गर्भनिरोधक साधन लघु लेख

contraception मानव कल्याणमें गर्भनिरोधक बेहद महत्त्वपूर्ण है| इसके लिये अब हमें प्रगत तकनिक और विकल्प उपलब्ध है| गर्भ निरोधन के लिये हम हमारी जरुरत और पसंद नुसार सही तरीका चुन सकते है| इनमेंसे कुछ तरीके प्राकृतिक है और कुछ कृत्रिम|

यहॉं हम गर्भ निरोधन के लिये दस मुख्य साधन या तरीके बता रहे है| हमारे परिवार और राष्ट्र के हित के लिये दो बच्चोंके बाद
परिवार सीमीत करना जरुरी है|

संतती प्रतिबंधन के लिये प्राकृतिक तरीके
  • सुरक्षा काल तरीका- स्त्री डिंबग्रंथीसे दो महावारीयों के लगभग बीचो बीच डिंब निकलता है| डिंब निकलने के २-३ दिन पहले और बादमें यौन संबंध टालकर हम डिंब का निषेचन रोक सकते है| माहवारी के पहले दिन से गिनती में १२-१८ दिनों बीचवाला अवधी निषेचन के लिये सही है| इन दिनोंको छोडकर और दिनोंमें यौन संबंधकरनेसे डिंब का निषेचन नही होता; जिसको हम ‘सुरक्षा’काल कहते है|
  • स्वयं परिक्षण- हर महिला को अपने शरीर में डिंब कब निकलता है यह लगभग जानना संभव है| डिंब छुटने के १-२ दिन पहले और बादमें गर्भाश्य ग्रीवा का स्राव पतला और मुलायम होता है| अपने दो उंगलियोंमें स्राव लेकर उंगलियॉं ङ्गैलकर देखे| डिंब छुटने के समय यह स्राव पारदर्शी, साफ और न टुटनेवाला तार बनता है| इसके विपरित अन्य दिनोंमें यह स्राव अपारदर्शी और उंगलियोंमें टुटनेवाला होता है| इन दिनोंमें डिंब का निषेचन नहीं हो सकता क्योंकी डिंब होता ही नही| निषेचन अनुकूल दिनोंमें गर्भाश्य ग्रीवा मुलायम लगता है और अन्य दिनोंमें वह सख्त होता है| अगर आप के पास विशेष तापमापी-थर्मामीटर हो तो डिंब छुटने के दिन शरीर का तापमान आधी डिग्री बढता है| यह भी एक बिंदू ध्यान में रखे|

