अस्थि-पेशी
अस्थि में कर्क रोग (बोन कैंसर)
जॉंघ के मांसपेशी में अर्बुद

बोन कैंसर को चिक्त्सिीय भाषा में टूयमर और हिन्दी में अस्थि में कर्क रोग कहते है। कर्क रोग (कैंसर) बिमारी(यो) का वह समुह है जिसमें कोशिका का विकास और विभाजन अनियंत्रित हो जाता है और वह तेजी से छाले (अल्सर) या गठान (नाडूयल) या फूल गोभी (काम्पैक) के आकार में बढने लगता है| मानव शरीर में 100 से भी अधिक अलग अलग तरह के कैंसर की बिमारीयॉ पायी जाती है| जो कोशिका कर्करोग से शुरूवात में प्रभावित होती है उसी प्रभावित कोशिका के प्रकार पर उसका वर्गीकरण किया जाता है| अस्थि में कर्क रोग (बोन कैंसर) दो प्रकार के होते है|

  • प्रारंभिक अस्थि कर्क रोग; (प्रायमरी बोन कैंसर) जब कर्क रोग की बिमारी हडडी की कोशिकाओ से ही प्रारंभ होती है तो उसे प्रारंभिक अस्थि कर्क रोग (प्रायमरी बोन कैंसर) कहते है|
  • द्वितीयक अस्थि कर्क रोग; (सेकण्डरी बोन कैंसर) जब कर्क रोग की बिमारी हडडी की कोशिकाओ से बाहर किसी अन्य अंग की कोशिका से प्रारंभ होती है और दुसरे क्रम में फैल कर वही बिमारी हडडी(यो) को प्रभावित करती है तो उसे द्वितीयक अस्थि कर्क रोग (सेकण्डरी बोन कैंसर) कहते है|
कारण

समान्तः सभी लोग अस्थि में कर्क रोग (बोन कैंसर) होने का कारण नही जानते है। वह रोगी जो लम्बे समय से (क्रानिक) जलन और सूजन से पीडित है उदाहरण के लिये पैगटस् रोग उनमें अस्थि में कर्क रोग (बोन कैंसर) होने की संभवना बढती उम्र के साथ बढ जाती है। यह छुत का रोग नही है। यह बताना मुश्किल होता है अस्थि में कर्क रोग (बोन कैंसर) किसी व्यक्ति को क्यों हुआ और दुसरे व्यक्ति को क्यों नही हुआ । निम्नलिखित समुह में कैंसर होने की खतरा अधिक होता है|

  • ज्यादातर अस्थि में कर्क रोग (बोन कैंसर) बच्चो और 20 साल से कम युवाओ में होता है|
  • रोगी जिन्हे उपचार के लिये एक्स रे मशीन से सीकाई (रेडियेश्नथैरेपी) दी गई है/थी ।
  • पैगटस् रोगी
  • नजदीकी रिश्तेदार (मातापिता, बच्चे) जिन्हे अस्थि में कर्क रोग (बोन कैंसर) था|
  • अम्ब्लाईकल हरर्निया के साथ जन्मे शिशु ।
  • जन्मजात अनुवंशीक विकृति|
लक्षण और निदान

अस्थि में कर्क रोग (बोन कैंसर) रोग बहुत कम ही होता है पर अगर यह रोग होता है तो यह एक गम्भीर बीमारी है। इसका शुरुआती लक्षण है कैसर से प्रभावित हडडी के हिस्से में दर्द होता है और जैसे जैसे समय गुजरता है हडि्डयों में दर्द भी तेज़ी से बढ़ता है। अगर दर्द सहनीय है तो दर्द से पीडित व्यक्ति कई महीनो तक डाक्टर की सलाह नही लेता। अस्थि में कर्क रोग (बोन कैंसर) में दर्द असहनीय, अन्दर गहरे तक महसुस होने वाला व दर्द हमेशा बना रहता है।

