी रूपसे रोग लगकर उसमें पीब इकठ्ठा होता है| इससे बलगम निकलते है|
हृदय कमजोर हो जानेपर फेफडोंमें पानी इकठ्ठा होनेसे बलगम निकलते है| फेफडोंके कॅन्सरमें रक्तमिश्रित बलगम निकलते है| दमाकी बीमारीमें चिपचिपीबलगम तैयार होता है| कुछ कारखानोंमें वातावरण के कणोंसे फेफडोंका दाह होता है| कपास के कारखाने, गिट्टी के कारखाने, सिलिका उद्योग, आटाचक्की आदि उद्योगोंमे ऐसा हो सकता है|
खॉंसी व बलगम की बीमारी तत्कालिक होनेपर कफ खुलने हेतू घरेलू उपचार कर सकते है|
अडूसाके पत्तों का काढा सुबह-शाम ले|
छातीमें बाष्प ले| बाष्प लेते समय पानी में मेंथॉल या निलगिरी तेल डाले|
गले या श्वासनलिकाओंकी तत्कालिक बीमारी को छोड दे तो उपरोक्त सभी रोग गंभीर समझना चाहिये| रोगनिदान और सही उपचारहेतु विशेषज्ञ डॉक्टरों पी आवश्यकता होती है| इन वजहों के लिये डॉक्टर की मदद अवश्य ले|
बुखार खॉंसी और बलगम|
तीन हफ्तोंसे अधिक समयतक रहनेवाली खॉंसी|
बलगम रक्तमिश्रित या लाल-सा होने पर|
खॉंसी तथा दम फूलने पर|
खॉंसी की बहुतांश दवाइयॉं अनुपयोगी होती है| लेकिन कुछ दवाइयॉं अच्छी होती है| अडुसायुक्त दवाइसे श्वासनलिकाएँ खुल जाती है| बलगम शरीर के लिये अच्छा नही होता| बलगम बाहर निकलना अच्छा है| अत: खॉंसी को दबानेवाली दवाईयॉं का मोह छोड दे| खॉंसी एक लक्षण है| इसके पिछेके रोग को खोजना चाहिये| बलगम में खून का गिरना, हमेशा गंभीर लक्षण समझे| इससे टी.बी. या कॅन्सर हो सकता है|
खॉंसी और बलगम जादातर संक्रमण की समस्या है| सॉंस-छींकसे संक्रमण रोकनेके लिये रुमालका प्रयोग जरुरी है| वैसेही रस्तेपर न थूँके| प्रदूषणजनित खॉंसी रोकनेके लिये भारी प्रयास जरुरी है| शहरोंमें इंधन-वायू प्रदूषण एक बढती समस्या है| कई कारखानोमें धूल उठती है, इसका उचित इंतजाम जरुरी है|