भारत में गर्भाशय मुख का कॅन्सर बहुत महत्त्वपूर्ण है| बिमारी का पता शिघ्र लगाना जरूरी है| अत: लक्षणों पर निर्भर नही रह सकते| अब उत्तम परिक्षण उपलब्ध है| (गर्भाशय का लम्बासा मुख योनीमार्ग में खुलता है| अपने हाथोंकी उँगलियों से महिला उसे स्पर्श कर सकते है|) इस कर्करोग का पता शीघ्र लग सकता है| तथा समय रहते उपचारोंसे वह ठीक भी हो सकता है| भारत में यह कर्करोग लैंगिक संसर्ग ते तथा अधिक जापोके कारण होता दिखाई देता है| ३५ से ४५ की उम्र में यह रोग अधिक नजर आता है| अब इसके लिये एक प्रतिबंधक टीका भी उपलब्ध है|
पॅप टेस्ट याने गर्भाशय मुख की पेशी के नमूने का सूक्ष्मदर्शी से परिक्षण करना| इस परिक्षण में पेशी में कॅन्सरके सूचक बदलाव दिखते है| यह परिक्षण सस्ता और ८०% तक सही होता है| परीक्षण शिबीरोमें यह बडे पैमाने पर किया जा सकता है| इस परिक्षणोपरान्त उपचार करने के लिये काफी समय भी मिलता है| पॅप परिक्षणसे कॅन्सरसूचक बदलाव चार पायदानों में पहचाने जा सकते है|
रजोनिवृत्ती के बाद पॅप परिक्षण कुछ कम विश्वसनीय होता है| लेकिन स्त्री-हारमोन देकर उसे अधिक विश्वसनीय बना सकते है एँसिटोव्हाईट टेस्ट पॅप परिक्षण का एक अच्छा विकल्प है| इसमें गर्भाशयमुख पर ५% ऍसिटिक आम्ल लगाकर बदलाव को परखते है| इस परिक्षण में कॅन्सर सूचक भाग सफेद सा दिखता है| ऐसाही एक परिक्षण है शिलर का आयोडिन परिक्षण| इसमें रोग रहित भाग नीला-सा दिखाई देता है| इन में से किसी भी परिक्षण में कॅन्सर आशंका होने पर उतना हिस्सा निकालकर सूक्ष्मदर्शी परिक्षण हेतू भेजा जाता है|
योनी मार्ग के सामान्य स्पेक्युलम परिक्षण में भी गर्भाशयमुख पर गांठ या खुरदरा मोड दिख सकता है| ह्युमन पॅपिलोमा व्हायरस हेतु ट्यूमर मार्कर और डी.एन.ए.जैसे प्रगत परिक्षण उपलब्ध है| गर्भाशयमुखके कॅन्सर का फैलाव जानने के लिये आपके डॉक्टर सिटी-स्कॅन, एम.आर.आय और पी.ई.टी. परिक्षण की सलाह दे सकते है| खेदकी बात है की पूर्वनिदान सरल होते हुए भी अनेक स्त्रियोंको ऐसे परिक्षणोंका लाभ नही मिल पाता है| परिणामस्वरूप उपचार के लिये कुछ महिलाएँ काफी देर से आती है|
कॅन्सर सूचक बदलाव होने पर परिस्थितीनुसार योग्य उपचार करना जरुरी है|