बौद्धिक विकास में कमी एक बहुत ही आम समस्या है। तकनीकी रूप से मानसिक मन्दता को बुद्धिलब्धि के रूप में पारिभाषित किया जाता है। अगर किसी बच्चे का बुद्धिलब्धि 70 से कम हो तो उसे मंद बुद्धि का माना जाता है।
मंदबुद्धी बालक परिवार के लिये भी एक समस्या होती है| |
बुद्धिलब्धि बौद्धिकता के टैस्ट के द्वारा तय की जाती है। अगर किसी बच्चे की मानसिक वृद्धि किसी उम्र में ठीक उतनी हो जितनी कि उस उम्र में अपेक्षित है तो उसका बुद्धिलब्धि 100 माना जाता है। बुद्धिलब्धि असल में ‘मानसिक उम्र को ‘शारीरिक उम्र’ से भाग देकर प्रतिशत में बताई जाती है। बुद्धिलब्धि का अंदाज़ा लगाने के लिए बहुत से टैस्ट उपलब्ध हैं। परन्तु किसी बच्चे के पूरे मानसिक विकास का अंदाज़ा बुद्धिलब्धि टैस्ट के बिना भी लगाया जा सकता है।
अधिकतर समुदायों में 1 -3 प्रतिशत लोग मंद बुद्धि होते हैं। हम बुद्धिलब्धि के 75 प्रतिशत, 50 प्रतिशत और 25 प्रतिशत होने पर बौद्धिक मन्दता को क्रमश: कम, मध्यम दर्ज़े की या गंभीर की श्रेणियों में बांट सकते हैं। मंद बुद्धि बच्चे की शिक्षा और पुर्नवास के लिए यह पहचान करना ज़रूरी है कि मानसिक मन्दता कितनी है। बच्चे को किस उम्र में क्या करना आ जाना चाहिए ये पैमाने बच्चे के मानसिक विकास का अंदाज़ा लगाने के लिए उपयुक्त होते हैं। इसलिए मॉं बाप से इनके बारे में पूछा जाना चाहिए। हम पॉंच साल तक के बच्चे के लिए ‘बच्चों का स्वास्थ्य’ अध्याय के में दिए गए तयशुदा पैमानों के आधार पर उनसे सवाल पूछ कर भी ऐसा कर सकते हैं। इसके बाद स्कूल ही से सही पता चल जाता है।
कभी कभी (हमेशा नहीं) मंदबुद्धि होने के कुछ शारीरिक लक्षण देखने को मिल जाते हैं। जैसे कि मंगोलकल्य बच्चे का चेहरा अलग ही पहचाना जाता है। टेढ़ी आँखें, सिर का आकार, हल्के रंग के बाल, मोटी और चौड़ी जीभ मंदबुद्धि होने के सूचक हैं। पर ध्यान रखें कि यह लक्षण सभी मंदबुद्धि बच्चों में नहीं दिखते इसलिए किसी बच्चे को बुद्धि मान लेने से पहले मानसिक विकास का आकलन करना ज़रूरी होता है।
मॉं का कुपोषित होना, गर्भावस्था के समय गलत दवा ले लेना, जन्म पूर्व के संक्रमण जैसे आतशक (सिफलिस), जर्मन खसरा, मॉं में आयोडीन की कमी (घेंघा), मॉं का शराब पीना, या 35 साल की उम्र के बाद पहला बच्चा होना बच्चे के मंद बुद्धि होने के कारणों में से हैं। इस सदर्भ में भी अच्छी जन्मपूर्व देखभाल और सही स्वास्थ्य शिक्षा महत्वपूर्ण है।
बच्चे के जन्म के समय ऑक्सीजन की कमी होना, जन्म में देरी होना (प्रसव की दूसरी अवस्था में एक घंटे से ज़्यादा लगने पर), ठीक से न संभालने के कारण मस्तिष्क में चोट लगना, जन्म के बाद बच्चा रोए नहीं (यानी की सांस न ले पाए) और प्रसव के समय बहुत अधिक रक्तस्त्राव होना आदि मानसिक मंद बुद्धि के कारण होते हैं। इसलिए बच्चे का जन्म सुरक्षित और समय से होना बहुत महत्वपूर्ण है।
गंभीर कुपोषण, मस्तिष्क आवरण शोथ, मस्तिष्क में चोट लगना, गंभीर पीलिया और मिर्गी बच्चों में मानसिक मंद बुद्धि के मुख्य कारण हैं।
मंद बुद्धि बच्चे की देखभाल करना अपने आप में बहुत ही मुश्किल काम है। ऐसे बच्चों की देखभाल में दो मुख्य उद्देश्य होते हैं।
यह इस पर निर्भर करता है कि बच्चा किस हद तक मंद बुद्धि है। बच्चे को शौच, बुनियादी सफाई, खाना खाने और अपने आप को बचाने के लिए प्रशिक्षित करना सबसे ज़रूरी है। अगर बच्चा यह चीज़ें संभाल पाता है तो इससे मॉं बाप को रोज़मर्रा की परेशानियों से काफी राहत मिल जाती है।
बच्चे को कोई ऐसा कौशल सिखा पाना जिससे वह बड़ा होकर कोई काम धंधा कर पाए और अपनी जीविका कमा सके, बहुत महत्वपूर्ण है। यहॉं सवाल केवल पैसा कमाने का ही नहीं है बल्कि समय का सदुपयोग भी महत्वपूर्ण है।
मंद बुद्धि बच्चों के लिए बने हुए स्कूलों में एक ही छत के नीचे दोनों उद्देश्यों को पूरा करने की कोशिश की जाती है। गॉंवों में ऐसी कोई सुविधाएं नहीं होती हैं। ऐसे अधिकतर स्कूल केवल दिन दिन के ही होते हैं। मंद बुद्धि बच्चों के लिए बने स्कूलों में इन बच्चों के परिवारों की सक्रिय भागीदारी की भी ज़रूरत होती है। उनके लिए भी इन प्रशिक्षण कार्यक्रमों के उद्देश्यों, तकनीकों और समस्याओं को समझना ज़रूरी है। इसके अलावा प्यार और देखभाल इन प्रयासों का अभिन्न हिस्सा होते हैं। इसलिए भी परिवार का सहयोग ज़रूरी होता है। इस लिए एक हमदर्द परिवार किसी भी तरह के स्कूल से ज़्यादा महत्वपूर्ण होता है। एक महत्वपूर्ण बात का ध्यान रखा जाना ज़रूरी है वो यह कि मंद बुद्धि बच्चे दुर्घटनाओं के ज़्यादा शिकार होते हैं। इसलिए परिवार को इनका खास ध्यान रखने की ज़रूरत होती है।