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जॉंघ के मांसपेशी में अर्बुद |
बोन कैंसर को चिक्त्सिीय भाषा में टूयमर और हिन्दी में अस्थि में कर्क रोग कहते है। कर्क रोग (कैंसर) बिमारी(यो) का वह समुह है जिसमें कोशिका का विकास और विभाजन अनियंत्रित हो जाता है और वह तेजी से छाले (अल्सर) या गठान (नाडूयल) या फूल गोभी (काम्पैक) के आकार में बढने लगता है| मानव शरीर में 100 से भी अधिक अलग अलग तरह के कैंसर की बिमारीयॉ पायी जाती है| जो कोशिका कर्करोग से शुरूवात में प्रभावित होती है उसी प्रभावित कोशिका के प्रकार पर उसका वर्गीकरण किया जाता है| अस्थि में कर्क रोग (बोन कैंसर) दो प्रकार के होते है|
समान्तः सभी लोग अस्थि में कर्क रोग (बोन कैंसर) होने का कारण नही जानते है। वह रोगी जो लम्बे समय से (क्रानिक) जलन और सूजन से पीडित है उदाहरण के लिये पैगटस् रोग उनमें अस्थि में कर्क रोग (बोन कैंसर) होने की संभवना बढती उम्र के साथ बढ जाती है। यह छुत का रोग नही है। यह बताना मुश्किल होता है अस्थि में कर्क रोग (बोन कैंसर) किसी व्यक्ति को क्यों हुआ और दुसरे व्यक्ति को क्यों नही हुआ । निम्नलिखित समुह में कैंसर होने की खतरा अधिक होता है|
अस्थि में कर्क रोग (बोन कैंसर) रोग बहुत कम ही होता है पर अगर यह रोग होता है तो यह एक गम्भीर बीमारी है। इसका शुरुआती लक्षण है कैसर से प्रभावित हडडी के हिस्से में दर्द होता है और जैसे जैसे समय गुजरता है हडि्डयों में दर्द भी तेज़ी से बढ़ता है। अगर दर्द सहनीय है तो दर्द से पीडित व्यक्ति कई महीनो तक डाक्टर की सलाह नही लेता। अस्थि में कर्क रोग (बोन कैंसर) में दर्द असहनीय, अन्दर गहरे तक महसुस होने वाला व दर्द हमेशा बना रहता है।
प्रभावित हिस्से में दर्द के साथ सूजन या दर्द रहित सूजन उतनी ही सख्त होती है जितनी की हड्डी। इसमें दबाने से दर्द नहीं होता। हडडी अगर कमजोर है तो उसमे फैरक्चर भी हो सकता है। हडडी के कैंसर के रोगी का वजन भी अपने आप कम हो जाता है। कैंसर प्रभावित हिस्से में गठान जैसा भी महसुस हो सकता है। बुखार, ठंड और अघिक पसीना जैसे लक्षण हो सकते है पर ऐसा बहुत कम है।
एक प्राथमिक देखभाल करने वाले चिकित्सक रोगी के खून की जॉच करके अन्य संभावित कारणो का पता लगाना चाहिये। अगर जॉच में बिमारी का कारण नही पाये जाने पर कैंसर के निदान के लिये आर्थोपेडिक शल्य चिकित्सक के पास परामर्श के लिये भेजना चाहिये । निदान के लिये निम्न जॉच करायी जा सकती है|
अस्थि में कर्क रोग की विभिन्न अवस्था होती है जो कि विकास के स्तर को तय करता है ।
अस्थि में कर्क रोग (बोन कैंसर) के लिये उपचार कैंसर का प्रकार व प्रभावित स्थान, उसकी अवस्था, स्थानिय या फैला हुआ जैसे बहुत सारे कारक पर निर्भर करता है। तीन तरीके से इलाज का तरीका अपनया जाता है ।
हडि्डयों के अधिकाँश तरह के कैंसर का इलाज मुश्किल होता है। हमें याद रखना चाहिए कि कोई भी सख्त-सी सूजन हडि्डयों के कैंसर का चिन्ह हो सकती है। और इसके लिए किसी विशेषज्ञ द्वारा इलाज की तुरन्त ज़रूरत होती है।
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हाथ के अस्थिभंग के लिए बँडेज का आधार |
हडि्डयाँ आम तौर पर काफी मज़बूत और लचीली होती हैं। हड्डी टूटना (अस्थि भंग, फ्रैक्चर) एक चिकित्सीय परिस्थिति है जिसमे हड्डी की निरंतरता में दरार या टूट कर अलग हो जाती है । भारी टक्कर या दबाव के परिणाम स्वरूप या हड्डी की कुछ चिकित्सीय परिस्थिति जैसे अस्थि-सुषिरता (आस्टीपोरोसिस) या रोगजनक संक्रमित (पैथोजनिक) हड्डी या अस्थि कैंसर के दौरान उसकी हडि्डयाँ कमज़ोर होती जाती हैं और मामूली अघात थोड़ी-सी भी चोट लगने से टूट सकती हैं।
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हाथ के अस्थिभंग के लिए बँडेज का आधार |
कुछ गाँवों में पारंपरिक तरीको से अस्थि भंग (हड्डी टूटना, फ्रैक्चर) का बिना जॉच व प्रकार जाने इलाज करने वाले लोग होते है जो बहुत ही कम फीस लेकर हडि्डयाँ को जोड़ देते हैं। परन्तु वर्तमान में अस्थि भंग हड्डी टूटना, फ्रैक्चर) की जॉच कर, आपरेशन करने वाले ऑर्थपेडिक चिकित्सक ने इनका स्थान ले लिया हैं। तकनिकी दक्ष्ता के कारण ज्यादातर लोग इन डॉक्टरों के पास इलाज करना पसन्द करते हैं फिर चाहे इसमें उन्हें ज्यादा पैसा खर्च क्यो न करना पड़े।