मधुमेहलघु लेख

diabetes इसीको शक्कर की बिमारी कहते है| मधुमेह याने डायबिटीज की बिमारी हमारे समाज में बढ रही है| मधुमेह की मुख्य समस्या है खून में शक्कर की मात्रा बढना| इस बिमारी में शरीर की कोशिकाएं उर्जा पाने के लिये शक्कर का ठीक इस्तेमाल नहीं कर पाती| खून मे बढे शक्कर का अनेक अंगोंपर दुष्प्रभाव होता है| इसके कारण बुढापे को बढावा मिलता है| निरंकुश मधुमेह से रक्तचाप बढता है, संक्रमण पनपते है, चरबी, मोटापन तथा वजन बढता है| हृदयविकार, गुर्दा विकार और दृष्टीदोष होते है| तंत्रिकाओंपर भी दुष्प्रभाव होता है| मधुमेह के कारण कार्यक्षमता, आयुर्मान, यौन इच्छा, और यौन क्षमता कमजोर होते है| मधुमेह शीघ पहचानकर इलाज करने से काफी नुकसान टल सकता है| लगभग ३-१० प्रतिशत वयस्कोमें मधुमेह पाया जाता है| इसलिये हर ६ महिनों में वयस्क व्यक्तीको खून की जांच करनी चाहिये|

मधुमेह के कारण और प्रकार

मॉ या पिता के तरफ से मधुमेह का अनुवंशिक प्रभाव संतती में संभव है| ऐसे लोगोंको विशेष रूप से सावधानी रखना चाहिये| इस बिमारी के दो प्रकार है| यह इन्शुलिन के स्थिती पर निर्भर होता है| शरीर में इन्शुलिन के कमी से तरुण मधुमेह होता है| इसको टाईप १ मधुमेह कहते है| टाईप २ मधुमेह में इन्शुलिन मात्रा ठीक होते हुए भी बढते उम्र के प्रभाव से मधुमेह होता है| कम उम्रवाला या तरुण मधुमेह कम संख्या में पाया जाता है| इसमें कुछ आनुवंशिक प्रभाव होता है| शायद कुछ विषाणू संक्रमण और प्रतिकार शक्ती के गुत्थी के कारण इन्शुलिन निर्मिक कोशिकाएं खत्म होती है| इस कारण इन्शुलिन की मात्रा कम पडती है| इसलिये इसके इलाज में इन्शुलिन अनिवार्य होता है| टाईप २ या वयस्क मधुमेह में इन्शुलिन मात्रा सही होनेपर भी शक्कर का इस्तेमाल ठीक नहीं होता| इसे हम इन्शुलिन प्रतिरोध कहे सकते है|

रोगनिदान

मधुमेह के लक्षण आस्ते कदम शुरू होते है| बीमारी अक्सर देर से ही प्रतित होती है| ज्यादा प्यास, थकान, कमजोरी, वजन घटना, मांस पेशी का दर्द आदि लक्षण होते है| पेशाब बार बार और जादा होती है| कपडोंपर पेशाब के सफेद धब्बे दिखाई देते है| शरीर में जादा शक्कर के मात्रा से जख्म देरी से भरते है| योनीदाह और शिश्नदाह अक्सर होते है| कुछ लोगोंको पीप और फोडे होते है| कुछ लक्षण मधुमेह बढने के कारण चलते है जैसे की मोतियाबिंद, यौन कमजोरी, हाथ पैर में दर्द, पैरोंके तलवोंपर जख्म, अतिरक्तचाप, मस्तिष्क में रक्तस्त्राव, हृदयविकार, गुर्दोंकी बिमारी, गुर्दे खराब होना, दृष्टी कमजोर होना, कंधे का दर्द और अकडना आदि| इन सभी समस्याओंके लिये डॉक्टरी सलाहनुसार अलग अलग टेस्ट जरुरी होते है|

खून और पेशाब के लिये टेस्ट

पेशाब के लिये घरेलू जॉंच हेतू पचास पट्टीयोंका पॅक मिलता है| इसकी एक पट्टी लेकर पेशाब के नमुने में डुबाकर निकाले| २० सेकंद के बाद पट्टी का मूल हरा बँड देखे| यह बदलकर पीला, लाल, या काला होता है तब पेशाब में शक्कर याने मधुमेह है ऐसे समझे| लेकिन खून में शक्कर जॉंचना जादा महत्त्वपूर्ण है| आजकल रक्तपरिक्षणके लिये घरेलू उपयोग के लिये ग्लुकोमीटर मिलते है|

खाली पेट खून की जाँच करे

ग्लुकोमीटर पर ८०-१२५ मि.ग्रॅ. मात्रा स्वास्थ्यसूचक होती है| इससे जादा मात्रा मधुमेह सूचक है| यही टेस्ट अगर भोजन के उपरान्त दो घंटे बाद की है तो २०० मि.ग्रॅ. तक मधुमेह नही है| इससे जादा मात्रा शक्कर होना मधुमेह है| गर्भावस्था में पेशाब में शक्कर का आना प्राकृतिक है| इससे चिंता न करे|

इलाज

इस बिमारी को कोई स्थायी इलाज नहीं। लेकिन नियमित दवाईयॉ और रहन सहन से स्वास्थ्यपूर्ण जीवन बिलकूल संभव है| कम उम्रवाले टाईप १ मधुमेह के लिये इन्शुलिन हॉर्मोन हर दिन लेना पडता है| आप खुद भी इंजक्शन का तकनिक सीख सखते है| वयस्क मधुमेह में मुँह से गोलियॉ तथा संतुलित भोजन और व्यायाम सामान्यत: पर्याप्त है| मधुमेह ईलाज के चलते भी खून में शक्कर अचानक कम हो सकती है| इसके प्रभाव से अचानक पसीना, सरदर्द, ग्लानी और कमजोरी महसूस होती है| इसका इलाज है एक चम्मच ग्लुकोज तुरंत खाना| कुछ मधुमेही व्यक्ती खून में किटो ऍसिड बढने से बेहोष होते है| इनके सांस को एक मिठी गंध होती है| इसका तुरंत इलाज जरुरी है|

रोकथाम

मधुमेह की बिमारी आधुनिक जीवनशैलीकी बुरी देन है| सही रहन सहन से हम वयस्क मधुमेह टाल सकते है| इसके लिये चार महत्त्वपूर्ण सुझाव है| सही मात्रा में सही प्रकार का भोजन ले| खासकर अनाज, शक्कर, मिठाई, तेल, घी आदिकी मात्रा कम रखे| हरी सब्जियॉ, फल, प्रोटीन्स, बादाम जैसी कठिन छिलकेवाला मेवा और दाल आदिका इस्तेमाल जादा करे| हर दिन नियमित व्यायाम करे| कम से कम १०-१५ मिनिट दमसांस के व्यायाम या आधा पौना घंटा चलना बिना चुके करना चाहिये| मोटापन और वजन मे बढोत्तरी टालनेकी हरसंभव कोशीश करे| नितंब और कमर पर चरबी चढने ना दे| मोटापन असलमें मधुमेह और अतिरक्तचाप के लिये हरीझंडी है| मानसिक तनाव टालकर संतुष्ट जीवन रखे| अपने मित्र परिवार में अच्छे संबंध रखे| नये काम और कला सीख ले| इसके प्रभाव से हॉर्मोन्स और शक्कर सही मात्रा में रहते है|

 

डॉ. शाम अष्टेकर २१, चेरी हिल सोसायटी, पाईपलाईन रोड, आनंदवल्ली, गंगापूर रोड, नाशिक ४२२ ०१३. महाराष्ट्र, भारत

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