खाँसी की दवा |
यह एक आम लक्षण है और अपने आप में कोई बीमारी नहीं है। असल में यह केवल बिन बलगम की खाँसी है। यह खाँसी श्वास नली, स्वरयंत्र, गले, कण्ठच्छेद या टॉन्सिल की हल्की फुल्की बीमारी के साथ होती है। धूल या गैसों जैसे ऐसिड की भाप या मिर्च के पाउडर आदि से भी सूखी खाँसी हो सकती है।
अनुभव हो जाने पर आप खाँसी की आवाज़ से ही पता कर सकते हैं कि गड़बड़ कहॉं पर है। गले में गड़बड़ होने पर हल्की और कम गहरी खाँसी होती है। परन्तु स्वरयंत्र में गड़बड़ होने पर गहरी खाँसी होती है। छाती के बीच से उठने वाली खाँसी श्वासनली में गड़बड़ी से होती है।
आवाज़ के अलावा दर्द के जगह से भी यह पता चल सकता है कि समस्या किस हिस्से में है। छाती के बीच की हड्डी के पीछे में दर्द होने का मतलब है कि श्वास नली की गड़बड़ी से खाँसी है। गड़बड़ी की जगह कोई भी लगे, गले की जॉंच ज़रूर कर लेनी चाहिए। यह भी ध्यान रखना चाहिए कि चिरकारी सूखी खाँसी स्वरयंत्र की समस्या हो सकती है। इसके लिए डॉक्टर की मदद की ज़रूरत है। (सूखी खाँसी के अन्य कारणों और उनमें फर्क करने के बारे में निदान की तालिका में से और जानकारी मिल सकती है।)
बड़ों में लगातार उठने वाली व परेशान करने वाली सूखी खाँसी से आराम दिलाने के लिए आप लिंक्टस कोडीन का इस्तेमाल कर सकते हैं। बच्चों के लिए कोडीन का इस्तेमाल न करें क्योंकि इससे तंत्रिका तंत्र धीमा हो जाता है। कोडीन से कब्ज़ भी हो जाता है। खाँसी की अन्य दवाएँ जैसे खादीरदी बटी भी असरकारी होती हैं। इसे चबाया जाता है।
जुकाम सभी उम्र के लोगों को होता है। अक्सर यह मौसमी होता है। जुकाम असल में नाक की गुफा का शोथ है जो एलर्जी या किसी वायरस की संक्रमण से होता है। वायरस से होने वाला जुकाम संक्रामक होता है यानि एक व्यक्ति से दूसरे में फैल जाता है। खासकर कमज़ोर लोग एक दो दिनों में से इसकी चपेट में आ जाते हैं। यह हवा से फैलता है।
जुकाम के वायरस संबंधी प्रतिरक्षा बहुत ही सीमित समय के लिए होती है। इसलिए एक व्यक्ति को कुछ ही दिनोंके बाद दोबारा जुकाम हो सकता है। इसके अलावा जुकाम करने वाले वायरस बहुत ही सारे हैं। जुकाम वायरस का कोई खास इलाज नहीं है। जुकाम करने वाले वायरस की करीब दस बड़ी श्रेणियॉं हैं। हर श्रेणी में भी बहुत सारे वायरस होते हैं। हर एक की अलग-अलग तरह की प्रतिरक्षा प्रक्रिया होती है। यानि एक वायरस के लिए प्रतिरक्षा दूसरे वायरस के लिए बेकार होती है।
इसलिए इस सीमित प्रतिरक्षा का भी खास फायदा नहीं रहता। यानि जुकाम दूसरी बार दूसरे किसी वायरस से भी हो सकता है। यह कह पाना मुश्किल होता है कि कौनसा जुकाम एलर्जी से हुआ है और कब वायरस से। दोनों में सिर्फ यही फर्क है कि वायरस से होने वाला जुकाम संक्रामक होता है। एलर्जी से होने वाले जुकाम में ज़्यादा छीकें आती हैं और बुखार कम होता है।
क्रूप (यानि सख्त और ज़ोर दार आवाज़ वाली खाँसी) स्वरयंत्र शोथ का एक विशिष्ट लक्षण है। आवाज़ कर्कश हो जाती है। स्वरयंत्र में दर्द और दुखरुपन से बीमारी का स्थान पकड़ पाने में मदद मिलती है। इस संक्रमण में बुखार और बदन में दर्द लगभग हमेशा होता है।
वायरस से होने वाला स्वरयंत्र शोथ अपने आप ठीक हो जाने वाला रोग है। आवाज़ को आराम देने, भाप लेने और गर्म तरल पदार्थ लेने से एक हफ्ते के अन्दर यह ठीक हो जाता है। ऐस्परीन से दर्द, बुखार और शोथ कम करने में मदद मिलती है। अक्सर ये पता करना मुश्किल होता है कि शोथ वायरस से हुआ या बैक्टीरिया से। साथ में जुकाम होने से यह सूचना मिलती हैकि शायद संक्रमण वायरस से हुई है। अगर लगा कि संक्रमण का कारण बैक्टीरिया है तो रोगी को डॉक्सीसाइक्लीन या ऐमॉक्सीसिलीन देनी चाहिए। गर्भवती, दूध पिलाती मॉ और १५ वर्ष से कम उम्र के बच्चों में डॉक्सी न दे|
अगर सूखी खाँसी बहुत ज़्यादा हो तो कोडीन दवा सिरप या गोलियों के रूप में दें। स्वरयंत्र की एंठन, जिसमें सॉंस लेने में मुश्किल हो जाती है, ऐलर्जी के कारण होता है। यह बच्चों में होता है। अगर स्थिति गम्भीर हो जाए तो इसके इलाज के लिए स्टीरॉएड के इन्जैक्शन और ऑक्सीजन देने की ज़रूरत होती है।
बड़ों में स्वरयंत्र शोथ के लक्षण अगर लम्बे समय तक चलें (जैसे दो हफ्ते या उससे ज़्यादा) और साथ में आवाज़ में बदलाव (होर्सनेस) आ जाए तो यह कैंसर के कारण भी हो सकता है। बूढ़ों में यह सम्भावना काफी ज़्यादा होती है। ऐसे में तुरन्त विशेषज्ञ की सलाह की ज़रूरत होती है।