अ‍ॅनिमिया याने रक्ताल्पतालघु लेख

anemiaभारतीय स्त्री-पुरुषोंमें रक्तद्रव्य याने हिमोग्लोबीनका प्रमाण कम होता है| लगभग ६०-७०% महिलाओंको एनिमिया अर्थात रक्ताल्पताकी बीमारी होती है| इसका कारण हमारे भोजनमें लोह, फॉलिक ऍसिड,विटामिन बी-१२ और प्रथिनोंकी कमी होती है| गरीबी कष्टमय जीवन तथा निकृष्ट आहार और इस रोगका कारण होता है| रक्ताल्पतासे कार्यक्षमता, रोग क्षमता और उत्साह कम हो जाते है| यह बिमारी धीरे-धीरे बढती है| अत: इसकी आदतसी पड जाती है| हम इस बिमारीका पता लगाकर, उपचार कर सकते है| सच पुछें तो इस बिमारीको हमें टांलनाही चाहिये| लोह प्रथिन की कमी होनेवाली यह बीमारी सार्वजनिक है| लेकिन हिमोग्लोबीन कम होनेवाला एक और बीमारी का प्रकार आनुवंशिक है| इसे सिकलसेल ऍनिमिया कहते है| ये कुछ जनजातियोंमें नजर आता है|

जानकारी
  • लोह प्रथिन तथा फॉलिक एसिडकी कमी इस रोगके प्रमुख कारण है| ये तत्त्व रक्तकी लाल कोशिकाओंमें हिमोग्लोबीन रंजक तैयार करने हेतु लगतें है| इन तत्त्वोंकी कमीसे रंजक पदार्थ कम होकर फीका दिखता है|
  • केवल शाकाहारी लोगोमें लोह कमतरता होती है| क्योंकी शाकाहारमें लोह का क्षार कम होता है, और कम उपयुक्त होता है|
  • भोजनमें पत्तेदार सब्जियॉं, दालों की कमतरतासे लोह कम पडता है| पत्ता गोबी या चाय जैसे पदार्थ भोजनमें शामिल हो तब लोह को पाचन संस्थानमें रुकावट पैदा करते है|
  • शरीरसे रक्तस्त्राव होते रहनेसे कुल हिमोग्लोबीन कम पड जाता है| माहवारीमें रक्तस्त्राव अधिक होना, बारबार प्रसव होना, अर्श, जठरव्रण, आंतो में हुककृमी आदि कारणोंसे खून की हानी होती है|
  • कॅन्सर तथा खूनका कॅन्सर, हिमोफिलिया, मलेरिया, उसी प्रकार तीव्र जंतुदोष टी.बी. – क्षयरोग के कारण भी रक्तद्रव्य कम पडता है|

रोगनिदान
  • ऐसी व्यक्ती निस्तेज लगती है| पलकोंका अंदरुनी हिस्सा, जबान, नाखून आदिकी लाली कम होती है| स्वस्थ व्यक्तियोंमें ये अंग गुलाबी दिखते है|
  • इस बिमारीके बढ जानेपर कमजोरी महसूस होती है| इसीके साथ सीनेकी धडकन तेज होती है|
  • महिलाओं और बच्चोंको मिट्टी खानेकी इच्छा होती है|
  • रक्तद्रव्यका परिक्षण इसके लिये ठीक रहता है| आजकल ये परिक्षण कलर-मीटरपर करते है|
  • रक्तद्रव्य १२-१६ ग्रॅम होना चाहिये| ऍनिमिया अर्थात रक्ताल्पतामें रक्तद्रव्य १२ ग्रॅमसे कम होता है| यह ८ ग्रॅमसे कम होनेपर बिमारी गंभीर समझना चाहिये| रक्तद्रव्य ६ ग्रॅम से कम होनेपर बिमारी तीव्रता अधिक होती है| उसके कईं लक्षण महसूस होते है| सीनेमें धडधड, कमजोरी, थकान, हॉफना आदि लक्षण होते है|
उपचार

इसके लिये अपने डॉक्टरसे मिले|

  • अतिगंभीर बिमारीमें प्रभावी उपचार आवश्यक है| कुछ लोगोंको लोहक्षारके इंजेक्शन या खून देना पडता है|
  • लोहक्षार तथा फॉलिक एसिडकी गोलियॉं खानेसे धीरे-धीरे रक्तद्रव्य बढता है| रक्तद्रव्य कम से कम १२ ग्रॅम तक आनेतक गोलियॉं चालू रखना चाहिये| साथही खानेमें प्रथिनोंकी मात्रा बदानी चाहिये| इसके लिये दाले, मुँगफली, सोयाबीन, और संभव हो तो अंडे, मांस, मच्छी, पनीर आदी अवश्य खाये|
  • लोहक्षार के लिये टॉनिक महंगे पडते है| इनमें लोहक्षारभी वैसे कमही होता है| उसकी अपेक्षा गोलीयॉं और सस्ती पडती है|
  • एनिमिया अगर किसी बिमारीकी वजहसे हो तो उस ओर विशेष ध्यान दे|

प्रतिबंध
  • रोज सुबह अंगुठे बराबर गुड खाये| शाकाहारी लोगोंके लिये लोहका यह सर्वोत्तम स्रोत है|
  • योग्य भोजनसे यह बिमारी टल सकती है|
  • महिलाओंको उपवास, अधिक कष्ट के कारण यह बिमारी हो सकती है|
  • रसोईमें कढाई, तवा, छुरी, पलटा इ. वस्तुएँ लोहेकी होनेपर भोजनमें लोहक्षार का अंश अपने आप बढता है|
  • भोजनमें निंबू के प्रयोगसे लोहक्षार अच्छेसे हजम होते है| इसके विपरित आहार में पत्तागोबी और चाय होनेसे लोहक्षार कम हजम होते है|
  • स्वास्थ्यकेन्द्रमें गर्भवती, स्तनदा महिलाओं बच्चोंको लोहक्षारकी १०० गोलियोंका खुराक मुफ्त मिलता है|
  • जीवनसत्व बी-१२ के लिये मांस, अंडे, दूध आदि पदार्थ सबसे अच्छे है| बी-१२ शाकाहारी आहारमें नही होता| शाकाहारी लोगोंको इसके लिये विटॅमिनकी गोली खानी चाहिये|
  • हरी पत्तेदार सब्जियॉं, दाले, रागी, आलो (हालो) सुरजनेके पत्ते आदि पदार्थोंमें लोहक्षार अधिक होता है| लेकिन इन पदार्थोंका लोह शरीरमें ठीकसे हजम नही होता|

 

डॉ. शाम अष्टेकर २१, चेरी हिल सोसायटी, पाईपलाईन रोड, आनंदवल्ली, गंगापूर रोड, नाशिक ४२२ ०१३. महाराष्ट्र, भारत

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