दोस्तों, हर किसी को रक्तचाप होता ही है| इसी से शरीर में खून बहता रहता है| लेकिन रक्तचाप १४०/९० तक ही सीमित हो| इससे जादा अतिरक्तचाप कहेलाता है| इसमें उपरी आँकडा हृदय के संकोच के कारण दबाव की एक लहर शरीर में दौडने से जुडा होता है| नीचला आँकडा इस लहर के गुजरने के बाद रहनेवाला रक्तचाप होता है| उपरी आँकडा सामान्यत: १००से१४० के दरम्यान होता है| नीचला रक्तचाप का आँकडा ५० से ९० मि.मी. तक होता है| अतिरक्तचाप में संभवत: दोनो भी आँकडे १४०/९० से जादा पाये जाते है| बरसों पहले अतिरक्तचाप ये जादातर मध्यम उम्र या बुढापें की बिमारी थी| लेकिन रहन-सहन में बदलाव के कारण अब अतिरक्तचाप जवानीमें ही होता दिखलाता है| अतिरक्तचाप यह एक दबे पैर आनेवाला दुश्मन है| लगभग ५-१०% वयस्क स्त्री-पुरुष अतिरक्तचापसे ग्रस्त होते है|
रहन-सहन के बदलाव के कारण आरामदायी जीवन, तनाव, जादा आहार, आहार में अनाज का जादा होना, तेल और घी की प्रचुरता, मेहनत का अभाव और धूम्रपान शामील है| इनके चलते धमनीयोंमें रक्तचाप बढता है और हृदय भी दबाव में आता है| इन सब का एकत्रित प्रभाव होता है अतिरक्तचाप|
आम तौरपर अतिरक्तचाप अपने आप महसूस नहीं होता| लेकिन कुछ लोगोंको सिरदर्द और थकान अनुभव होती है| आँखोंके आगे चिंगारीया जैसे चमकना यह भी अनुभव सूचक है| लेकिन जादातर इसको कोई बिमारी नहीं मानता| संभवत: जादातर रक्तचाप नापनेपर इस विकार का पता चलता है|
अक्सर अतिरक्तचाप के चलते दिल का दौरा पडना, मस्तिष्कमें रक्तस्त्राव के कारण पक्षाघात ऐसी गंभीर घटना संभव है| कुछ लोगों में अतिरक्तचापकी गुर्देपर दुष्प्रभावसे पेशाब की मात्रा कम होती जाती है| उम्र २० के बाद हर साल रक्तचाप जॉंचना यही एक सही तरीका है| अगर अतिरक्तचाप हो तो और भी कुछ जॉंच पडताल जरुरी है| इसमें कार्डिओग्राम, आँख की जॉंच, खून में शक्कर और वसा घटक जॉंचने चाहिये| वजन और कद नापकर बॉडी मास इंडेक्स और कमर-कुल्लोंका अनुपात भी इलाज के लिये महत्त्वपूर्ण है|
आजकल इलेक्ट्रॉनिक ब्लडप्रेशर मशिन मिलता है| बिजलीपर चलनेवाले ये मशीन अपने आप दबाव बढाकर कम करता है और रक्तचाप तथा नाडी के आँकडे लेता है| प्रथमत: हप्ते में २-३ बार यह जॉंच करे| सामान्यत: जॉंचते समय तीन बार जॉंच करे और उसका अंतिम निष्कर्ष स्वीकृत करना चाहिये| रक्तचाप जॉंचते समय विश्राम अवस्था में बैठे या लेटे हुए लेना चाहिये| मेहनत या तनाव के कारण रक्तचाप बढता है, वह कम करने के लिये चंद मिनिट रुकना चाहिये|
कई लोग १८०/११० तक का अतिरक्तचाप बिना दवाइयोंके भी कम कर सकते है| इसके लिये उचित रहन-सहन, तनावमुक्ती और नमक कम करना जरूरी है| लेकिन इसके लिये मनोनिश्चय चाहिये| किसी भी प्रकार से अतिरक्तचाप घटाकर सामान्य करना बिलकुल जरूरी है| अतिरक्तचाप विकार के लिये अच्छे और सस्ती गोलियॉं उपलब्ध है| बिटा ब्लॉकर जैसी दवाएँ जादा इस्तेमाल होती है| इस बारे में सही निर्णय आपके डॉक्टर ही करेंगे| हर हप्ते या महिने में रक्तचाप जॉंचना चाहिये| अतिरक्तचाप की गोली लेना कभी ना चूके| अन्य जॉंच पडताल भी सही समय करना चाहिये|
अतिरक्तचाप यह एक जानलेवा बिमारी है| इसको टालना हमारे ही हाथ में है| आप अपना बॉडी मास इंडेक्स १८ से २३ तक रखने का प्रयास किजीये| इसके लिये हल्का, सादा भोजन हो| घी, तेल, शक्कर, मिठाइयॉं, नमक और सामिश आहार सीमित रखे| अपना भोजन श्रमनुसार उचित होना चाहिये| हरी सब्जीयॉ, फल, निंबू, प्याज, लहसून उपयोगी तत्त्व है| पानी जादा पिने से शरीर स्थित नमक पेशाब से जादा मात्रा में निकलता है| यह फायदेमंद है| हप्ते में कम से कम सात दिन दमसांस प्रकार की कसरत करे, तैरना, दौडना, तेज गती से चलना, पहाड चढना, सायकिल चलाना, बॉल गेम्स, खो-खो जैसे खेल और दीर्घ अंतर चलना यह सब उचित व्यायाम प्रकार है|
हर दिन ऐसी मेहनत-कसरत कम से कम आधा घंटा तक करना चाहिये| अन्य दिनोंमें अन्य किस्म के व्यायाम प्रकार लेने चाहिये, जैसे की वेट लिफ्टिंग| योग साधना एक अलग स्वास्थ्य पद्धती है| इससे तनावमुक्ती और शिथिलीकरण होता है| आसन, प्राणायाम और शिथिलीकरण ये इसके विशेष है| तनाव कम करने के लिये कॅरम या ताश, संगीत, भ्रमण, चित्रकला, पढना, गपशप, भजन कीर्तन, फिल्म और सुरक्षित यौन संबंध आदि अनेक मार्ग है| हर दिन ६ से ८ घंटे नींद होनी चाहिये| डायबिटीज पर ध्यान रखे और खून में शक्कर की मात्रा सीमित रखे| तोंद याने बडा पेट अतिरक्तचाप के लिये बुलावा है| इसलिये कमर-कुल्लोंका प्रमाण पुरुषों के लिये १ से कम और महिलाओंके लिये ०.८५ से कम रहना चाहिये|