कुत्ता काटना और अलर्क लघु लेख

dogbite कुत्ता आदमी का दोस्त सही लेकिन हर बरस कुत्ते से कॉंटे जानेकी हजारो घटनाए घटती है| कुत्ता अगर पागल है याने अलर्क रोग से बाधित है तब आदमीभी अपनी जान हो सकता है| रोगी बचनेके लिये सही प्राथमिक उपचार और सावधानी परखनी चाहिये | अलर्क याने रेबिज के खिलाफ टीका उपलब्ध है| इसके जरिये शरीरमें प्रविष्ट विषाणू हम परास्त कर सकते है| अब पुराने समय की बडी इंजेक्शन के बजाय अच्छी, सुरक्षित लेकिन थोडी खर्चिली इंजेक्शन उपलब्ध है| कुत्ता काटनेके हर कोई घटनासे अलर्क नही होता | इनमेसे चंग घटनाओमें ही अलर्क होता है| इससे डरे नही| अब हम कुत्ते के कॉंटने और अलर्क के बारेमें कुछ जानकारी लेंगे|

अलर्क रोग की जानकारी

अलर्क के विषाणू कुत्तोमें एक दुसरेको कॉंटनेसे फैलते है| असल जंगल के सीयार, भेडिया, बाघ आदि जानवरोंके कॉंटनेसे कुत्ते अलर्क बाधित होते है| जंगल के कुछ जानवरोंमें अलर्क का प्रभाव होता है| जंगलकी सीमापर भटकनेवाले कुत्ते अलर्क रोग हम तक ला छोडते है| अलर्कबाधित कुत्ता १० दिनोंमें एक तो हिंसक बनता है या बिलकूल निर्जीवसा पडा रहता है| उसके लारमें बडी संख्यामें विषाणू होते है| यह कुत्ता अन्य जानवरोंको या इन्सानको कॉंटनेपर अलर्क के विषाणू नये शरीरमें प्रवेश करते है| शरीरमें अलर्क के विषाणू सिर्फ तंत्रिका तंत्रोद्वारा फैलते है, खूनसे नहीं| इसिलिये इन विषाणूओंको मस्तिष्क पहुँचनेके लिये कुछ अवधी लगता है| विषाणू मस्तिष्क पहुँचनेके लिये कुछ दिन, हफ्ते, महिने या कभी वर्ष भी लेते है| मस्तिष्क पहुँचनेपर विषाणू संख्या बढती है| इसके बाद अलर्क विषाणू लार ग्रंथीमें पहुँचते है और इससे लार भी बाधक होती है| यहॉंसे विषाणू दुसरे प्राणीयोंमें प्रवेश के लिये तैय्यार रहते है| अलर्क विषाणू मस्तिष्क पहुँचनेपर उस प्राणी की मौत निश्चित होती है| इस पर कोई भी दवा मौजूद नहीं है| अलर्क रोग का मुख्य लक्षण है पानी पिनेका डर| रोगी पानीसे डरता है क्योंकी उसके गले की मांस पेशियॉं अकडकर बुरी तरह दर्द होता है| इस समय रोगी के लार में जादा मात्रा में विषाणू मौजूद रहते है| इसके बाद कुछ घंटों या दिनोंमें रोगीका श्वसन और अन्य जीवन क्रिया रूक जाती है| लक्षण के १-२ हफ्तेमेंही मौत होती है| श्वानदंशका खतरा इस निश्चित करते है| कुत्ता काटनेपर इलाज के लिये हमे कुछ अवधी मिल सकता है| यह अवधी ३ बिंदूपर निर्भर है| पहली बात, काटने की जगह मस्तिष्कसे जितनी दूर उतना अवधी जादा मिलता है| पैरोंवाली जख्म हाथ की जख्मसे थोडा जादा समय लेती है| जख्म चेहरेपर हो तो अवधी बहुत कम होता है| कॉंटने का जख्म जितना गहरा उतना खतरा जादा होता है क्योंकी विषाणूओंको इसमें जादा तंत्रिका तंतू प्राप्त होते है| इसके व्यतिरिक्त उपरी जख्म या सिर्फ खरोचसे खतरा कम होता है| कॉंटनेवाला प्राणी जितना जंगली हो उतना खतरा जादा| इस हिसाबसे कुत्ते, खॉंसकर पालतू कुत्ते कॉटनेसे डर थोडा कम होता है|