प्रभावित हिस्से में दर्द के साथ सूजन या दर्द रहित सूजन उतनी ही सख्त होती है जितनी की हड्डी। इसमें दबाने से दर्द नहीं होता। हडडी अगर कमजोर है तो उसमे फैरक्चर भी हो सकता है। हडडी के कैंसर के रोगी का वजन भी अपने आप कम हो जाता है। कैंसर प्रभावित हिस्से में गठान जैसा भी महसुस हो सकता है। बुखार, ठंड और अघिक पसीना जैसे लक्षण हो सकते है पर ऐसा बहुत कम है।

अस्थि में कर्क रोग (बोन कैंसर) का कैसे पता लगाये

एक प्राथमिक देखभाल करने वाले चिकित्सक रोगी के खून की जॉच करके अन्य संभावित कारणो का पता लगाना चाहिये। अगर जॉच में बिमारी का कारण नही पाये जाने पर कैंसर के निदान के लिये आर्थोपेडिक शल्य चिकित्सक के पास परामर्श के लिये भेजना चाहिये । निदान के लिये निम्न जॉच करायी जा सकती है|

  • हड्डी का स्क्ैन – एक तरल जिसमे रेडियोएक्टीव पदार्थ होता है। उसे शिरा (वेन) में इन्जेक्शन की मदद से डाल दिया जाता है। यह पदार्थ हडडीयों में (खासतौर पर हडडी के असामान्य हिस्से में) जमा हो जाता है और स्कैनर उसे पता लगा लेता है| इस परछाई को एक खास तरह की फिल्म में रिकार्ड कर सकते है|
  • कंप्यूटरीक़ृत टोमोग्राफी (सीटी स्कैन) – मशीन व्दारा एक जगह की कई सारे कोण से तस्वीर खिची जाती है और फिर सारी खीची तस्वीरो एक साथ जमा कर थ्री डी तस्वीर बनायी जाती है ।यह एक दर्द विहिन प्रक्रिया है। यह जॉच समान्यत: कर्क रोग (बोन कैंसर) के शरीर में फैलाव को पता लगाने के लिये की जाती है।
  • चुंबकीय प्रतिध्वनी प्रतिबिंब [मैगनेटिक रेसोनेन्स ईमेजिंग (एम आर आई)] यह मशीनी उपकरण चुम्बकीय आधार और रेडियो तरंगो पैदा कर शरीर की विस्तृत परछाई बना देता है। अधिकतर एम आर आई मशीन देखने में बडी टुयुब जैसी दिखती है । मशीन के एक गोल हिस्से में बढा चुंबक होता है । रोगी को जॉच करने से पहले उसे टेबल पर लिटाया जाता है ।फिर शरीर के जिस हिस्से की एम आर आई की जॉच होनी है उस जगह पर टेकनीशियन काईल को सही तरीके से सरकाता है । एम आर संकेत को ग्रहण करने मशीन के भाग को काईल कहते है ।
  • पोजिट्रान उत्सर्जन टोमोग्राफी: (पेट स्कैन) रेडियेशन या न्यूक्लियर मेडिसीन इैमेजिंग का उपयोग कर मशीन शरीर के अन्दर चलने वाले क्रियात्मक प्रक्रियाओ की रंगीन थ्री डी तस्वीर निकालती है । कमप्यूटर विश्लेषण की मदद से तस्वीरो को पुन: बनाया जाता है ।
  • एक्स रे : यह कैसर बिमारी के कारण हड्डी को होने वाले नुकसान का पता लगा सकता है। टुयमर के चारो तरफ अगर कोई नई हडडी की कोशिका का निर्माण चल रहा है तो उसका पता भी लगा सकता है । एक्स रे, हडडी के कैसर को पक्के तौर से पता लगाने सक्षम नही है पर शल्य चिकित्सक को यह तय करने में मदद करती है आगे कौन सी जॉच करवानी है।
  • हडडी की बायोप्सी : हडडी में से उसके उतक को निकाल कर उसे कैसर कोशिका के लिये जॉच करते है। यह हडडी में कैंसर रोग को पहचान करने का विश्वनीय तरीका है। हडडी की बायोप्सी करने के दो तरह से की जाती है ।पहला एक लम्बी पतली सुई को हड्डी तक धुसेड कर परिक्षण के लिये नमुना निकाल लेते है । जबकि दुसरे तरीके को खुली बायोप्सी कहते है जिसमे ब्लेड की मदद से चीरा लगाकर पहले से तय हड्डी के टुकडे को शल्य क्रिया कर निकालकर परिक्षण के लिये भेजा जाता है।
अस्थि में कर्क रोग (बोन कैंसर) के विकास की अवस्था का कैसे पता लगाये

