दोस्तो, खॉंसी को कौन नहीं जानता| श्वसन संस्थाके जादातर बिमारियोंमें कम जादा खॉंसी शुरु से ही रहती है| इसिलिये खॉंसीवाली दवाए खूब चलती है| लेकिन इसके लिये घरेलू नुस्केही पर्याप्त है| सूखी खॉंसी में बलगम नहीं आता| आमतौर पर सूखी खॉंसी बिना बुखार की आती है|
श्वसन संस्थानमें अनचाहे द्रव्य बाहर निकालने के लिये खॉंसी आती है| सूक्ष्म जीव जैसे जिवाणू, विषाणू, संक्रमण गलतीसे श्वसनिका में घुसे अन्नकण, धूम्रपान, धूल, ऍलर्जी, सूक्ष्म कीटक, हवामें प्रदूषण या कवक इनमेंसे किसी भी कारणसे सूखी खॉंसी हो सकती है| कुछ कारखानोंमें धूलिकण प्रदूषणसे खॉंसी चलती है| गिट्टी, सिमेंट, कपास, मिर्च मसाले, गद्दी आदिके कारखानोंमें अनेक जगह सूक्ष्म धूलीकण होते है| इनसे खॉंसी होती है| पेटके कुछ कृमीओंके जीवनचक्रमें एक बार सूक्ष्म रूप से श्वसनिकासे गुजरते है| इसलिये सूखी खॉंसी चलती है| इस जानकारीसे हम सुखी खॉंसीका कारण तय कर सकते है|
खॉंसीका आवाज हमको उसकी जगह भी बताता है जैसे की गला, स्वरयंत्र या श्वसनी| खॉंसी हफ्ताभरमें ठीक न हो तब डॉक्टरसे मिलना उचित होना| खॉसी के साथ बुखार हो तो डॉक्टरसे अवश्य मिले| खॉंसी के साथ बलगम हो तब अपने डॉक्टरसे अवश्य मिले|
इसके साथ बुखार न हो तो हम घरेलू इलाज कर सकते है| प्रस्तुत विकल्पोंसे एकाध इलाज आप चुन सकते है| दिन में ३-४ बार गरम पानी पिना चाहिये| कॉफी, चाय भी चलेगी| थोडासा शहद या मुनेटी, गुड, चॉकलेट, सौंठ और गुड इनमेंसे कुछ वस्तू मुँह में चखते रहे| इससे लार और स्राव बढकर सुखी खॉंसी कम होती है| बर्तन में गरम पानी लेकर उसकी भांप सुंघकर छाती में ले ले| इस पानी में २-३ बूंद निलगिरी का तेल डालना अच्छा होता है| दिनमें ३-४ बार इसका प्रयोग करे| गरम दूध, शक्कर और हल्दी मिलाकर दिन में २-३ बार पी ले| अडोसा पौधे के चंद पन्ने उबलकर इसका काढा ले ले| ऐसा दिन में २-३ बार करे|