संतती प्रतिबंधन के लिये समयबद्ध कृत्रिम तरीके
  • पुरुषोंके लिये निरोध याने कंडोम सबसे ‘आसान’ गर्भनिरोधक तरीका है| यौन संबंध के समय सख्त शिश्नमुंडपर निरोध टोपी के रूप में बिठाकर शिश्नपर खोलकर लगाये| पुरुष के शुक्राणू निरोध में पडे रहते है| इससे डिंब निषेचन नही होता| जाहीर है की निरोध के प्रयोगसे हमको यौन संक्रमिक लोगोंसे छुटकारा मिलता है| निरोध के अंदर एक शुक्राणू नाशक रसायन होता है और बाहरसे चिकनाई होती है| निरोध की एक मर्यादा है यौनसंबंधमें स्पर्श का आनंद न मिलना| हर समय नया निरोध प्रयोग करे| यौन संबंध के बाद निरोध निकालते समय सावधानी रखनी चाहिये| निरोध को एक गांठ लगाकर कुडे में फेक दे|
  • महिलाओंके लिये अलग निरोध उपलब्ध है| इसको योनीद्वारपर लगाया जाता है| शिश्न उसीमें प्रविष्ट होता है| शुक्राणू निरोध में रोके जाते है| महिलाओंके लिये ये जादा निश्चित तरीका है|
  • पील्स या गोलियॉं- इसका २१ या२८ गोलियोंका पॅकेट मिलता है| माहवारी के पॉंचवे दिनसे गोली शुरू करे| २१वे दिन हॉर्मोन गोलियॉं खत्म होती है| अगर पॅकेट २८ का हो तो उपरी ७ गोलियॉं लोहक्षार की होती है| अगले माहवारी के पॉंचवे दिन दुसरा पॅकेट शुरू करे| एकाध दिन गोली लेना भूल गये तो दुसरे दिन दो गोली एकसाथ ले ले| गर्भ निरोधक गोलियोंके कुछ दुष्प्रभावही होते है| डॉक्टरी जॉंच के बाद ही इस साधन का प्रयोग करे| अतिरक्तचाप, हृदयविकार, मोटापन, स्तनोंमें गांठ या गिल्टी, गर्भाश्य ग्रीवा का कॅन्सर, खून जल्दी जमने की प्रवृत्ती आदि बिमारी के होते यह गोली लेना नुकसानदेह और निषिद्ध है| कुछ महिलाओंमें इन गोलियोंके कारण सरदर्द, शरीर भारी लगना आदि तकलीफ हो सकती है| दो बरस के बाद एक महिना पॅकेट न लेकर शरीर को प्राकृतिक मेल के लिये अवधी दे|
  • गर्भनिरोधक इंजेक्शन-डेपोप्रोव्हेरा का ये इंजेक्शन लेनेपर छ महिने गर्भधारणा नही होती| गोलियों की तुलनामें यह तरीका कम झंझटवाला है|
  • इमर्जन्सी गोली याने ई.सी.पी. – मान लिजिये की बीती रातमें यौन संबंध हुआ है लेकिन गर्भ निरोधक तरीका न अपनाया हो| इस हालत में सुबह या चोबीस घंटोंमे यह गोली ले ले| अगर डिंब का निषेचन भी हुआ है तब भी इसके प्रभाव से गर्भाशयमें वह टिक नहीं सकता|
  • गर्भाशयस्थित साधन – तांबी या कॉपर टी इसका सबसे प्रचलित रूप है| एक बार लगानेसे तांबी २ वर्ष चलती है| तांबी को लगाया धागा योनीमार्गमे टटोला जा सकता है| आवश्यकता नुसार महिला स्वयं भी तांबी निकाल सकती है| ये साधन बिलकुल सुरक्षित है| कुछ महिलाओंमें इससे माहवारी में थोडा जादा खून जाता है और पेडूमें हलका दर्द और योनीमार्गसे जादा सफेद पानी जाना आदि अनुभव हो सकता है| इसके सिवा और भी कुछ साधन उपलब्ध है|

नसबंदी
  • पुरुष नसबंदी- अब पुरुष नसबंदीमें बिना टाका तरीके प्रचलित है| इसको केवल पॉंच मिनिट लगते है, ना दर्द होता है न कोई टाका| नसबंदी के बाद तुरंत घर जा सकते है लेकिन अगले तीन महिने निरोध का प्रयोग करने जरुरी है| नसबंदीसे यौन क्रिया का क्षमता या ताकद घटनेका कोई भी कारण नही| असलमें गर्भधारणा का डर ना होने से यौनक्रियामें जादा उत्साह और आनंद होता है|
  • महिला नसबंदी- इसके लिये दो तरीके है| पहला तरीका उदर में छेद लेकर हाथसे डिंबनलिका बांधना| दुसरा तरीका है लॅपरास्कोपी याने दुर्बीन से डिंबनलिका बांधना| इसके बाद तुरंत घर जा सकते है| महिला नसबंदी के कारण डिंब गर्भाशयमें आ ही नहीं सकता| महिला नसबंदी काफी सुरक्षित है| लेकिन कुछ महिलाओंमें बाद में पेडू में हलका दर्द का अनुभव होता है|

विशेष सुझाव

पुरुष नसबंदी सर्वाधिक सुरक्षित और आसान है| इससे यौन संबंध जादा चिंतामुक्त होता है| शादी के बाद दो वर्ष तक संतती न होना अच्छा है| उसी प्रकार दो बच्चोंके बीचमें पॉंच वर्ष का अवधी होना चाहिये| लेकिन शादी समय महिला की उम्र पच्चीस से उपर हो तब बच्चा जल्दी होना हितकर है| यौन संक्रमक रोगोंसे बचने के लिये निरोध यही एक साधन है| अन्य संततीप्रतिबंधक साधनोंसे यह सुरक्षा नही मिलती|

 

डॉ. शाम अष्टेकर २१, चेरी हिल सोसायटी, पाईपलाईन रोड, आनंदवल्ली, गंगापूर रोड, नाशिक ४२२ ०१३. महाराष्ट्र, भारत

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