पीलियालघु लेख

हर कोई पीलिया से डरता है| पिलिया, याने आँख और चमडी में पीलापन यह एक बिमारी है| यह पीला रंग खून मे स्थित हिमोग्लोबीन के टूटने पर निकलनेवाला बिलिरुबिन द्रव्य होता है| जादातर पीलिया संक्रमण की बिमारी होती है जिसको हेपॅटाईटिस कहते है| लेकिन कुछ रोगीयों में यकृत उर्फ लिवर में पित्तरस को अटकाव होनेसे भी पीलिया होता है| पीलिया का कारण और प्रकार समझना जरुरी है| नवजात शिशुमें भी पीलिया हो सकता है| इन सबके बारेमें अब हम जानेंगे|

नवजात शिशु का पिलिया

नवजात शिशु को पहले हप्ते में पीलिया हो सकता है| लेकिन यह बिमारी होना जरुरी नहीं| जन्म के पश्चात २४-७२ घंटो में अक्सर पीलिया होता है| यह बिलकुल प्राकृतिक है| पुराना हिमोग्लोबिन तोडकर नया बनने की प्रक्रिया में ऐसा होता है| तीन दिन के बाद यह पीलिया कम हो जाता है| इसमें कोई बिमारी नहीं और न डरने का कोई कारण| लेकिन जन्म के पश्चात २४ घंटो में पीलिया दिखाई देना बिमारी होती है| जल्द इलाज न करने से ये बिमारी २-३ हप्ते चलती है| इसके लिये अल्ट्राव्हायलेट ईलाज काफी है|

एकाध शिशु को स्तनपान से भी २४-७२ घंटो में पीलिया होता है| यह पीलिया तिसरे हप्ते तक अपने आप कम होता है| इससे डरे नही और स्तनपान रोकना जरुरी नही| नवजात शिशु में पीलापन सीर से पैरोंतक क्रमश: कम दिखाई देता जाता है| यह कोई समस्या नहीं होती|

बच्चे और वयस्कों का पिलिया

नवजात शिशु के सिवाय किसी भी उम्र मे पीलिया एक बिमारी है| संक्रमक पीलिया का कारण है विषाणू| यह विषाणू ए, बी, या सी किस्म के होते है| ए किस्म का विषाणू दूषित आहार और पानी से फैलता है, और सामान्यत: अपने आप ठीक हो जाते है|

लेकिन बी और सी किस्म के विषाणू असुरक्षित यौन संबंध, दूषित खून या दूषित इंजेक्शन के द्वारा फैलते है| बी और सी हेपॅटाईटिस याने यकृत शोथ के कारण लिवर सिकुडता है | आगे चलकर इसमें लिवर का कर्करोग संभव है| सी हेपॅटाईटिस सबसे खतरनाक है|

रोगनिदान

पीलिया सिर्फ प्राकृतिक रोशनीमें दिखाई देता है| बिजलीके रोशनी में जॉंचने का प्रयास न करे| इससे गलतफहमी संभव है| हेपॅटाईटिस ए बिमारी में बुखार, मतली, भूख कम होना, सरदर्द, थकान, गाढी, पेशाब और आँख में पीलापन दिखाई देते है| खून में बिलिरुबिन की मात्रा जादा हो तब रोगी को हर एक चीज पीली दिखाई देती है| इस विषाणू का संक्रमण होनेवाले सभी व्यक्तीयोंको बिमारी नहीं होती| वैसे सिर्फ चंद लोगोंमें हेपॅटाईटिस बी आगे चलकर लिवर को दुष्प्रभावित करता है|

बी और सी हेपॅटाईटिस में उपरी सब लक्षण सौम्य होते है या बिलकूल नहीं होते| लेकिन शरीर में बिमारी टिकी सकती है| बरसों बाद लिवर सिकुडता है| लिवर सिकुडने से पेट फूलता है, पीलिया होता है और अंतत: पीलिया जानलेवा साबित होता है| इनमेंसे कई रोगियोंको लिवर का कॅन्सर भी होता है| कसाथ पीलिया और सफेद मल होना पित्त मार्ग के अटकाव से होता है| ऐसे पीलियामें खुजली होती है| गर्भावस्था में पीलिया होना घातक है| इसके लिये डॉक्टर से जल्द ही संपर्क किजिये| पीलिया में नींद का सिलसिला बिगडना लिवर के दुष्प्रभाव को सूचक है| इसके चलते रोगी बेहोष हो सकता है| पीलियाके संक्रमण के बाद २-३ हप्तों में लक्षण दिखाई देते है| महामारी में यह अंतराल ध्यान में रखे|

अन्य जाँच

पीलिया बिमारी के लिये कुछ जॉंच पडताल जरुरी है| खून के जॉंच में विषाणू प्रजाति निश्चित कर सकते है जैसे की ए. बी. या सी.| इसी के साथ विषाणू के खिलाफ शरीर की प्रतिकार क्षमता भी परखी जाती है|

खून में स्थित बिलिरुबिन की मात्रा और लिवर की क्षमता जॉंचने के लिये टेस्ट होते है| लिवर और अग्न्याशय याने पॅन्क्रियाज की सोनोग्राफी जॉंच करना जरुरी है| इससे पित्तमार्ग की स्थिती का अंदाजा होता है| बी और सी पीलिया के बारेमें प्रति वर्ष नियमित रूप से बिमारी का होना न होना जॉंचना जरूरी है|अगर शरीर में बी या सी विषाणू के संकेत होते है तो खास इलाज जरुरी होते है| इसके लिये स्पेशालिस्ट डॉक्टरकी सलाह लेना उचित होगा|

इलाज

हेपॅटाईटिस ए में हल्का भोजन और बुखार के लिये पॅरासिटामॉल गोली लेना पर्याप्त है|
आयुर्वेद के अनुसार आरोग्यवर्धिनी गोली उपयुक्त है| इसको कुछ हप्तोंतक लेना चाहिये|
घरेलू इलाज भी प्रचलित है| इसके लिये अरंड के एक पन्ने का रस हर दिन सुबह ले ले|
या हर दिन सुबह भुमिआमलकी का छोटा पौधा कूटकर खाये|

रोकथाम

ए किस्मका पीलिया रोकने के लिये आहार और पानी की शुद्धता अहम् है| इसके लिये टीका भी उपलब्ध है| दो टीके एक महिने के अंतराल में लेने चाहिये| बी और सी पीलिया रोकने के लिये सुरक्षित यौनसंबंध महत्त्वपूर्ण है|

गैर जरुरी या संदेहित इंजेक्शन सर्वथा टाले| अगर शरीरमें किसी कारणवश खून भरना है तो जितना हो सके परिचित व्यक्तीसे लेना जादा सुरक्षित है| बी हेपॅटाईटिस के लिये तीन टीके होते है| इसके बीच का अंतराल एक महिना होता है|

 

डॉ. शाम अष्टेकर २१, चेरी हिल सोसायटी, पाईपलाईन रोड, आनंदवल्ली, गंगापूर रोड, नाशिक ४२२ ०१३. महाराष्ट्र, भारत

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