अस्थि में कर्क रोग की विभिन्न अवस्था होती है जो कि विकास के स्तर को तय करता है ।

  • पहली अवस्था – कैंसर हड्डी की संरचना के भीतर तक ही सीमित है। कैंसर इस अवस्था में आक्रमक नही है ।
  • दुसरी अवस्था – कैंसर हड्डी की संरचना के भीतर तक ही सीमित है पर कैंसर इस अवस्था में ज्यादा आक्रमक है ।
  • तीसरी अवस्था – कैंसर हड्डी की संरचना के भीतर अलग अलग स्थान मौजुद है । (कम से कम दो)
  • चौथी अवस्था – कैंसर हड्डी की संरचना के बाहर शरीर के अन्य अंगो में फैल गया है ।
अस्थि में कर्क रोग (बोन कैंसर) के लिये उपचार क्या है

अस्थि में कर्क रोग (बोन कैंसर) के लिये उपचार कैंसर का प्रकार व प्रभावित स्थान, उसकी अवस्था, स्थानिय या फैला हुआ जैसे बहुत सारे कारक पर निर्भर करता है। तीन तरीके से इलाज का तरीका अपनया जाता है ।

  • शल्य चिकित्सा
  • दवाऍ व्दारा उपचार
  • रेडियोथैरिपी (रेडियेशियनथैरिपी)

हडि्डयों के अधिकाँश तरह के कैंसर का इलाज मुश्किल होता है। हमें याद रखना चाहिए कि कोई भी सख्त-सी सूजन हडि्डयों के कैंसर का चिन्ह हो सकती है। और इसके लिए किसी विशेषज्ञ द्वारा इलाज की तुरन्त ज़रूरत होती है।

अस्थि भंग (हड्डी टूटना, फ्रैक्चर)
हाथ के अस्थिभंग के लिए बँडेज का आधार

हडि्डयाँ आम तौर पर काफी मज़बूत और लचीली होती हैं। हड्डी टूटना (अस्थि भंग, फ्रैक्चर) एक चिकित्सीय परिस्थिति है जिसमे हड्डी की निरंतरता में दरार या टूट कर अलग हो जाती है । भारी टक्कर या दबाव के परिणाम स्वरूप या हड्डी की कुछ चिकित्सीय परिस्थिति जैसे अस्थि-सुषिरता (आस्टीपोरोसिस) या रोगजनक संक्रमित (पैथोजनिक) हड्डी या अस्थि कैंसर के दौरान उसकी हडि्डयाँ कमज़ोर होती जाती हैं और मामूली अघात थोड़ी-सी भी चोट लगने से टूट सकती हैं।

हाथ के अस्थिभंग के लिए बँडेज का आधार

कुछ गाँवों में पारंपरिक तरीको से अस्थि भंग (हड्डी टूटना, फ्रैक्चर) का बिना जॉच व प्रकार जाने इलाज करने वाले लोग होते है जो बहुत ही कम फीस लेकर हडि्डयाँ को जोड़ देते हैं। परन्तु वर्तमान में अस्थि भंग हड्डी टूटना, फ्रैक्चर) की जॉच कर, आपरेशन करने वाले ऑर्थपेडिक चिकित्सक ने इनका स्थान ले लिया हैं। तकनिकी दक्ष्ता के कारण ज्यादातर लोग इन डॉक्टरों के पास इलाज करना पसन्द करते हैं फिर चाहे इसमें उन्हें ज्यादा पैसा खर्च क्यो न करना पड़े।

 

डॉ. शाम अष्टेकर २१, चेरी हिल सोसायटी, पाईपलाईन रोड, आनंदवल्ली, गंगापूर रोड, नाशिक ४२२ ०१३. महाराष्ट्र, भारत

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