गर्भपात लघु लेख

aborstionगर्भपातके बारेमें काफी गलतफहमियॉं है| इसी कारण महत्त्वपूर्ण निर्णय लेनमें कठिनाई होती है| गर्भपातके बारेमें उचित जानकारी आवश्यक है| यह जानकारी आप ले तथा जरुरतमंद दंपतीयोंको भी बतलाएँ| कुछ गर्भपात प्राकृतिक होते है| गर्भधारणाके २८ हप्तोंतक प्राकृतिक गर्भपात हो सकता है| २८ हप्तोंतक गर्भ गर्भाशयके बाहर जीवित नही रह सकता| तद्नंतर गर्भ जी सकता है|

कभी कभी कृत्रिम गर्भपात करना पडता है| इसके लिये सुरक्षित तथा वैध वैद्यकीय पद्धतीयॉं है| चोरीछुपे और जान जोखीममें डालकर गर्भपात करवानेकी कोई जरुरी नही होती| लेकिन वैद्यकीय गर्भपात सिर्फ २० हफ्तों तक ही किया जा सकता है| तद्नंतर गर्भपात करवाना अवैध तथा असुरक्षित है|

गर्भपात के लिये वैध कारण

गर्भपात कानूनके अनुसार वैध कारण इस प्रकार है|

  • गर्भनिरोधक पद्धतीयों के प्रयोगके बावजूद गर्भधारणा होना|
  • सामाजिक दृष्टीसे अस्वीकार्य गर्भधारणा उदा. बलात्कार या कौटुम्बिक अत्याचारोंके कारण गर्भधारणा|
  • सदोष गर्भ होने की संभावना, जिसे सोनोग्राफी या अन्य तकनिकोंसे पता लगाया जा सकता है| लेकिन स्त्री गर्भ होना गर्भपातका कारण कतई नही हो सकता| एच. आय. व्ही. या एडसग्रस्त माता इसी कारण गर्भपात करवा सकती है|
  • गर्भधारणासे स्त्री के स्वास्थ्यको संभवत: खतरा होना उदा. पीलीया या दिल की बिमारी|
  • महिला के मानसिक बिमारीके चलते बालसंगोपनकी क्षमता ना होने पर गर्भपात करवा सकते है|

गर्भपात की पद्धतियॉं

गर्भपात जितने जल्दी किया जाय उतनी तकलीफ और खतरा कम होता है| इसके लिये मूत्र परिक्षण कर १० दिनोंमें ही गर्भसंभवकी जानकारी मिल सकती है| गर्भपातके प्रमुख तरीके इस प्रकार है|

  • एम.व्ही.ए. तकनिक : छ: हफ्तोंसे पूर्व निर्वात पंपसे गर्भ निकाल सकते है| अत: ग्रीवा सुन्न नही करनी पडती है| इसके बाद क्युरेटिंगभी नही करना पडता है|
  • क्युरेटिंग उर्फ डी.एन.सी. पद्धती – ये पद्धती ६-१२ हफ्तोंतक प्रयोगमें लाई जा सकती है| इस पद्धतीमें गर्भाशयमुख नलिका विस्तारित करके अंदरुनि गर्भ निर्वात पंपसे निकाल लेते है| इसके लिये केवल उस स्थान मात्रको इंजेक्शन लगाकर सुन्न करना पडता है| गर्भ निकालने पर गर्भाशयका अंतर्भाग खुरचकर निकाला जाता है| इस तरहके गर्भपातपश्चात अस्पतालमें ३-४ घण्टे रहना पडता है| शासकीय अस्पतालोंमें यह गर्भपात मुफ्तमें होता है| निजी अस्पतालोंमें इसे २-४ हजारतक खर्चा हो सकता है| यह रीती बिल्कुल सुरक्षित और विश्वसनीय है| लेकिन इसमें थोडासा खतरा होता ही है| रक्तस्त्राव या कोखमें सूजन जैसे दुष्परिणाम संभव है|
  • दवाद्वारा गर्भपात :१२-२० हफ्तोंतक प्रोस्टा ग्लॅडिन दवाईसे गर्भ गिराया जाता है| गर्भाशयमें गर्भ आवरणके चारो ओर इस दवाईको नलीसे फैलाया जाता है| इस दवाईसे गर्भाशयमें दाह होनेसे २-३ दिनोंमें गर्भ गिर जाता है| इस क्रियामें कुछ अधिक स्त्राव हो सकता है| इससे गर्भपात ना हो तो शस्त्रक्रियाद्वारा गर्भ खुरचकर निकाला जाता है| लेकिन इससे खर्च व तकलीफ बढती है| १२-२० हफ्तोंके गर्भपातकी अपेक्षा पहलेही गर्भपात करवाना हमेशा अच्छा है| अन्य रास्ता ना हो तभी इस पद्धती का प्रयोग करे|
  • आर.यू. ४८६ यह रीति ६-८ हफ्तोंके लिये है| इसे गर्भपात गोली कहते है| पहली गोली के २ दिन बाद दुसरी गोली खानी होती है| पहली गोली से गर्भाशयसे रक्तस्त्राव शुरू होता है तो दुसरी गोली से गर्भाशयमें दर्द शुरू होते है| इसके बाद ६-८ घण्टोंमें गर्भपात होता है| कभी कभी इसके बाद क्यूरेटिंग करना पडता है| डॉक्टरी सलाह के बिना अपने आप यह उपचार कभी भी ना करे|

विशेष सूचना
  • गर्भपात गर्भनिरोधन पद्धती नही है| अन्य विकल्प ना होनेपर ही गर्भपात करवाएँ| उचित समयपर गर्भनिरोधक साधनोंका प्रयोग करे और गर्भपात टालना उत्तम नीति है|
  • गर्भपातमें किसी ना किसी तकलीफ या खतरे की संभावना रहती है|
  • गर्भपात के बाद कभी-कभी बांझपनभी आ सकता है|
  • गर्भपात हेतू कभी भी भोंदू डॉक्टर या बाबा के पास ना जाएँ| उससे खर्च, समय और खतरा कईंगुना बढ जाता है| गर्भपात केंद्र भी अधिकृत होने का भरोसा कर ले|
  • १२-२० हफ्तोंका गर्भपात सुव्यवस्थित अस्पतालमें ही करवाएँ|
  • गर्भपात हेतू डॉक्टर भी मान्यताप्राप्त होना चाहिये| गर्भपात केंद्र में इसका दाखिला होता है|
  • गर्भपात केंद्रमें सफाई ना होने पर आप वहॉं गर्भपात जरुर से इन्कार कर सकते है|
  • गर्भपात करवाना गुनाह नहीं है| खुदको इसके लिये अपराधी न समझे|
  • सही कारण हेतु गर्भपात करवाना आपका हक है|
  • हर गर्भपातका ठीक पंजीयन अस्पतालमें किया जाता है|
  • इस गर्भपात के बाद बच्चे की चाहत ना होने पर नसबंदी करवाना उत्तम है|

 

डॉ. शाम अष्टेकर २१, चेरी हिल सोसायटी, पाईपलाईन रोड, आनंदवल्ली, गंगापूर रोड, नाशिक ४२२ ०१३. महाराष्ट्र, भारत

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