प्राथमिक इलाज

सबसे महत्त्वपूर्ण प्राथमिक इलाज है जख्म साबून और पानीसे धुलना| इसके लिये हो सके तो नल का इस्तेमाल करे| बडे सिरींजके जरीये साबून पानी जख्ममें अंदर तक चलाकर जख्म धोना जादा अच्छा है| स्पिरीट याने अल्कोहोल या सौम्य कार्बोलिक ऍसिड विषाणूको जादा बाधक होता है| इसमेसे जो जल्दी मिले उसका इस्तेमाल किजिये| इस प्राथमिक इलाजसे जादातर विषाणू उसी स्थान मर जाते है| इस जख्मको टॉंका या पट्टी लगानेका आग्रह न करे| जख्म खुला छोडना चाहिये| इससे विषाणू बाहर चले जाने की सुविधा बनी रहती है| आपके डॉक्टर इस जख्ममें रेबिज विरोधी सिरम का इंजेक्शन लगानेकी सोच लेंगे| इसी के साथ रेबिज का टीका भी देंगे| टीकाकरण के लिये उस दिन के अनंतर ३,५,७,१५ और ४५ वे दिन अगले डोस पडते है| लेकिन टीका देना है या नहीं इसका सही निर्णय पूरी स्थिती देखकर डॉक्टरही बतायेंगे| सरकारी स्वास्थ्य केंद्रमें इस टीकेका एक अँप्युल इंजेक्शन ५ रोगियोंपर बटाकर दिया जाता है| इससे खर्चा बचता है लेकिन असर उतना ही अच्छा होता है| ये इंजेक्शन कंधेपर दिया जाता है, अन्य कहीं नही| प्रायव्हेट क्लिनिकमें कुल ७ टीकेका व्यय २००० रुपयोंतक होता है| अलर्क का कोई भी रोगी घर में न रखते अस्पताल भरती करना चाहिये| रोगी के लार से बचना अहम है| परिचर्या के समय हाथ में ग्लोव्हज इस्तेमाल करे| और अन्य खबरदारी ले| गाय, भैस आदि जानवरोंको अलर्क बाधित कुत्ता कॉंटने पर कुछ दिनोंबाद दूध में विषाणू आ जाते है| लेकिन दूध उबालनेपर यह विषाणू पूर्णतया नष्ट होते है|

रोगनिदान

ग्लुकोमीटर पर ८०-१२५ मि.ग्रॅ. मात्रा स्वास्थ्यसूचक होती है| इससे जादा मात्रा मधुमेह सूचक है| यही टेस्ट अगर भोजन के उपरान्त दो घंटे बाद की है तो २०० मि.ग्रॅ. तक मधुमेह नही है| इससे जादा मात्रा शक्कर होना मधुमेह है| गर्भावस्था में पेशाब में शक्कर का आना प्राकृतिक है| इससे चिंता न करे|

इलाज

इस बिमारी को कोई स्थायी इलाज नहीं। लेकिन नियमित दवाईयॉ और रहन सहन से स्वास्थ्यपूर्ण जीवन बिलकूल संभव है| कम उम्रवाले टाईप १ मधुमेह के लिये इन्शुलिन हॉर्मोन हर दिन लेना पडता है| आप खुद भी इंजक्शन का तकनिक सीख सखते है| वयस्क मधुमेह में मुँह से गोलियॉ तथा संतुलित भोजन और व्यायाम सामान्यत: पर्याप्त होता है| मधुमेह ईलाज के चलते भी खून में शक्कर अचानक कम हो सकती है| इसके प्रभाव से अचानक पसीना, सरदर्द, ग्लानी और कमजोरी महसूस होती है| इसका इलाज है एक चम्मच ग्लुकोज तुरंत खाना| कुछ मधुमेही व्यक्ती खून में किटो ऍसिड बढने से बेहोष होते है| इनके सांस को एक मिठी गंध होती है| इसका तुरंत इलाज जरुरी है|

रोकथाम

पालतू कुत्तेको हर छ महिनोंमें टिका लगाना चाहिये| ग्राम पालिका या नगरनिगमके जरिये खुले कुत्तोंका सही इंतजाम करना चाहिये| कुत्ता काटनेपर सही प्राथमिक इलाज करना चाहिये| जानवर संबंधी कर्मचारियोंने हर छ मास को टिका लेना चाहिये|

मधुमेह की बिमारी आधुनिक जीवनशैलीकी बुरी देन है| सही रहन सहन से हम वयस्क मधुमेह टाल सकते है| इसके लिये चार महत्त्वपूर्ण सुझाव है| सही मात्रा में सही प्रकार का भोजन ले| खासकर अनाज, शक्कर, मिठाई, तेल, घी आदिकी मात्रा कम रखे| हरी सब्जियॉ, फल, प्रोटीन्स, बादाम जैसी कठिन छिलकेवाला मेवा और दाल आदिका इस्तेमाल जादा करे| हर दिन नियमित व्यायाम करे| कम से कम १०-१५ मिनिट दमसांस के व्यायाम या आधा पौना घंटा चलना बिना चुके करना चाहिये| मोटापन और वजन मे बढोत्तरी टालनेकी हरसंभव कोशीश करे| नितंब और कमर पर चरबी चढने ना दे| मोटापन असलमें मधुमेह और अतिरक्तचाप के लिये हरीझंडी है| मानसिक तनाव टालकर संतुष्ट जीवन रखे| अपने मित्र परिवार में अच्छे संबंध रखे| नये काम और कला सीख ले| इसके प्रभाव से हॉर्मोन्स और शक्कर सही मात्रा में रहते है|

 

डॉ. शाम अष्टेकर २१, चेरी हिल सोसायटी, पाईपलाईन रोड, आनंदवल्ली, गंगापूर रोड, नाशिक ४२२ ०१३. महाराष्ट्र, भारत

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